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रिस्क लेकर छोड़ी नौकरी और खुद बना बॉस, आज 520 करोड़ टर्नओवर.. आखिर नवनीत सिंह ने ऐसा क्‍या किया? - Success Story

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 30, 2024, 7:02 AM IST

Updated : Aug 30, 2024, 5:21 PM IST

Young Entrepreneur Navneet Kumar: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. सोहनलाल द्विवेदी के द्वारा लिखी हुई यह कविता कुछ लोगों पर एकदम सटीक बैठती है. ऐसे ही लोगों में से एक हैं नवनीत कुमार सिंह. नवनीत कुमार सिंह ने नौकरी छोड़कर खुद की कंपनी खोलने का निर्णय लिया. कम पैसे से शुरू की गई कंपनी आज अरबो रुपए की हो गई है. पढ़ें पूरी खबर.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
नवनीत कुमार सिंह (ETV Bharat)

पटना: बिहार के युवा पूरे विश्व में परचम लहरा रहे हैं. देश हो या विदेश अपनी मेहनत और आत्मबल की छाप छोड़ रहे हैं. नवयुवक उद्योगपति नवनीत कुमार सिंह इन्हीं में से है. बेगूसराय में बचपन बिताया, बेंगलुरु में उच्च शिक्षा ग्रहण की और आज एक सफल उद्यमी हैं. आइये आपको बताते हैं कैसा रहा नवनीत कुमार सिंह का सफर.

बेगूसराय में बीता बचपन: बेगूसराय के मोहनपुर गांव में नवनीत कुमार सिंह का बचपन बीता. नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि 4 साल की अवस्था में उनके पिताजी उन लोगों को लेकर गांव से बेगूसराय शहर में शिफ्ट हो गए. वहीं उनके फूफा जी का एक प्राइवेट स्कूल विद्या मंदिर चलता था. कक्षा 6 तक की पढ़ाई इस स्कूल में नवनीत सिंह की हुई. कक्षा 7 में उनका नामांकन केंद्रीय विद्यालय में हो गया.

10वीं तक असम में पढ़े: नवनीत की मां केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका हैं. उनकी मां का ट्रांसफर असम के मिसामारी केंद्रीय विद्यालय में हो गया था. वहीं पर केंद्रीय विद्यालय में नवनीत सिंह का नामांकन हुआ और 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने असम में केंद्रीय विद्यालय में ही की. इसके बाद उनकी मम्मी का ट्रांसफर बेगूसराय हो गया और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विद्यालय बेगूसराय से पूरी की.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
नवयुवक उद्योगपति नवनीत (ETV Bharat)

पिताजी कॉलेज में प्रोफेसर: नवनीत के पिताजी का बेगूसराय में मेडिकल का दुकान था. इसके अलावा वह एक वित्त रहित कॉलेज में प्रोफेसर भी थे. शुरू में वित्त रहित कॉलेज की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन बाद में वह कॉलेज का सरकारी कारण हो गया और उनके पिताजी एमआरजेडी कॉलेज के प्राध्यापक हुए.

उच्च शिक्षा के लिए बेंगलुरु गए: प्लस टू करने के बाद नवनीत सिंह को आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिताजी ने उनका नामांकन बेंगलुरु में करवाया. एमएस रमैया कॉलेज में उनका नामांकन ग्रेजुएशन में करवाया गया. इस कॉलेज से उन्होंने एमबीए की डिग्री भी हासिल की. एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया.

6 साल तक की नौकरी: 2011 में नवनीत कुमार सिंह को फ्लिपकार्ट में नौकरी लगी. एमबीए करने के कारण उनको एचआर डिपार्टमेंट में नौकरी मिली. 24000 वेतन पर उन्होंने फ्लिपकार्ट में काम करना शुरू किया. 4 साल फ्लिपकार्ट में नौकरी की. इसके बाद ओला में और बाद में स्विगी कंपनी में उन्होंने नौकरी की. कुल 6 साल तक उन्होंने बेंगलुरु में नौकरी की.

कंपनी खोलने का निर्णय: नवनीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, 6 वर्ष तक नौकरी करने के बाद अचानक उनके मन में अपना काम शुरू करने का ख्याल आया. चुंकी वह हर डिपार्टमेंट में रिक्रूटर था. मैं देखता था कि लोग नौकरी के लिए कंपनी में आते हैं, इंटरव्यू देते हैं. कंपनी को अपने मन मुताबिक एंप्लॉय नहीं मिलता था.

''जब अपने परिपेक्ष में देखा तो हूं, सारे ऐसे लड़के हैं जो नौकरी की तलाश में हैं और उनको नौकरी नहीं मिल रही है. यदि मिलती भी थी तो मन मुताबिक काम नहीं मिलता था और कम सैलरी में नौकरी मिलती थी. वहीं से मन में यह ख्याल आया कि जो काम हम किसी कंपनी के लिए बैठकर कर रहे हैं, क्यों नहीं अपनी कंपनी खोल के लोगों के लिए यह काम करें.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

3 लाख 75 हजार रुपये से शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद की कंपनी खोलने का निर्णय लिया. कंपनी खोलने में बहुत पैसे की जरूरत होती है, लेकिन उनके पास कुल जमा पूंजी 3 लाख 75 हजार ही थी. उसमें भी कुछ पैसे पत्नी के जमा किए हुए उन्होंने लिए. 3,75000 से उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत बेंगलुरु में की. जब कंपनी की शुरुआत हो गई तब उनके तीन दोस्तों ने जो पहले से नौकरी कर रहे थे, उन्होंने कुछ पूंजी इस कंपनी में लगाई. इस तरीके से कुछ दिनों के बाद कंपनी की कुल पूंजी 15 लाख रुपए हुई.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
नवनीत कुमार सिंह (ETV Bharat)

'अवसर' की शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने अवसर नाम की कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. 2016 में बड़ी मशक्कत के बाद कंपनी को 'अवसर' नाम मिला. उन्होंने बेंगलुरु में विधिवत कंपनी का ऑफिस खोला.

''कंपनी खोलना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने बदौलत इस मार्केट में अपने आप को साबित करना किसी चुनौती से कम नहीं होती है. यही कारण था कि जिन दोस्तों ने मेरी मदद की, वह भी कंपनी के साथ नहीं जुड़े. वह अपना नौकरी पहले की कंपनी में करते रहे. हालांकि जब कंपनी मार्केट में काम करना शुरू कर दिया तो बाद में जाकर दोस्तों ने इस कंपनी को ज्वाइन किया.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

'माता पिता से छुपा कर कंपनी खोली': नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि चुंकि मम्मी और पिताजी दोनों अध्यापक थे. इसीलिए जब उन्होंने अपनी कंपनी खोलने का निर्णय लिया तो उन्होंने मम्मी-पापा को इसकी जानकारी नहीं दी. उनको इस बात का अंदेशा था कि यदि नौकरी छोड़कर बिजनेस की बात बताएंगे, तो वह लोग इसके लिए तैयार नहीं होंगे. दूसरी बात जब वह नौकरी कर रहे थे इसी बीच में उनकी शादी हो गई थी और शादी होने के बाद यदि नौकरी छोड़कर कोई नया रिस्क ले इसके लिए परिवार राजी नहीं होता. लेकिन उनके कंपनी खोलने के निर्णय में उनकी पत्नी ने बहुत सपोर्ट किया.

6 माह का टार्गेट लिया: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि एक अच्छी खासी कंपनी में नौकरी कर रहा था. बेंगलुरु जैसे शहर में अपने और पत्नी की जिम्मेवारी थी. फिर भी कंपनी खोलने का रिस्क लिया. उन्होंने बताया कि वह अपने लिए 6 महीने का उन्होंने टारगेट रखा. अपनी पत्नी को बताया कि 6 महीने तक का वह समय निर्धारित किए हैं. अभी मम्मी पापा को कुछ नहीं बताना है यदि 6 महीने में मैं सफल नहीं रहा तो फिर से नौकरी शुरू कर दूंगा.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
बिहार के युवा उद्योगपति (ETV Bharat)

''बिहार में लोगों के बीच यह धारणा है कि यदि कोई अपने करियर में सफल नहीं होता है तो वह बिजनेस की तरफ अपना मुंह मोड़ता है. इसी अवधारणा को उन्होंने तोड़ने का प्रयास किया. यही कारण था कि मम्मी पिता जी को एवं समाज के लोगों को बिजनेस में जाने की सूचना नहीं दी.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

बेंगलुरु से गुड़गांव हुए शिफ्ट: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी धीरे-धीरे तरक्की करने लगी. बेंगलुरु से उन्होंने गुड़गांव में शिफ्ट होने का फैसला किया. आज उनकी कंपनी का हेड ऑफिस गुड़गांव से संचालित होता है. गुड़गांव स्थित उनके ऑफिस में लगभग 70 लोग अभी काम कर रहे हैं. बेंगलुरु में भी आज उनका ऑफिस उसी तरीके से काम कर रही है. नवनीत ने बताया कि आज 20 राज्यों में 44 जगह पर उनके ऑफिस काम कर रहा है. बिहार में तीन जगह पटना बेगूसराय एवं बांका में उनके ऑफिस चल रहा है.

47 हजार लोगों को जॉब प्रोवाइड: नवनीत सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी के द्वारा इस वर्ष तक करीब 47000 लोगों को जॉब प्रोवाइड करवाई गई है. उनकी कंपनी के द्वारा तीन कैटेगरी के कर्मचारियों की नियुक्ति करवाई जाती है. जनरल स्टाफिंग का काम जो हमारे पैरोल पर रहते हैं और हमारे क्लाइंट के यहां काम करते हैं. उनके क्लाइंट के यहां वे लोग मैनपॉवर वेंडर प्रमोट करवाते हैं.

अवसर के 100 से अधिक क्लाइंट: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि भारत की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां उनके क्लाइंट है. जिसमें फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, शैडोफैक्स. मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में आईफोन का भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट, टाटा इलेक्ट्रॉनिक, वैकट्रॉन, रिलायंस, फोनपे, बिगबास्केट इन कंपनियों में हमारे पैरोल पर कर्मचारी नियुक्त हैं, लेकिन काम इंक्लाइंड की कंपनियों में करते हैं. नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि पूरे भारत की 100 से अधिक ऐसी कंपनियां उनके क्लाइंट हैं.

520 करोड़ की कंपनी: 2016 में 3 लाख 75 हजार से शुरू की गई कंपनी अब अरबों रुपए की हो गई है. 37 साल के नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में उनकी कंपनी का टर्नओवर 520 करोड़ रुपए था. इस वित्तीय वर्ष का अभी हिसाब पूरा नहीं हुआ है. 8 वर्षों में नवनीत सिंह की कंपनी लाख से अरब रुपए में पहुंच गई है.

कोविड का समय परीक्षा की घड़ी: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि 2016 में कंपनी की शुरुआत की और 2019 के अंत में पूरे विश्व में कोविड का प्रकोप आया. 2020 में उनकी कंपनी के थ्रू 15000 लोग नौकरी कर रहे थे. लेकिन जैसे ही देश में लॉकडाउन शुरू हुआ 3 दिन के अंदर में उनके क्लाइंट ने 9000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया.

'मन में घबराहट होने लगी थी': जिनकी नौकरी जा रही थी उनको लग रहा था कि वह उनको नौकरी से निकल रहे हैं लेकिन हकीकत यह थी कि उनकी कंपनी के क्लाइंट उन्हें नौकरी से हटा रहे थे. उस समय मन में एक घबराहट सी थी की अब क्या होगा? बाकी 6000 लोगों का क्या होगा जो नौकरी कर रहे थे, उसको लेकर चिंता थी कि यह अब कैसे मैनेज होगा? लेकिन जिन 6000 लोगों को कंपनियों ने नौकरी पर रखा था वह लोग सपोर्ट किए. धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता गया. उन्होंने यह सोच लिया था कि इस फील्ड में जमे रहना है एक न एक दिन अच्छा दिन आएगा. कोविड के दौरान ही दो-तीन महीने के बाद ई-कॉमर्स मार्केट में अचानक बूम किया और उनकी कंपनी को संभालने का मौका मिल गया.

नवनीत सिंह का लक्ष्य: नवनीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भारत में सर्विस एवं HR प्रोवाइड करने वाली भारत की 2 बड़ी कंपनी है. पहले क्वेस कॉर्प और दूसरा टीम लीज है. इसके बाद तीन-चार विदेशी कंपनियां है. उनकी कंपनी अभी टॉप 10 में है. पूरे देश में उनके कंपनी का स्थान अभी 10 वां है. उनकी कोशिश होगी कि अगले 5 वर्ष में उनकी कंपनी देश की टॉप 5 कंपनियों में रहे. इसी को लक्ष्य में रखते हुए वह देश के और भी बड़े कंपनियों के संपर्क में हैं.

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पटना: बिहार के युवा पूरे विश्व में परचम लहरा रहे हैं. देश हो या विदेश अपनी मेहनत और आत्मबल की छाप छोड़ रहे हैं. नवयुवक उद्योगपति नवनीत कुमार सिंह इन्हीं में से है. बेगूसराय में बचपन बिताया, बेंगलुरु में उच्च शिक्षा ग्रहण की और आज एक सफल उद्यमी हैं. आइये आपको बताते हैं कैसा रहा नवनीत कुमार सिंह का सफर.

बेगूसराय में बीता बचपन: बेगूसराय के मोहनपुर गांव में नवनीत कुमार सिंह का बचपन बीता. नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि 4 साल की अवस्था में उनके पिताजी उन लोगों को लेकर गांव से बेगूसराय शहर में शिफ्ट हो गए. वहीं उनके फूफा जी का एक प्राइवेट स्कूल विद्या मंदिर चलता था. कक्षा 6 तक की पढ़ाई इस स्कूल में नवनीत सिंह की हुई. कक्षा 7 में उनका नामांकन केंद्रीय विद्यालय में हो गया.

10वीं तक असम में पढ़े: नवनीत की मां केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका हैं. उनकी मां का ट्रांसफर असम के मिसामारी केंद्रीय विद्यालय में हो गया था. वहीं पर केंद्रीय विद्यालय में नवनीत सिंह का नामांकन हुआ और 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने असम में केंद्रीय विद्यालय में ही की. इसके बाद उनकी मम्मी का ट्रांसफर बेगूसराय हो गया और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विद्यालय बेगूसराय से पूरी की.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
नवयुवक उद्योगपति नवनीत (ETV Bharat)

पिताजी कॉलेज में प्रोफेसर: नवनीत के पिताजी का बेगूसराय में मेडिकल का दुकान था. इसके अलावा वह एक वित्त रहित कॉलेज में प्रोफेसर भी थे. शुरू में वित्त रहित कॉलेज की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन बाद में वह कॉलेज का सरकारी कारण हो गया और उनके पिताजी एमआरजेडी कॉलेज के प्राध्यापक हुए.

उच्च शिक्षा के लिए बेंगलुरु गए: प्लस टू करने के बाद नवनीत सिंह को आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिताजी ने उनका नामांकन बेंगलुरु में करवाया. एमएस रमैया कॉलेज में उनका नामांकन ग्रेजुएशन में करवाया गया. इस कॉलेज से उन्होंने एमबीए की डिग्री भी हासिल की. एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया.

6 साल तक की नौकरी: 2011 में नवनीत कुमार सिंह को फ्लिपकार्ट में नौकरी लगी. एमबीए करने के कारण उनको एचआर डिपार्टमेंट में नौकरी मिली. 24000 वेतन पर उन्होंने फ्लिपकार्ट में काम करना शुरू किया. 4 साल फ्लिपकार्ट में नौकरी की. इसके बाद ओला में और बाद में स्विगी कंपनी में उन्होंने नौकरी की. कुल 6 साल तक उन्होंने बेंगलुरु में नौकरी की.

कंपनी खोलने का निर्णय: नवनीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, 6 वर्ष तक नौकरी करने के बाद अचानक उनके मन में अपना काम शुरू करने का ख्याल आया. चुंकी वह हर डिपार्टमेंट में रिक्रूटर था. मैं देखता था कि लोग नौकरी के लिए कंपनी में आते हैं, इंटरव्यू देते हैं. कंपनी को अपने मन मुताबिक एंप्लॉय नहीं मिलता था.

''जब अपने परिपेक्ष में देखा तो हूं, सारे ऐसे लड़के हैं जो नौकरी की तलाश में हैं और उनको नौकरी नहीं मिल रही है. यदि मिलती भी थी तो मन मुताबिक काम नहीं मिलता था और कम सैलरी में नौकरी मिलती थी. वहीं से मन में यह ख्याल आया कि जो काम हम किसी कंपनी के लिए बैठकर कर रहे हैं, क्यों नहीं अपनी कंपनी खोल के लोगों के लिए यह काम करें.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

3 लाख 75 हजार रुपये से शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद की कंपनी खोलने का निर्णय लिया. कंपनी खोलने में बहुत पैसे की जरूरत होती है, लेकिन उनके पास कुल जमा पूंजी 3 लाख 75 हजार ही थी. उसमें भी कुछ पैसे पत्नी के जमा किए हुए उन्होंने लिए. 3,75000 से उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत बेंगलुरु में की. जब कंपनी की शुरुआत हो गई तब उनके तीन दोस्तों ने जो पहले से नौकरी कर रहे थे, उन्होंने कुछ पूंजी इस कंपनी में लगाई. इस तरीके से कुछ दिनों के बाद कंपनी की कुल पूंजी 15 लाख रुपए हुई.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
नवनीत कुमार सिंह (ETV Bharat)

'अवसर' की शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने अवसर नाम की कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. 2016 में बड़ी मशक्कत के बाद कंपनी को 'अवसर' नाम मिला. उन्होंने बेंगलुरु में विधिवत कंपनी का ऑफिस खोला.

''कंपनी खोलना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने बदौलत इस मार्केट में अपने आप को साबित करना किसी चुनौती से कम नहीं होती है. यही कारण था कि जिन दोस्तों ने मेरी मदद की, वह भी कंपनी के साथ नहीं जुड़े. वह अपना नौकरी पहले की कंपनी में करते रहे. हालांकि जब कंपनी मार्केट में काम करना शुरू कर दिया तो बाद में जाकर दोस्तों ने इस कंपनी को ज्वाइन किया.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

'माता पिता से छुपा कर कंपनी खोली': नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि चुंकि मम्मी और पिताजी दोनों अध्यापक थे. इसीलिए जब उन्होंने अपनी कंपनी खोलने का निर्णय लिया तो उन्होंने मम्मी-पापा को इसकी जानकारी नहीं दी. उनको इस बात का अंदेशा था कि यदि नौकरी छोड़कर बिजनेस की बात बताएंगे, तो वह लोग इसके लिए तैयार नहीं होंगे. दूसरी बात जब वह नौकरी कर रहे थे इसी बीच में उनकी शादी हो गई थी और शादी होने के बाद यदि नौकरी छोड़कर कोई नया रिस्क ले इसके लिए परिवार राजी नहीं होता. लेकिन उनके कंपनी खोलने के निर्णय में उनकी पत्नी ने बहुत सपोर्ट किया.

6 माह का टार्गेट लिया: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि एक अच्छी खासी कंपनी में नौकरी कर रहा था. बेंगलुरु जैसे शहर में अपने और पत्नी की जिम्मेवारी थी. फिर भी कंपनी खोलने का रिस्क लिया. उन्होंने बताया कि वह अपने लिए 6 महीने का उन्होंने टारगेट रखा. अपनी पत्नी को बताया कि 6 महीने तक का वह समय निर्धारित किए हैं. अभी मम्मी पापा को कुछ नहीं बताना है यदि 6 महीने में मैं सफल नहीं रहा तो फिर से नौकरी शुरू कर दूंगा.

Young Entrepreneur Navneet Kumar
बिहार के युवा उद्योगपति (ETV Bharat)

''बिहार में लोगों के बीच यह धारणा है कि यदि कोई अपने करियर में सफल नहीं होता है तो वह बिजनेस की तरफ अपना मुंह मोड़ता है. इसी अवधारणा को उन्होंने तोड़ने का प्रयास किया. यही कारण था कि मम्मी पिता जी को एवं समाज के लोगों को बिजनेस में जाने की सूचना नहीं दी.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति

बेंगलुरु से गुड़गांव हुए शिफ्ट: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी धीरे-धीरे तरक्की करने लगी. बेंगलुरु से उन्होंने गुड़गांव में शिफ्ट होने का फैसला किया. आज उनकी कंपनी का हेड ऑफिस गुड़गांव से संचालित होता है. गुड़गांव स्थित उनके ऑफिस में लगभग 70 लोग अभी काम कर रहे हैं. बेंगलुरु में भी आज उनका ऑफिस उसी तरीके से काम कर रही है. नवनीत ने बताया कि आज 20 राज्यों में 44 जगह पर उनके ऑफिस काम कर रहा है. बिहार में तीन जगह पटना बेगूसराय एवं बांका में उनके ऑफिस चल रहा है.

47 हजार लोगों को जॉब प्रोवाइड: नवनीत सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी के द्वारा इस वर्ष तक करीब 47000 लोगों को जॉब प्रोवाइड करवाई गई है. उनकी कंपनी के द्वारा तीन कैटेगरी के कर्मचारियों की नियुक्ति करवाई जाती है. जनरल स्टाफिंग का काम जो हमारे पैरोल पर रहते हैं और हमारे क्लाइंट के यहां काम करते हैं. उनके क्लाइंट के यहां वे लोग मैनपॉवर वेंडर प्रमोट करवाते हैं.

अवसर के 100 से अधिक क्लाइंट: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि भारत की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां उनके क्लाइंट है. जिसमें फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, शैडोफैक्स. मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में आईफोन का भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट, टाटा इलेक्ट्रॉनिक, वैकट्रॉन, रिलायंस, फोनपे, बिगबास्केट इन कंपनियों में हमारे पैरोल पर कर्मचारी नियुक्त हैं, लेकिन काम इंक्लाइंड की कंपनियों में करते हैं. नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि पूरे भारत की 100 से अधिक ऐसी कंपनियां उनके क्लाइंट हैं.

520 करोड़ की कंपनी: 2016 में 3 लाख 75 हजार से शुरू की गई कंपनी अब अरबों रुपए की हो गई है. 37 साल के नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में उनकी कंपनी का टर्नओवर 520 करोड़ रुपए था. इस वित्तीय वर्ष का अभी हिसाब पूरा नहीं हुआ है. 8 वर्षों में नवनीत सिंह की कंपनी लाख से अरब रुपए में पहुंच गई है.

कोविड का समय परीक्षा की घड़ी: नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि 2016 में कंपनी की शुरुआत की और 2019 के अंत में पूरे विश्व में कोविड का प्रकोप आया. 2020 में उनकी कंपनी के थ्रू 15000 लोग नौकरी कर रहे थे. लेकिन जैसे ही देश में लॉकडाउन शुरू हुआ 3 दिन के अंदर में उनके क्लाइंट ने 9000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया.

'मन में घबराहट होने लगी थी': जिनकी नौकरी जा रही थी उनको लग रहा था कि वह उनको नौकरी से निकल रहे हैं लेकिन हकीकत यह थी कि उनकी कंपनी के क्लाइंट उन्हें नौकरी से हटा रहे थे. उस समय मन में एक घबराहट सी थी की अब क्या होगा? बाकी 6000 लोगों का क्या होगा जो नौकरी कर रहे थे, उसको लेकर चिंता थी कि यह अब कैसे मैनेज होगा? लेकिन जिन 6000 लोगों को कंपनियों ने नौकरी पर रखा था वह लोग सपोर्ट किए. धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता गया. उन्होंने यह सोच लिया था कि इस फील्ड में जमे रहना है एक न एक दिन अच्छा दिन आएगा. कोविड के दौरान ही दो-तीन महीने के बाद ई-कॉमर्स मार्केट में अचानक बूम किया और उनकी कंपनी को संभालने का मौका मिल गया.

नवनीत सिंह का लक्ष्य: नवनीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि भारत में सर्विस एवं HR प्रोवाइड करने वाली भारत की 2 बड़ी कंपनी है. पहले क्वेस कॉर्प और दूसरा टीम लीज है. इसके बाद तीन-चार विदेशी कंपनियां है. उनकी कंपनी अभी टॉप 10 में है. पूरे देश में उनके कंपनी का स्थान अभी 10 वां है. उनकी कोशिश होगी कि अगले 5 वर्ष में उनकी कंपनी देश की टॉप 5 कंपनियों में रहे. इसी को लक्ष्य में रखते हुए वह देश के और भी बड़े कंपनियों के संपर्क में हैं.

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Last Updated : Aug 30, 2024, 5:21 PM IST
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