लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस में की गई बड़ी प्रशासनिक सर्जरी के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम हो जाएगी. फिलहाल लखनऊ और प्रयागराज में जिस तरह से कमिश्नर पद पर तैनात पुलिस अधिकारियों को लेकर शिकायत थी, अब बदलाव से बीजेपी कार्यकर्ता संतुष्ट नजर आ रहे हैं. बड़े नेताओं पर पुलिसिया एक्शन से बीजेपी में बहुत नाराजगी थी. और उसका असर लोकसभा चुनाव परिणाम पर भी साफ नजर आया था. लखनऊ में राजनाथ सिंह के पूर्व पर्सनल सेक्रेटरी ही कमिश्नर बनाए गए. जिसे लखनऊ में सुधार की संभावना व्यक्त की जा रही है. इस तरह से पुलिस के व्यवहार में सुधार की उम्मीद भाजपा नेता कर रहे हैं.
वहीं उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता की गाड़ी से हूटर उतरवाने वाले ट्रैफिक पुलिस के सब इंस्पेक्टर को पुलिस कमिश्नर ने लाइन हाजिर कर दिया है. बीजेपी प्रवक्ता ने डीसीपी से शिकायत की थी कि, वह अपने परिवार के साथ अपनी गाड़ी से जा रहे थे, इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने उनके साथ अभद्रता की थी.
मामले में यूपी बीजेपी में प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि, 22 जून को वह अपने परिवार के साथ श्रीनगर से वापस आ रहे थे. करीब साढ़े छह बजे एयरपोर्ट के पास ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर आशुतोष त्रिपाठी ने उनकी गाड़ी रुकवा, चेकिंग के नाम पर उनसे और उनके परिवार के साथ अभद्रता की गई. राकेश त्रिपाठी ने इसकी शिकायत डीसीपी ट्रैफिक से की थी, जिसके बाद रविवार को पुलिस कमिश्नर ने सब इंस्पेक्टर आशुतोष त्रिपाठी को लाइन हाजिर कर दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि, निश्चित तौर पर पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच संवादहीनता के चलते गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. कई बार पुलिस नेताओं को सुनने के लिए राजी नहीं है. जिसका नुकसान राजनीतिक अभियानों को होता है. लोकसभा चुनाव में यह देखने को मिला है. ऐसे में पुलिस के तंत्र में बड़े बदलाव से बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता निश्चित तौर पर खुश होंगे.
बीजेपी के कट्टर समर्थक और अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का मामला गर्म है. उनकी पुलिस और प्रशासन दोनों से शिकायत है. पुलिस प्रशासन ने उनका गनर वापस ले लिया है. राजू दास के खिलाफ अब पुलिस को पुराने मुकदमें याद आ रहे हैं. मामले को भाजपा कार्यकर्ता और पुलिस प्रशासन के बीच की खराब रिश्तों को लेकर एक उदाहरण बताया जा रहा है.
महानगर अध्यक्ष को महापौर सुषमा खरकवाल ने अपनी शिकायत दर्ज कराई है. मेयर बोली हैं कि उनकी फ्लीट की गाड़ी पुलिस ने उठा ली, फोन करने पर भी नहीं छोड़ा है. मामले में बीजेपी पार्षदों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अनेक पार्षदों ने नेतृत्व से कहा कि, पूरे साल पार्टी के आयोजन होते हैं. हर आयोजन के लिए लोगों को जुटाने का टारगेट तो दिया जाता है. लेकिन उन्हीं लोगों की समस्याओं को लेकर थाने और तहसील जाने पर सुनवाई नहीं होती है. साथ ही बदसलूकी भी करते हैं.
विधायक डॉ. नीरज बोरा ने भी अपनी पीड़ा आला नेताओं को सुनाई है. उनके मुताबिक चुनाव के लिए नामांकन से पहले दो इंस्पेक्टरों ने उनके साथ बदसलूकी की. इसकी शिकायत तत्कालीन पुलिस कमिश्नर से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने दोनों को हटाने की अनुमति दे दी. इसके बाद भी दोनों को नहीं हटाया गया.
बीजेपी नेताओं ने नेतृत्व के समक्ष गोमती नगर और इंदिरा नगर के मंडल अध्यक्षों की पुलिस पिटाई का मुद्दा भी उठाया. पार्षदों ने कहा कि, पुलिस दोनों मंडल अध्यक्षों को पकड़कर ले गई. इसका विरोध किया गया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, पिछले पांच सालों के दौरान दो बार बीजेपी पार्षदों के साथ पुलिस ने बदसलूकी की लेकिन. हर बार पार्टी की तरफ से पार्षदों को ही कार्रवाई की चेतावनी देते हुए चुप करवा दिया गया.
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