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छात्रावास के टॉयलेट में रहकर पढ़ रहे छात्र, कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा, मंत्री बोले वीडियो बनाने वाले पर होगी कार्रवाई - HOSTEL TOILET

नारायणपुर ओरछा के एकलव्य आश्रम में छात्रों के टायलेट में रहकर पढ़ने की तस्वीर सामने आई है.

Students studying in hostel toilet
छात्रावास के टॉयलेट में रहकर पढ़ रहे छात्र (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 5, 2024, 9:12 PM IST

जगदलपुर - छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर के नारायणपुर जिले से एक तस्वीर सामने आई है. ये तस्वीर मन को विचलित करने वाली है.क्योंकि इस तस्वीर में बच्ची स्कूल की कक्षा में नहीं बल्कि टॉयलेट में रहकर पढ़ाई करती है. ये टायलेट ही बच्ची का बेडरुम है जहां वो रहती भी है. इस छोटे से टॉयलेट में ही बच्ची अपना भविष्य गढ़ रही है.

कहां की है तस्वीर : छात्रों के टायलेट में रहकर पढ़ाई करने की तस्वीर एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छोटेडोंगर की है. जहां पर नक्सल क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई करने आते हैं. लेकिन ना तो उन्हें व्यवस्था मिलती है और ना ही संसाधन. जिसके कारण बच्चों को इसी तरह से टायलेट को ही कमरा बनाकर पढ़ाई करना पढ़ता है.

छात्रों के टायलेट में रहकर पढ़ने की तस्वीर (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

50 सीटर छात्रावास में 200 बच्चे : स्कूली छात्र ने बताया कि 50 सीटर छात्रावास में तकरीबन 200 बच्चे रहते हैं. यहां बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त बिल्डिंग व्यवस्था नहीं है. किराये की बिल्डिंग में छात्रावास चलाया जा रहा है. इस छात्रावास में जितने भी कमरे हैं.उनमें एक साथ अलग-अलग उम्र के बच्चे रहते हैं. संख्या ज्यादा होने के कारण छात्र छात्राओं को टायलेट को ही कमरा बनाकर रहना पड़ रहा है.

छात्रावास के बाहर नहा रहे बच्चे : अब जब छात्रावास के टॉयलेट में बच्चों की पढ़ाई हो रही है तो नहाने और बाथरुम के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ रहा है. दूसरे मौसम की बात होती तो छात्र किसी तरह काम चला लेते. लेकिन ठंड के सीजन में इन बच्चों को खुले आसमान के नीचे नहाना पड़ता है. कई छात्रों के पास ठंड में ओढ़ने के लिए कंबल भी नहीं है. हालात ये हैं कि कुछ बच्चे हॉस्टल के स्टोर रूम तो कुछ एक ही कमरे में इकट्ठा होकर समय बीता रहे हैं. वहीं, इस पूरे मामले में हॉस्टल अधीक्षक ने प्रशासन पर ठीकरा फोड़ा है.


हॉस्टल में काफी समस्याएं बनी हुई है. 50 सीटर हॉस्टल में 220 छात्र-छात्राएं रहते हैं. एकलव्य के नाम पर यह हॉस्टल किराए पर चल रहा है. बिल्डिंग, बिस्तर, कंबल, तकिया, बेडशीट, पानी समेत कई समस्याएं बनी हुई है. लगातार अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा : अंकित सिंह,छात्रावास अधीक्षक


वहीं इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ वासु जैन का कहना है कि एकलव्य विद्यालय का भवन नहीं होने के कारण दूसरे भवन में बच्चों को ठहराया जा रहा था.

अब उन्हें शिफ्ट करके दूसरी जगह रुकवाया जाएगा. जो वर्तमान में स्थित निर्मित हुई है. उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी- वासु जैन, सीईओ जिला पंचायत


भले ही प्रशासनिक अधिकारी ने बच्चों को किसी और जगह पर शिफ्ट करने की बात कही हो लेकिन विपक्ष अब इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष को घेर रहा है.पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार को दोषी माना है.

केदार कश्यप बस्तर के जनजातीय मंत्री हैं. उनके ही क्षेत्र में आदिवासी बच्चे टॉयलेट में सोने और पढ़ने को मजबूर हैं. वहां की जनता सरकार की योजनाओं से त्रस्त हो चुकी है. वन मंत्री के क्षेत्र में शिक्षा की स्थित ठीक नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार के पास इतना समय है कि वे साबरमती फिल्म देखने के लिए जा रहे हैं. मंत्री को चापलूसी करना छोड़कर अपने क्षेत्र को देखना चाहिए - दीपक बैज, पीसीसी अध्यक्ष

वहीं दूसरी ओर जब इस पूरे मामले में मंत्री से सवाल पूछा तो उल्टा वो व्यवस्थाएं सुधारने के बजाए वीडियोग्राफी करने वाले पर कार्रवाई की बात कहते दिखे.

सबसे पहले जिसनें आश्रम के भीतर का वीडियोग्राफी किया.उस पर कार्रवाई की जाएगी. किसके अनुमति पर वीडियो ग्राफी की गई और ऐसे प्रस्तुतिकरण हुआ. इसके अलावा जो भी इसमें दोषी है चाहे कोई भी हो उस पर कार्रवाई होगी. - केदार कश्यप, वन मंत्री

इस पूरे मामले में अब सरकार हॉस्टल की स्थिति दिखाने वाले पर कार्रवाई की बात कह रही है. लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि यदि ये तस्वीरें सामने नहीं आती तो इस अव्यवस्था की सच्चाई कैसे पता चलती. फिलहाल, इस पूरे मामले में छात्रों को जल्द से जल्द राहत देते हुए पढ़ाई के लिए सर्वसुविधायुक्त बिल्डिंग में शिफ्ट करना प्राथमिकता होनी चाहिए.

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जगदलपुर - छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर के नारायणपुर जिले से एक तस्वीर सामने आई है. ये तस्वीर मन को विचलित करने वाली है.क्योंकि इस तस्वीर में बच्ची स्कूल की कक्षा में नहीं बल्कि टॉयलेट में रहकर पढ़ाई करती है. ये टायलेट ही बच्ची का बेडरुम है जहां वो रहती भी है. इस छोटे से टॉयलेट में ही बच्ची अपना भविष्य गढ़ रही है.

कहां की है तस्वीर : छात्रों के टायलेट में रहकर पढ़ाई करने की तस्वीर एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छोटेडोंगर की है. जहां पर नक्सल क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई करने आते हैं. लेकिन ना तो उन्हें व्यवस्था मिलती है और ना ही संसाधन. जिसके कारण बच्चों को इसी तरह से टायलेट को ही कमरा बनाकर पढ़ाई करना पढ़ता है.

छात्रों के टायलेट में रहकर पढ़ने की तस्वीर (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

50 सीटर छात्रावास में 200 बच्चे : स्कूली छात्र ने बताया कि 50 सीटर छात्रावास में तकरीबन 200 बच्चे रहते हैं. यहां बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त बिल्डिंग व्यवस्था नहीं है. किराये की बिल्डिंग में छात्रावास चलाया जा रहा है. इस छात्रावास में जितने भी कमरे हैं.उनमें एक साथ अलग-अलग उम्र के बच्चे रहते हैं. संख्या ज्यादा होने के कारण छात्र छात्राओं को टायलेट को ही कमरा बनाकर रहना पड़ रहा है.

छात्रावास के बाहर नहा रहे बच्चे : अब जब छात्रावास के टॉयलेट में बच्चों की पढ़ाई हो रही है तो नहाने और बाथरुम के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ रहा है. दूसरे मौसम की बात होती तो छात्र किसी तरह काम चला लेते. लेकिन ठंड के सीजन में इन बच्चों को खुले आसमान के नीचे नहाना पड़ता है. कई छात्रों के पास ठंड में ओढ़ने के लिए कंबल भी नहीं है. हालात ये हैं कि कुछ बच्चे हॉस्टल के स्टोर रूम तो कुछ एक ही कमरे में इकट्ठा होकर समय बीता रहे हैं. वहीं, इस पूरे मामले में हॉस्टल अधीक्षक ने प्रशासन पर ठीकरा फोड़ा है.


हॉस्टल में काफी समस्याएं बनी हुई है. 50 सीटर हॉस्टल में 220 छात्र-छात्राएं रहते हैं. एकलव्य के नाम पर यह हॉस्टल किराए पर चल रहा है. बिल्डिंग, बिस्तर, कंबल, तकिया, बेडशीट, पानी समेत कई समस्याएं बनी हुई है. लगातार अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा : अंकित सिंह,छात्रावास अधीक्षक


वहीं इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ वासु जैन का कहना है कि एकलव्य विद्यालय का भवन नहीं होने के कारण दूसरे भवन में बच्चों को ठहराया जा रहा था.

अब उन्हें शिफ्ट करके दूसरी जगह रुकवाया जाएगा. जो वर्तमान में स्थित निर्मित हुई है. उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी- वासु जैन, सीईओ जिला पंचायत


भले ही प्रशासनिक अधिकारी ने बच्चों को किसी और जगह पर शिफ्ट करने की बात कही हो लेकिन विपक्ष अब इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष को घेर रहा है.पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार को दोषी माना है.

केदार कश्यप बस्तर के जनजातीय मंत्री हैं. उनके ही क्षेत्र में आदिवासी बच्चे टॉयलेट में सोने और पढ़ने को मजबूर हैं. वहां की जनता सरकार की योजनाओं से त्रस्त हो चुकी है. वन मंत्री के क्षेत्र में शिक्षा की स्थित ठीक नहीं है. छत्तीसगढ़ सरकार के पास इतना समय है कि वे साबरमती फिल्म देखने के लिए जा रहे हैं. मंत्री को चापलूसी करना छोड़कर अपने क्षेत्र को देखना चाहिए - दीपक बैज, पीसीसी अध्यक्ष

वहीं दूसरी ओर जब इस पूरे मामले में मंत्री से सवाल पूछा तो उल्टा वो व्यवस्थाएं सुधारने के बजाए वीडियोग्राफी करने वाले पर कार्रवाई की बात कहते दिखे.

सबसे पहले जिसनें आश्रम के भीतर का वीडियोग्राफी किया.उस पर कार्रवाई की जाएगी. किसके अनुमति पर वीडियो ग्राफी की गई और ऐसे प्रस्तुतिकरण हुआ. इसके अलावा जो भी इसमें दोषी है चाहे कोई भी हो उस पर कार्रवाई होगी. - केदार कश्यप, वन मंत्री

इस पूरे मामले में अब सरकार हॉस्टल की स्थिति दिखाने वाले पर कार्रवाई की बात कह रही है. लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि यदि ये तस्वीरें सामने नहीं आती तो इस अव्यवस्था की सच्चाई कैसे पता चलती. फिलहाल, इस पूरे मामले में छात्रों को जल्द से जल्द राहत देते हुए पढ़ाई के लिए सर्वसुविधायुक्त बिल्डिंग में शिफ्ट करना प्राथमिकता होनी चाहिए.

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