जयपुर: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 21 अगस्त बुधवार को भारत बंद किया जा रहा है. वहीं, कुछ संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन और भारत बंद के विरोध में उतर गए हैं. आरक्षण से वंचित SC/ST समाज संघर्ष समिति, राजस्थान की ओर से मंगलवार को जयपुर कलेक्ट्रेट पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में प्रदर्शन किया और बुधवार के भारत बंद का विरोध किया गया. संघर्ष समिति के सदस्यों ने कलेक्ट्रेट पर नारेबाजी भी की.
आरक्षण से वंचित एससी/एसटी समाज संघर्ष समिति राजस्थान के प्रदेश संयोजक राकेश बिड़ावत के नेतृत्व में लोग जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर एकत्र हुए. यहां लोगों ने संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के समर्थन में नारेबाजी की. राकेश बिड़ावत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को एससी/एसटी आरक्षण में उप वर्गीकरण का फैसला दिया था. हमारी मांग है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लागू करे, ताकि आरक्षण से वंचित लोगों को इसका लाभ मिल सके. इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम सुरेश कुमार नवल को ज्ञापन भी दिया गया. उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति में आरक्षण से वंचित समाज के लोग शामिल हैं और इन जातियों को आजादी के 75 साल बाद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि जिन एससी/एसटी लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला है, उन्होंने आरक्षण से वंचित समाज के लोगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से वंचित लोगों का दर्द जाना और उनको आरक्षण का लाभ देने का फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का फैसला दिया है कि राज्य सरकार इस फैसले को अपने-अपने राज्यों में लागू कर सकती है.
उन्होंने कहा कि भीमराव अंबेडकर का ध्येय था कि शोषित और वंचितों को आरक्षण का लाभ मिले. जब देश आजाद हुआ था तब भी यही स्थिति थी और आज भी यही स्थिति है. जब शोषण और वंचित लोगों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा. हमारी मांग है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करे. राकेश बिड़ावत ने कहा कि सोशल मीडिया से सूचना मिल रही है कि एससी/एसटी वर्ग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध भारत बंद किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी वर्ग की कुल 71 जातियां हैं, जिनमें से 50 से 55 जातियां आरक्षण से वंचित हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. यह सभी जातियां बंद के विरोध में नहीं हैं. केवल 5 से 7 जातियां ही भारत बंद कर रही हैं. हमने सरकार से अपील की है कि 21 अगस्त को सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोला जाए, हम लोग भारत बंद के समर्थन में नहीं हैं. एडवोकेट रामधन ने कहा कि जब से संविधान लागू हुआ है, तब से 55 से अधिक जातियां आरक्षण से पूरी तरह से वंचित हैं और अंतिम पायदान पर खड़ी हैं. उन्हें किसी भी तरह से आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा.
बुद्धिजीवियों से भी मेरी अपील है कि जिन जातियों को वास्तव में हक मिलना चाहिए उन्हें हक दिलाने में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करें. भारत बंद करने वाले एससी-एसटी भाइयों को सोचना चाहिए कि वह अपने ही भाइयों के विरोध में उतर गए हैं और भारत बंद कर रहे हैं. यह बड़े शर्म की बात है. रामधन ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हैं और उसका स्वागत करते हैं. बुधवार को होने वाले भारत बंद का हम लोग बहिष्कार करेंगे.