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मिड डे मील कर्मियों को मायूसी, SC ने मंजूर की हिमाचल सरकार की दलील, 12 माह का मानदेय जारी करने वाले HC के फैसले पर रोक - SC on mid day meal workers salary

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

SC on Himachal Pradesh mid day meal workers salary: हिमाचल हाईकोर्ट ने मिड डे मील कर्मियों को दस माह की बजाय 12 माह का मानदेय देने के आदेश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है. इससे हजारों मिड-डे मील कर्मियों को निराश हाथ लगी है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ETV BHARAT)

शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने मिड डे मील कर्मियों से जुड़े एक मामले में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है. साथ ही मिड डे मील कर्मियों को भी मायूसी मिली है. हिमाचल हाईकोर्ट ने मिड डे मील कर्मियों को दस माह की बजाय 12 माह का मानदेय देने के आदेश जारी किए थे. इस आदेश को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की दलीलों से प्रथम दृष्टया सहमति जताई और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. इससे मिड डे मील कर्मियों को मायूसी हाथ लगी है. दरअसल, मिड डे मील कर्मी ये चाहते थे कि उन्हें स्कूलों में दो माह के अवकाश के दौरान भी मानदेय मिले. राज्य सरकार की दलील थी कि ये केंद्र की योजना है और इसमें राज्य सरकार बदलाव नहीं कर सकती. हाईकोर्ट ने ये कहा कि जब प्रदेश सरकार अपने स्तर पर मानदेय बढ़ा सकती है तो दो माह का वेतन भी दे सकती है.

हिमाचल में 13 हजार से अधिक स्कूलों में 22 हजार से अधिक मिड डे मील वर्कर सेवारत हैं. राज्य सरकार रोजाना पांच लाख बच्चों को मिड डे मील प्रदान करती है. मिड डे मील बनाने के लिए स्कूलों में मिड डे मील कार्यकर्ता नियुक्त हैं. इन्हें राज्य सरकार मानदेय जारी करती है. मिड डे मील कर्मी चाहते थे कि उन्हें भी दो माह के अवकाश के दौरान का मानदेय दिया जाए. हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया था.

हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. जहां न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और सभी पक्षों को नोटिस जारी किए. मिड डे मील वर्कर्स की तरफ से मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हाईकोर्ट में गई थी. हाईकोर्ट ने इसी साल 14 मई को उनके हक में फैसला जारी किया था. राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने कहा था कि जब आप अपने स्तर पर इनका मानदेय बढ़ा सकते हैं तो फिर दो माह के अवकाश के दौरान का वेतन भी दे सकते हैं. फिलहाल, मिड डे मील वर्कर्स के लिए मायूसी हाथ लगी है. राज्य सरकार की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है कि योजना केंद्र की है और इसमें राज्य बदलाव नहीं कर सकता.

शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने मिड डे मील कर्मियों से जुड़े एक मामले में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है. साथ ही मिड डे मील कर्मियों को भी मायूसी मिली है. हिमाचल हाईकोर्ट ने मिड डे मील कर्मियों को दस माह की बजाय 12 माह का मानदेय देने के आदेश जारी किए थे. इस आदेश को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की दलीलों से प्रथम दृष्टया सहमति जताई और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. इससे मिड डे मील कर्मियों को मायूसी हाथ लगी है. दरअसल, मिड डे मील कर्मी ये चाहते थे कि उन्हें स्कूलों में दो माह के अवकाश के दौरान भी मानदेय मिले. राज्य सरकार की दलील थी कि ये केंद्र की योजना है और इसमें राज्य सरकार बदलाव नहीं कर सकती. हाईकोर्ट ने ये कहा कि जब प्रदेश सरकार अपने स्तर पर मानदेय बढ़ा सकती है तो दो माह का वेतन भी दे सकती है.

हिमाचल में 13 हजार से अधिक स्कूलों में 22 हजार से अधिक मिड डे मील वर्कर सेवारत हैं. राज्य सरकार रोजाना पांच लाख बच्चों को मिड डे मील प्रदान करती है. मिड डे मील बनाने के लिए स्कूलों में मिड डे मील कार्यकर्ता नियुक्त हैं. इन्हें राज्य सरकार मानदेय जारी करती है. मिड डे मील कर्मी चाहते थे कि उन्हें भी दो माह के अवकाश के दौरान का मानदेय दिया जाए. हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया था.

हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. जहां न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और सभी पक्षों को नोटिस जारी किए. मिड डे मील वर्कर्स की तरफ से मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हाईकोर्ट में गई थी. हाईकोर्ट ने इसी साल 14 मई को उनके हक में फैसला जारी किया था. राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने कहा था कि जब आप अपने स्तर पर इनका मानदेय बढ़ा सकते हैं तो फिर दो माह के अवकाश के दौरान का वेतन भी दे सकते हैं. फिलहाल, मिड डे मील वर्कर्स के लिए मायूसी हाथ लगी है. राज्य सरकार की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है कि योजना केंद्र की है और इसमें राज्य बदलाव नहीं कर सकता.

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