नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और गाजियाबाद इस संदर्भ में सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से एक है. हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ, दिल्ली एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स तेजी से गिरता है और लाल क्षेत्र में पहुंच जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होता है. प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर उनके प्रभाव सीमित होते हैं.
डीजल जनरेटर का प्रदूषण में योगदान: गाजियाबाद में चल रहे औद्योगिक इकाइयों के भीतर डीजल जनरेटर का व्यापक प्रयोग प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है. हालांकि, ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान के दूसरे चरण के दौरान, सभी प्रकार के डीजल जनरेटरों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जा रहा है. इसके माध्यम से प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है.
गैस आधारित जनरेटर की दिशा में कदम: प्रदूषण नियंत्रण के लिए डीजल जनरेटरों को गैस आधारित जनरेटर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. 15 अक्टूबर 2024 से गाजियाबाद में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान की स्टेज एक लागू की गई है, जिसके अंतर्गत सभी औद्योगिक इकाइयों को विद्युत, गैस आधारित और क्लीन फ्यूल आधारित उपकरणों का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.
यह भी पढ़ें- Delhi: दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा हुआ प्रदूषण का स्तर, AQI 300 के पार, लग सकता है GRAP-2
तकनीकी उन्नयन योजना का लाभ: गाजियाबाद मुख्य औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, जहां लगभग 40 हजार औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं. इनमें से अधिकांश डीजल जनरेटर का उपयोग करते हैं. इसलिए, उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को अपने डीजल जनरेटर को गैस या अन्य स्वच्छ ईधनों पर बदलने के लिए 20 लाख रुपए तक की सब्सिडी की पेशकश की है.
उत्तर प्रदेश की तकनीकी उन्नयन योजना के तहत, जो माइक्रो और स्मॉल औद्योगिक इकाइयों के लिए बनाई गई है, उन्हें जेनसेट को गैस या ड्यूल फ्यूल मोड पर कन्वर्ट करने के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्राप्त होगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक औद्योगिक इकाइयां https://diupmsme.upsdc.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को सही मायनों में अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकारी पहल और औद्योगिक इकाइयों की संजीदगी आवश्यक है. गाजियाबाद में लागू नई योजनाएं जैसे तकनीकी उन्नयन योजना, प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकती हैं. उद्योगों को स्वच्छ ईधन की ओर मोड़ने के इस प्रयास से न केवल स्थानीय पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि यह शहर की स्वास्थ्य स्थिति को भी बेहतर बनाने में मदद करेगा.
यह भी पढ़ें- Delhi: दिवाली से पहले दिल्ली की हवा जहरीली ! 14 इलाकों में AQI बेहद खराब, ठंड के साथ बढ़ रही टेंशन