कोटा: अवसाद में आकर सुसाइड एक ट्रेंड है और अब हर शहर में बढ़ रहा है. कोटा भी इससे अछूता नहीं है. यहां आने वाले कोचिंग के छात्रों में अवसाद देखा जाता है. कोटा में सुसाइड का प्रतिशत स्टूडेंट की संख्या में काफी कम है, लेकिन फिर भी यह एक समस्या बनी हुई है. ऐसे में जैन संत आचार्य विजयराज के निर्देश पर एक अभियान श्री अखिल भारतीय भारतवर्ष साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावक संघ ने चलाया हुआ है.
संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बछराज लुणावत ने बताया कि श्री शांत क्रांति जैन श्रावक संघ ने दो साल पहले एक अभियान शुरू किया था. इसमें शामिल सभी लोगों को संकल्पित करते हैं कि किसी भी कठिन व विपरीत परिस्थितियों में हम हमारे आत्मविश्वास को, मनोबल को मजबूत रखेंगे. समस्याओं से संघर्ष करके आगे और आगे बढ़ने कि प्रेरणा देते हैं. संघ ने टोल फ्री नंबर के साथ कुछ मोबाइल नंबर भी दिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर सहायक बन सकें. हम अब तक 2 लाख से ज्यादा संकल्प पत्र भरवा चुके हैं, जिसे पढ़ने पर ही आत्महत्या का विचार व्यक्ति त्याग सकता है.
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संवाद ही हल, अवसाद में आने पर करीबी से करें बात : संस्था के हेमंत कोठारी ने बताया कि आचार्य विजयराज के संदेश के साथ में उपलब्ध संकल्प पत्र में जैनाचार्य ने पांच बिन्दुओं के साथ मार्गदर्शन सुझाया है. वह एकदम सरल व सुगम है. यदि कोई व्यक्ति किसी कारण से अवसाद में आ जाए तो यह संकल्प पत्र सही रास्ता दिखा देता है. आपसी संवाद का परिणाम हमेशा सुखद रहता है.
एसएफयू संकल्प समिति की कोटा प्रभारी सरिता जैन ने कहा कि कोटा हमारे प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश विदेश में भी शिक्षा कि काशी के नाम से विख्यात है. यहां समाज के सभी वर्गों के लोगों कि मेहनत, सहयोग, समर्थन, समर्पण भाव के कारण दूर दराज बैठे माता-पिता बच्चों को भविष्य के लिए कोटा भेजते हैं. यहां सबसे सुखद बात है कि पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन भी अपने दायित्व को समझ कर निर्वहन करते हैं. ऐसा वातावरण मिलने से सभी का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है.
10 सितंबर को कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स को करेंगे मोटिवेट : संस्था के अध्यक्ष राजू भूरट राष्ट्रीय ने बताया कि जैन संत की प्रेरणा से कोटा में भी हजारों बच्चों को मोटिवेट किया जाएगा. इसके लिए 10 सितम्बर को कोटा में होने जा रहा है, जिसमें हजारों बच्चे और उनके अभिभावकों को जीवन का महत्व, उनमें आत्मविश्वास की वृद्धि, नकारात्मकता को समाप्त करना, सकारात्मक उर्जा का संचार करने का पूरा प्रयास किया जाएगा. जिसमें कई बुद्धिजीवियों का मार्गदर्शन मिलेगा.
यह आचार्य विजय राज का संदेश :
"आत्मप्रिय
अतीत से सीखो...
वर्तमान को जियो...भविष्य से आशा रखो...
ये जीवन सौभाग्य रूप है, इसका मूल्यांकन आपके चिंतन-क्रियान्वयन-व्यवहार से है.
जीवन में मधुर सम्बन्धों को निभाने में विवाद नहीं, संवाद करें.
विफलता को सफलता की सीढ़ी माने उदासीनता का अड्डा नहीं.
जीवन में मधुर सम्बन्ध निभाने के लिए संवाद करें-विवाद नहीं.
आपका अपना जीवन, बहुतों के लिए शान्ति-समाधि एवं स्वस्थता में साधक, उपवन एवं संजीवन रूप है.
उड़ान हौसलों से होती है सिर्फ पंखों से नहीं."
-आचार्य विजयराज