नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) किसी न किसी न बात से चर्चा में रहता है. इस बार चर्चा की वजह है विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित का ड्रेस कोड और हिजाब को लेकर बयान. दरअसल, उन्होंने कहा है कि अगर कोई छात्रा हिजाब पहनना चाहती है तो यह उसकी पसंद है. और उसे इसकी आजादी मिलनी चाहिए कि वह क्या पहने और क्या नहीं?
जेएनयू वीसी ने कहा कि मैं ड्रेस कोड के खिलाफ हूं. हिजाब पहनना या न पहनना, इसका पूरा अधिकार सिर्फ छात्राओं को है. उनकी मर्जी हो तो वह हिजाब पहनें और मर्जी हो तो वह न पहनें. साथ ही मैं किसी भी शैक्षणिक संस्थान में ड्रेस कोड के भी खिलाफ हूं. हमारा देश कई संस्कृति से जुड़ा है. भाषा और परिधान हर संस्कृति में अलग-अलग पाए जाते हैं. शैक्षणिक संस्थान में अपने संस्कृति या परिधान पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं होने चाहिए और न ही कोई इन्हें जबरदस्ती मानने को कह सकता है.
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उनके इस बयान को लेकर छात्रों के बीच बहुत सकारात्मक माहौल है और उन्होंने इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जेएनयू कुलपति का ये बयान स्वागत योग्य है. संस्थान में अध्यनरत छात्रा श्वेता ने कहा कि यह किसी कि व्यक्तिगत पसंद होनी चाहिए कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं. इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. यह एक अच्छी पहल है और यह अच्छी बात है कि उन्होंने इसे किसी धर्म या एजेंडा से जोड़ने के बजाए हमारी आजादी को तरजीह दी है. जेएनयू वीसी के इस बयान के बाद से लगभग सभी शैक्षणिक संस्थानों में बातें होने लगी हैं. जो उनके बयान का विरोध किया करते थे, अब वे भी उनके समर्थन में आ गए हैं. छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय ने भी उनके बयान का स्वागत किया है.
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