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सरकार ने फेरा मुंह तो पहाड़ी कोरवा खुद बने अपने भागीरथी, पहाड़ से उतार लाये गंगा - Hill Korwa

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 23, 2024, 2:40 PM IST

HILL KORWA
पहाड़ी कोरवा की पानी की कहानी

Hill Korwa Struggle For Water कोरबा के पहाड़ी कोरवा पिछले कई दिनों से पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. गांव का एक मात्र कुआं खराब हो गया तो गांव वालों को पहाड़ी झरने पर आश्रित होना पड़ा लेकिन गांव से दूरी होने के कारण काफी दिक्कत होने लगी. सरकार से पानी के लिए गुहार लगाई तो गांव में पाइप पहुंचा दिए गए लेकिन उन्हें फिट करने का काम राम भरोसे चल रहा था जिसके बाद कोरवाओं ने मिलकर झरने से गांव तक पाइप बिछाई और गांव तक पानी लेकर आए.

पहाड़ी कोरवा की पानी की कहानी

कोरबा: कोरबा जिले का सुदूर वनांचल गांव दूधीटांगर है. यहां विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग रहते हैं. जिन्हें पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. गांव में जल जीवन मिशन या किसी भी तरह की अन्य योजना के तहत पानी नहीं पहुंचाया जा सकता है. गांव से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ से पानी रिसता है. इसे ग्रामीण झरना कहते हैं. पहले इसी जगह से पैदल चलकर गांव वाले पानी लाते थे. बाद में पंचायत ने इन्हें प्लास्टिक का पाइप दिया, लेकिन इसे फिट नहीं किया गया. फिर गांव तक पानी कैसे पहुंचा, इसे जानने के लिए ETV भारत दूधीटांगर गांव पहुंचा.

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कोरबा का वनांचल गांव दूधीटांगर

पानी मांग रहे थे मिला पाइप, खुद ही किया इंतजाम : गांव के स्थानीय निवासी मंगल साय कोरवा ने हमें गांव में पानी लाने की कहानी बताई. इस दौरान ETV भारत की टीम दूधीटांगर से पानी के स्रोत वाली जगह तक 2 किलोमीटर दूर पैदल चली. मंगल ने पहाड़ में मौजूद वह जगह भी दिखाई जहां से पानी रिसता है. जिसे गांव वाले झरना कहते हैं. यह स्वच्छ जल का स्रोत है, जैसा कि पहाड़ से पानी बहकर नदी में आता है, यह उसी तरह का साफ पानी है.

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पहाड़ से पाइप के जरिए अब गांव वालों को मिल रहा पानी

जंगल में बिछाया पाइप, पानी को जमा भी किया : पहाड़ी कोरवा मंगल आगे बताते हैं कि "पहले हम जंगल के रास्ते चलकर इसी झरने से पानी भरकर वापस गांव ले जाते थे. हम सरपंच से लगातार गांव में पानी के इंतजाम की बात कहते थे, लेकिन वह नहीं हो सका. हमें पंचायत से सिर्फ पाइप दिया गया. काफी दिनों तक इस पाइप पर कोई काम नहीं हुआ. जिसके बाद हम लोगों ने खुद ही यह तय किया कि झरना वाले स्थान पर पाइप फिट कर उसे गांव तक ले जाएंगे."

मंगल आगे बताते हैं कि "पूरे गांव ने झरने का पानी गांव तक पहुंचाने के लिए जी तोड़ मेहनत की. जंगल के दुर्गम रास्तों पर 2 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछाई. जहां से पानी रिसता है, उसे थोड़ा सा व्यवस्थित किया और यहां पर पाइप फिट किया. पाइप बिछाने में पूरे गांव ने कड़ी मेहनत की. अब यह पानी गांव तक पहुंच जाता है. हम एक ही स्थान पर पानी जमा करके भी रखते हैं. पाइप से जो पानी मिलता है. इसे पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं.पूरे गांव के लिए यह एकमात्र पानी का साधन है. "

struggle for water
पाइप देकर प्रशासन ने झाड़ा पल्ला

पानी के लिए सरकार से मदद मांगे तो पाइप दिए, इसके अलावा और कोई मदद नहीं मिली. गांव वालों ने मिलकर 2 से 3 दिन में पाइप बिछाया. जलजीवन मिशन के बारे में कुछ नहीं पता. - मंगल साय कोरवा, ग्रामीण

पीएम जनमन योजना के तहत होने हैं काम : विशेष पिछड़ी जनजाति से आने वाले आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने के लिए प्रधानमंत्री जन वन योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत आदिवासियों के मजरे, टोले में प्रशासनिक टीम जा रही है. असुविधाओं का आंकलन कर रही है और उनका जीवनस्तर सुधारने का प्रयास भी कर रही है.

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जंगल में गांव वालों ने खुद बिछाई पाइप

कोरबा जिले में ऐसे कई मजरे, टोले हैं. जहां पिछड़ी जनजाति के लोग रहते हैं. वह मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं. प्रशासन के टीम बीच बीच में यहां दौरा करने पहुंचती हैं लेकिन गांव वालों को इसका कुछ खास फायदा नहीं मिल पाता. पीने के पानी का इंतजाम ग्रामीणों ने खुद किया, इसी तरह सालों पहले लगे सोलर प्लेट, जिससे इन्हें बिजली मिलती है. वह भी अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में है.

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