शिमला: हिमाचल में वित्तीय संकट में घिरी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की परेशानियां खत्म होते नहीं दिख रही हैं. मुख्यमंत्री ने पहली अक्टूबर को जैसे-तैसे 1200 करोड़ की व्यवस्था करके सवा दो लाख कर्मचारियों खाते में सैलरी तो डाल दी है, लेकिन अब सरकार के सामने 9 अक्टूबर को पेंशनर्स के भुगतान की भी चुनौती है. प्रदेश में पौने दो लाख से अधिक पेंशनर्स की पेंशन के भुगतान के लिए सरकार को खजाने में अभी 800 करोड़ रुपए की रकम चाहिए.
इस पर दिक्कत ये है कि देशभर में 3 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र के साथ ही फेस्टिवल सीजन शुरू हो गया है. इसी महीने में दशहरा, करवा चौथ और हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीवाली तीनों ही प्रमुख पर्व मनाए जाने हैं. ऐसे में अक्टूबर महीने में जेब पर खर्च का भी अधिक बोझ पड़ता है, जिसके कारण सुक्खू सरकार पर 4 लाख पेंशनर्स और कर्मचारियों की डीए की किस्त जारी करने का दवाब है. हिमाचल में कर्मचारियों की डीए की तीन किश्तें पेंडिंग हैं, जिसके लिए सरकार को एक किश्त के लिए करीब 580 करोड़ रुपये की जरूरत है. प्रदेश में लंबे समय से इंतजार कर रहे लाखों कर्मचारियों ने भी सरकार को फेस्टिवल सीजन में डीए की कम से कम एक किश्त देने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है.
दशहरे के बाद होगा प्रदर्शन
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हरियाणा में प्रचार के बाद दिल्ली में हाईकमान से मिलने के बाद से शिमला लौट आए हैं. जिसके बाद सोमवार से सचिवालय में रूटीन का काम संभाल लिया है. इससे पहले बीमारी के कारण वे सरकारी आवास ओक ओवर में ही फाइलों को निपटा रहे थे. ऐसे में हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दो से तीन दिनों में कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुला सकते हैं. इसके बाद भी अगर मुख्यमंत्री और कर्मचारियों के बीच मांग को लेकर कोई बातचीत नहीं होती है तो दशहरे के बाद 14 अक्टूबर को सचिवालय के कर्मचारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ अध्यक्ष संजीव शर्मा का कहना है कि, 'फेस्टिवल सीजन में दीवाली से पहले सरकार को कम से कम डीए की एक किश्त जारी करनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने स्वस्थ होने के बाद सचिवालय में बैठ रहे हैं. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही कर्मचारियों को बैठक के लिए बुलाया जाएगा. अगर तीन से चार दिनों में वार्ता को लेकर कोई निर्णय नहीं होता है तो दशहरे के बाद 14 अक्टूबर को सचिवालय परिसर में कर्मचारियों का जरनल हाउस होगा. परिसंघ ने वार्ता पर बुलाए जाने से पहले कर्मचारियों को जारी मैमो और प्रिविलेज मोशन को वापस लेने की भी मांग रखी है.
ये है सरकार के खजाने की स्थिति
सरकार के खजाने का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन-पेंशन पर खर्च हो रहा है. हर महीने इन दो मदों में 2000 करोड़ रुपए चाहिए. अभी डीए की तीन किश्तें पेंडिंग हैं. फेस्टिवल सीजन में अगर डीए की एक किश्त भी देनी हो तो करीब 580 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. दिवाली पर कर्मचारियों को डीए की एक किश्त का इंतजार है. वहीं सरकार के खजाने में हर महीने रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का 520 करोड़ रुपए, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी का 740 करोड़ रुपए, खुद के टैक्स रेवेन्यू व नॉन टैक्स रेवेन्यू का अधिकतम 1200 करोड़ रुपए व अन्य मदों से करीब पांच सौ करोड़ रुपए मासिक का राजस्व जुटता है. जीएसटी कंपनसेशन बंद होने और रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का पैसा निरंतर कम होने से आर्थिक संकट और बढ़ गया है. लिहाजा सरकार के सामने हर महीने सैलरी और पेंशन के लिए 2000 करोड़ रुपए जुटाना सबसे बड़ी चुनौती है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का कहना है कि, 'सरकार के पास कर्ज लेने सहित अन्य साधनों से फंड का इंतजाम करने के कई तरह विकल्प होते हैं, जिससे सैलरी सहित पेंशन और डीए की किश्त जारी करने की व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन आने वाले समय में सरकार के सामने देनदारियों का संकट बढ़ता जाएगा.'
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