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कोरोना वैक्सीन लगवाने वाली माताओं का दूध शिशुओं के लिए बना वरदान, ये है वजह - CORONA VIRUS VACCINE

शोधकर्ताओं ने किया खुलासा. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में शोध को मिला स्थान.

कोरोना वायरस वैक्सीन
कोरोना वायरस वैक्सीन (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

लखनऊ: कोरोना वायरस से जान बचाने में टीकाकरण ने बड़ी भूमिका अदा की है. यह स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए भी वरदान साबित हुआ है. केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला है. इसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में स्थान मिला है.

मुख्य शोधकर्ता डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक को वैक्सीन और कोविशील्ड टीकों से वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी आईजीए व आईजीजी बनीं. टीकाकरण के बाद स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध से उनके शिशुओं में एंटीबॉडी की जांच के लिए इस अध्ययन की रूपरेखा तैयार की गई. इसके तहत 151 महिलाओं के नमूने जमा किए गए. इन्हें माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर रखा गया. व्यावसायिक रूप से उपलब्ध किटों से एलाइजा परीक्षण कर कराई जांच में पाया गया कि दूध में पर्याप्त एंटीबॉडी है.

दो खुराक लेने वाली महिलाओं में ज्यादा एंटीबॉडी: अध्ययन में शामिल 151 महिला प्रतिभागियों में से 76 (50.3 फीसदी) ने टीकाकरण कराया था. इनमें से 70 (92.1 फीसदी) को कोवीशील्ड और 6 (7.9 फीसदी) को को वैक्सीन टीका लगा था. इनमें आईजीए एंटीबॉडी (34.6 फीसदी) और आईजीजी एंटीबॉडी (36.4 प्रतिशत) मिली. टीकाकरण कराने वाली महिलाओं में से 32 (42.1 फीसदी) ने दोहरी खुराक ली थी. इनमें आईजीए एंटीबॉडी (63.6 फीसदी) और आईजीजी एंटीबॉडी (65.4 फीसदी) मिली.

बगैर टीकाकरण वाली महिलाओं में कम थी एंटीबॉडी: अध्ययन में देखा गया कि बिना कोविड टीकाकरण वाली महिलाओं में एंटीबॉडी कम थी. इनमें 28.9 प्रतिशत आईजीए और 5.3 प्रतिशत आईजीजी एंटीबॉडी मिली. यह भी महामारी के समय ज्यादातर आबादी में अपने आप विकसित हुई. एंटीबॉडी की वजह से हो सकती है. अध्ययन में डॉ. शीतल वर्मा, डॉ. आस्था यादव, डॉ. विमला वेंकटेंश, डॉ. अमिता जैन, डॉ. माला कुमार, डॉ. शालिनी त्रिपाठी और डॉ. रेनू सिंह शामिल रहे.

लखनऊ: कोरोना वायरस से जान बचाने में टीकाकरण ने बड़ी भूमिका अदा की है. यह स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए भी वरदान साबित हुआ है. केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला है. इसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में स्थान मिला है.

मुख्य शोधकर्ता डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक को वैक्सीन और कोविशील्ड टीकों से वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी आईजीए व आईजीजी बनीं. टीकाकरण के बाद स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध से उनके शिशुओं में एंटीबॉडी की जांच के लिए इस अध्ययन की रूपरेखा तैयार की गई. इसके तहत 151 महिलाओं के नमूने जमा किए गए. इन्हें माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर रखा गया. व्यावसायिक रूप से उपलब्ध किटों से एलाइजा परीक्षण कर कराई जांच में पाया गया कि दूध में पर्याप्त एंटीबॉडी है.

दो खुराक लेने वाली महिलाओं में ज्यादा एंटीबॉडी: अध्ययन में शामिल 151 महिला प्रतिभागियों में से 76 (50.3 फीसदी) ने टीकाकरण कराया था. इनमें से 70 (92.1 फीसदी) को कोवीशील्ड और 6 (7.9 फीसदी) को को वैक्सीन टीका लगा था. इनमें आईजीए एंटीबॉडी (34.6 फीसदी) और आईजीजी एंटीबॉडी (36.4 प्रतिशत) मिली. टीकाकरण कराने वाली महिलाओं में से 32 (42.1 फीसदी) ने दोहरी खुराक ली थी. इनमें आईजीए एंटीबॉडी (63.6 फीसदी) और आईजीजी एंटीबॉडी (65.4 फीसदी) मिली.

बगैर टीकाकरण वाली महिलाओं में कम थी एंटीबॉडी: अध्ययन में देखा गया कि बिना कोविड टीकाकरण वाली महिलाओं में एंटीबॉडी कम थी. इनमें 28.9 प्रतिशत आईजीए और 5.3 प्रतिशत आईजीजी एंटीबॉडी मिली. यह भी महामारी के समय ज्यादातर आबादी में अपने आप विकसित हुई. एंटीबॉडी की वजह से हो सकती है. अध्ययन में डॉ. शीतल वर्मा, डॉ. आस्था यादव, डॉ. विमला वेंकटेंश, डॉ. अमिता जैन, डॉ. माला कुमार, डॉ. शालिनी त्रिपाठी और डॉ. रेनू सिंह शामिल रहे.

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