नई दिल्ली: 21 जून दिन शुक्रवार को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. हर वर्ष सूर्य आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. सूर्य जब इस नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तब पृथ्वी रजस्वला हो जाती है अर्थात ग्रह-नक्षत्र की इस स्थिति से 52 दिन तेज बारिश का योग बनता है. मान्यता है कि नौतपा के दौरान अगर भयंकर गर्मी पड़ती है तो आने वाले मानसून में वर्षा भी अच्छी होती है.
ज्योतिष आचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश आर्द्रा नक्षत्र में रात्रि में होता है, उस वर्ष भारी वर्षा के योग होते हैं. भारी वर्षा, आंधी, तूफान, बवंडर चक्रवात, भूकंप, आदि के कारण जनधन की हानि के संकेत बन रहे हैं. इसी दिन यानी 21 जून को प्रातः 4:22 पर सायन गणना के अनुसार सूर्य कर्क राशि में आ रहे हैं अर्थात वर्षा ऋतु का आरंभ होगा.
23 जून को सबसे बड़ा दिन होगा. सायन गणना में जब सूर्य कर्क राशि में आते हैं तो उसमें सूर्य उदय का समय धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. इस दिन से दिन छोटे और रात बड़ी होनी आरंभ जाती है. सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे और वर्षा ऋतु का संयोग बनता है.
आचार्य शिव कुमार शर्मा बताते हैं कि ज्योतिषीय ग्रन्थों के अनुसार 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र स्त्री नक्षत्र होते हैं कुछ पुरुष नक्षत्र होते हैं और कुछ नपुंसक नक्षत्र होते हैं. पुरुष और नपुंसक संख्या होती है. सूर्य और चंद्रमा परस्पर विपरीत नक्षत्रों अर्थात स्त्री पुरुष नक्षत्र में हो तो यह वर्षा का योग बनता है. 23 जून से सूर्य पुरुष नक्षत्र आर्द्रा में और चंद्रमा स्त्री नक्षत्र पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में होंगे. इसलिए वर्षा होने के बहुत अधिक संकेत मिल रहे हैं.
शिव कुमार शर्मा के अनुसार जब चंद्रमा और सूर्य परस्पर स्त्री और पुरुष नक्षत्र में होते हैं तो वर्षा होती है. सूर्य और चन्द्र दोनों स्त्री -स्त्री अथवा स्त्री- नपुंसक के नक्षत्र होती है तो वर्षा न होकर बादलों का आवागमन रहता है. यदि सूर्य व चंद्र पुरुष -पुरुष नक्षत्र में होते हैं तो वर्षा नहीं होती मौसम साफ रहता है.