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हरियाणा के अस्पतालों में सुप्रीम कोर्ट सिफारिशें होंगी लागू, रात को ट्रांसपोर्ट सुविधा और पुलिस चौकी की होगी सुविधा - SECURITY IN HARYANA HOSPITALS

हरियाणा में सुप्रीम कोर्ट की नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशें लागू होंगी. अस्पतालों में रात को ट्रांसपोर्ट सुविधा व पुलिस चौकी की व्यवस्था होगी.

SECURITY IN HARYANA HOSPITALS
हरियाणा के अस्पतालों में सुप्रीम कोर्ट सिफारिशें होंगी लागू (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 15, 2025, 1:17 PM IST

पंचकूला: कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या की वारदात के बाद सुप्रीम कोर्ट की नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशें अब हरियाणा में भी लागू की जाएंगी. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने आदेश जारी करने के साथ साथ टास्क फोर्स की रिपोर्ट सभी सिविल सर्जन, आईएमए, आईडीए व निजी अस्पतालों के लिए जारी की है. साथ ही 18 जनवरी तक इस संबंधी आपत्ति या सुझाव भी मांगे हैं.

रात में मिलेगी परिवहन सुविधा और सुरक्षा

रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के अस्पतालों में अब जल्द ही रात के समय ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों व नर्स आदि को परिवहन सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा उनकी सुरक्षा भी पहले से अधिक पुख्ता की जाएगी. नतीजतन सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों को पुलिस से अपना चरित्र सत्यापन कराना होगा, जिसमें उनकी मानसिक स्थिति की जांच होगी.

इन अस्पतालों में होगा सेफ्टी कंट्रोल रूम

प्रदेश में 500 या इससे अधिक बेडे वाले अस्पतालों में सेफ्टी कंट्रोल रूम बनाना होगा. अस्पताल के प्रवेश-निकास, एमरजेंसी, कोरिडोर, आईसीयू आदि में सीसीटीवी लगाने होंगे. बड़े अस्पताल में पुलिस चौकियां स्थापित कर सकते हैं. साथ ही जिन अस्पताल परिसरों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या रहती है, उसे ठीक करने की सिफारिश भी की गई है.

इन सिफारिशों को भी करना होगा लागू

  • डॉक्टरों और नर्स के लिए ड्यूटी के दौरान अलग-अलग विश्राम कक्ष व ड्यूटी रूम बनाकर वहां सुरक्षा उपकरण लगाने होंगे. बायोमैट्रिक व चेहरे की पहचान के गैजेट समेत महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंच के लिए तकनीक इस्तेमाल करनी होगी.
  • अस्पतालों में कर्मचारी-सुरक्षा समितियों का गठन करना होगा. सुरक्षा उपायों की प्रत्येक तिमाही में ऑडिट होगी. इस समिति में डॉक्टर, ट्रेनी, रेजीडेंट डाक्टर और नर्स शामिल होंगे और समिति परिसर की समीक्षा करेगी. परिवर्तन की जरूरत लगने पर वह अस्पताल को रिपोर्ट देगी.
  • अस्पतालों में प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करनी होगी, जो अस्पताल परिसर के प्रवेश और निकास द्वार समेत आपातकालीन, आईसीयू और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात होंगे. बड़े अस्पतालों में सुरक्षाकर्मियों की क्यूआरटी टीम रखनी होगी. पूर्व सैनिकों को बतौर सुरक्षाकर्मी नियुक्ति देने को प्राथमिकता देनी होगी. राज्य के अपने सुरक्षा बलों से भी ऐसे कर्मियों की नियुक्ति की संभावना तलाशी जा सकती है. सुरक्षाकर्मियों की वार्षिक स्वास्थ्य जांच करनी होगी और इन्हें अस्पताल परिसर व वहां की स्थिति के बारे में बताना होगा. साथ ही सुरक्षाकर्मियों को विशेष रूप से भीड़ और पीड़ित जन के प्रबंधन का प्रशिक्षण देना होगा.
  • दिन-रात खुले रहने वाले अस्पतालों में रात को ड्यूटी करने वाले डाक्टर और स्टाफ को दस बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन सुविधा देनी होगी. ऑन-कॉल डॉक्टरों-कर्मचारियों को ड्यूटी स्थल तक लाने और वापस ले जाने के लिए भी परिवहन सुविधा देनी होगी. सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस और सभी सरकारी वाहनों में जीपीएस लगाना होगा. प्रत्येक वाहन की लाइव स्थिति नियंत्रण कक्ष में दर्शाई जाएगी.

अस्पतालों में शी-बॉक्स पोर्टल की सुविधा

अस्पतालों में यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) की सुविधा देनी होगी. इसके तहत ऐसा पोर्टल बनाना होगा, जिसके माध्यम से कोई भी महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सके. अस्पताल की महिला कर्मचारी या मरीजों के साथ आई महिला भी इस पर शिकायत कर सकेगी.

ये भी पढ़ें- जींद के निजी अस्पताल में मौत पर परिजनों ने किया बवाल, डीएसपी के हस्तक्षेप से थमा मामला

ये भी पढ़ें- फरीदाबाद में डॉक्टरों ने किया कमाल, सक्सेसफुल सर्जरी कर दो बच्चों को दिया जीवनदान

पंचकूला: कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या की वारदात के बाद सुप्रीम कोर्ट की नेशनल टास्क फोर्स की सिफारिशें अब हरियाणा में भी लागू की जाएंगी. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने आदेश जारी करने के साथ साथ टास्क फोर्स की रिपोर्ट सभी सिविल सर्जन, आईएमए, आईडीए व निजी अस्पतालों के लिए जारी की है. साथ ही 18 जनवरी तक इस संबंधी आपत्ति या सुझाव भी मांगे हैं.

रात में मिलेगी परिवहन सुविधा और सुरक्षा

रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के अस्पतालों में अब जल्द ही रात के समय ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों व नर्स आदि को परिवहन सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा उनकी सुरक्षा भी पहले से अधिक पुख्ता की जाएगी. नतीजतन सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों को पुलिस से अपना चरित्र सत्यापन कराना होगा, जिसमें उनकी मानसिक स्थिति की जांच होगी.

इन अस्पतालों में होगा सेफ्टी कंट्रोल रूम

प्रदेश में 500 या इससे अधिक बेडे वाले अस्पतालों में सेफ्टी कंट्रोल रूम बनाना होगा. अस्पताल के प्रवेश-निकास, एमरजेंसी, कोरिडोर, आईसीयू आदि में सीसीटीवी लगाने होंगे. बड़े अस्पताल में पुलिस चौकियां स्थापित कर सकते हैं. साथ ही जिन अस्पताल परिसरों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या रहती है, उसे ठीक करने की सिफारिश भी की गई है.

इन सिफारिशों को भी करना होगा लागू

  • डॉक्टरों और नर्स के लिए ड्यूटी के दौरान अलग-अलग विश्राम कक्ष व ड्यूटी रूम बनाकर वहां सुरक्षा उपकरण लगाने होंगे. बायोमैट्रिक व चेहरे की पहचान के गैजेट समेत महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंच के लिए तकनीक इस्तेमाल करनी होगी.
  • अस्पतालों में कर्मचारी-सुरक्षा समितियों का गठन करना होगा. सुरक्षा उपायों की प्रत्येक तिमाही में ऑडिट होगी. इस समिति में डॉक्टर, ट्रेनी, रेजीडेंट डाक्टर और नर्स शामिल होंगे और समिति परिसर की समीक्षा करेगी. परिवर्तन की जरूरत लगने पर वह अस्पताल को रिपोर्ट देगी.
  • अस्पतालों में प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करनी होगी, जो अस्पताल परिसर के प्रवेश और निकास द्वार समेत आपातकालीन, आईसीयू और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात होंगे. बड़े अस्पतालों में सुरक्षाकर्मियों की क्यूआरटी टीम रखनी होगी. पूर्व सैनिकों को बतौर सुरक्षाकर्मी नियुक्ति देने को प्राथमिकता देनी होगी. राज्य के अपने सुरक्षा बलों से भी ऐसे कर्मियों की नियुक्ति की संभावना तलाशी जा सकती है. सुरक्षाकर्मियों की वार्षिक स्वास्थ्य जांच करनी होगी और इन्हें अस्पताल परिसर व वहां की स्थिति के बारे में बताना होगा. साथ ही सुरक्षाकर्मियों को विशेष रूप से भीड़ और पीड़ित जन के प्रबंधन का प्रशिक्षण देना होगा.
  • दिन-रात खुले रहने वाले अस्पतालों में रात को ड्यूटी करने वाले डाक्टर और स्टाफ को दस बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन सुविधा देनी होगी. ऑन-कॉल डॉक्टरों-कर्मचारियों को ड्यूटी स्थल तक लाने और वापस ले जाने के लिए भी परिवहन सुविधा देनी होगी. सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस और सभी सरकारी वाहनों में जीपीएस लगाना होगा. प्रत्येक वाहन की लाइव स्थिति नियंत्रण कक्ष में दर्शाई जाएगी.

अस्पतालों में शी-बॉक्स पोर्टल की सुविधा

अस्पतालों में यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) की सुविधा देनी होगी. इसके तहत ऐसा पोर्टल बनाना होगा, जिसके माध्यम से कोई भी महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सके. अस्पताल की महिला कर्मचारी या मरीजों के साथ आई महिला भी इस पर शिकायत कर सकेगी.

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