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शिशुपाल पर्वत पर मसखरी पड़ेगी महंगी, घूमने के अलावा ये किया तो समझिए आ गई मुसीबत - Shishupal mountain of Mahasamund

Strict rules for visit Shishupal mountain यदि आप घूमने के शौकीन हैं और महासमुंद के शिशुपाल पर्वत की चढ़ाई करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए जाननी जरुरी है.क्योंकि यदि आपने इस पर्वत को लेकर ताजा जानकारी नहीं ली तो आप मुसीबत में भी पड़ सकते हैं. penalty for violation of Rule

penalty for violation of Rule
शिशुपाल पर्वत पर मसखरी पड़ेगी महंगी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 3, 2024, 7:08 PM IST

महासमुंद : महासमुंद का शिशुपाल पर्वत लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.दूर-दूर से पर्यटक इस पर्वत पर चढ़कर यहां से गिरने वाले घोड़ाधार झरना का नजारा लेते हैं.इसी के साथ ही साथ शिशुपाल पर्वत पर कुछ पर्यटक ऐसी हरकतें भी करते हैं जिससे उनकी जान पर बन आती है.वहीं कुछ पर्यटक इस जगह को इतना गंदा कर देते हैं कि दूसरे लोगों को काफी परेशानी होती है.इसलिए वन विभाग और जिला प्रशासन ने इस समस्या से बचने के लिए रास्ता निकाला है.

जान लिजिए शिशुपाल पर्वत पर घूमने के नए नियम : शिशुपाल पर्वत के मुख्य द्वार पर वनविभाग ने एक बेरियर बनाया है.अब विभाग पर्वत पर चढ़ने वालों से 20 रुपए प्रति व्यक्ति का शुल्क लेगा.इसके लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं. इसके अलावा शिशुपाल पर्वत के नीचे या ऊपर प्लास्टिक का इस्तेमाल करना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. शिशुपाल पर्वत पर बैठकर यदि किसी ने शराबखोरी की तो समझिए उसकी शामत आ जाएगी. साथ ही साथ बिना वन विभाग की अनुमति के बिना कोई भी शख्स शिशुपाल पर्वत पर टेंट नहीं लगा सकता है.वन विभाग ने शिशुलाप पर्वत पर आग लगाने से लेकर पेड़ काटने और कूड़ा कचरा फैलाने पर जुर्माने का प्रावधान कर दिया है.

क्यों बनाया गया सख्त नियम ? : वन विभाग सरायपाली के एसडीओ अनिल भास्करण ने बताया है कि ये पर्वत जैव विविधता से पूर्ण एक दर्शनीय स्थल है.साथ ही लगातार हो रहे पर्यटकों की मौतों के कारण ऐसा सख्त नियम कानून बनाया गया है.

''अभी तक इस दर्शनीय पर्वत पर 15 से भी ज्यादा पर्यटकों ने एक हजार फीट की ऊंचाई से गिरकर अपनी जान गंवाई है. इसलिए शिशुपाल पर्वत पर जाने वाले अगर नियम तोड़ते हैं तो उन पर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 (1) के तहत राज्य सरकार के किसी भी नियम के उल्लंघन पर एक वर्ष तक का कारावास और 15 हजार जुर्माना लगाया जाएगा.पहली बार वनविभाग ने ऐसे कड़े नियम बनाए हैं.'' अनिल भास्करण, SDO

क्या है शिशुपाल पर्वत का इतिहास : आपको बता दें कि इस पर्वत का इतिहास भैना राजाओं के शौर्य को दर्शाता है. ये पर्वत राजाओं और सैनिकों के लिए एक अभेद्य किला था. किले में राजा और सैनिक गुप्त सुरंगों में रहा करते थे.अंग्रेजी काल में जब राजा और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ तो राजा वीरगति को प्राप्त हुए.इसके बाद राजा की सात रानियों ने अपनी लाज बचाने के लिए 1 हजार फीट ऊंचाई से घोड़े पर पट्टी बांधकर छलांग लगा दिया.इसी वजह से इस जगह का नाम घोड़ाधार झरना पड़ा.

हनुमान सिक्का का मंदिर से नाता : पर्वत पर एक प्राचीन शिव मंदिर हैं. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के बाहर आज भी मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल मेला लगता है.हजारों की संख्या में श्रृद्धालु यहां आते हैं.कहते हैं इस सूर्यमुखी मंदिर में पहले हनुमान सिक्का जड़ा हुआ था.जिसे बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता था.लेकिन अब यह सिक्का यहां से गायब है.

सुरंग में पड़े हैं राजा के अस्त्र शस्त्र : यहां एक बहुत लंबी सुरंग है.नदी की रेत ने अब इस सुरंग का मार्ग अवरुद्ध कर दिया है. लेकिन स्थानीय निवासी बताते हैं कि सुरंग के भीतर अब भी राजा के अस्त्र-शस्त्र पड़े हुए हैं. इस पर्वत के इर्द-गिर्द बहुत सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती हैं. शतावर और अश्वगंधा यहां ज्यादा संख्या में हैंं. शिशुपाल पर्वत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने की तैयारियां शुरू हो ही चुकी हैं. हालांकि भी यहां पर्यटक आते रहे हैं .लेकिन आगे सुविधाएं और बेहतर होगी तो भीड़ ज्यादा होगी.

कैसे पहुंचे शिशुपाल पर्वत : यदि आप भी शिशुपाल पर्वत की ट्रिप प्लान करते हैं तो आप छत्तीसगढ़ के महासमुंद रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं. या फिर स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर तक आने के बाद कैब या फिर बस से भी महासमुंद आ सकते हैं.

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महासमुंद : महासमुंद का शिशुपाल पर्वत लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.दूर-दूर से पर्यटक इस पर्वत पर चढ़कर यहां से गिरने वाले घोड़ाधार झरना का नजारा लेते हैं.इसी के साथ ही साथ शिशुपाल पर्वत पर कुछ पर्यटक ऐसी हरकतें भी करते हैं जिससे उनकी जान पर बन आती है.वहीं कुछ पर्यटक इस जगह को इतना गंदा कर देते हैं कि दूसरे लोगों को काफी परेशानी होती है.इसलिए वन विभाग और जिला प्रशासन ने इस समस्या से बचने के लिए रास्ता निकाला है.

जान लिजिए शिशुपाल पर्वत पर घूमने के नए नियम : शिशुपाल पर्वत के मुख्य द्वार पर वनविभाग ने एक बेरियर बनाया है.अब विभाग पर्वत पर चढ़ने वालों से 20 रुपए प्रति व्यक्ति का शुल्क लेगा.इसके लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं. इसके अलावा शिशुपाल पर्वत के नीचे या ऊपर प्लास्टिक का इस्तेमाल करना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. शिशुपाल पर्वत पर बैठकर यदि किसी ने शराबखोरी की तो समझिए उसकी शामत आ जाएगी. साथ ही साथ बिना वन विभाग की अनुमति के बिना कोई भी शख्स शिशुपाल पर्वत पर टेंट नहीं लगा सकता है.वन विभाग ने शिशुलाप पर्वत पर आग लगाने से लेकर पेड़ काटने और कूड़ा कचरा फैलाने पर जुर्माने का प्रावधान कर दिया है.

क्यों बनाया गया सख्त नियम ? : वन विभाग सरायपाली के एसडीओ अनिल भास्करण ने बताया है कि ये पर्वत जैव विविधता से पूर्ण एक दर्शनीय स्थल है.साथ ही लगातार हो रहे पर्यटकों की मौतों के कारण ऐसा सख्त नियम कानून बनाया गया है.

''अभी तक इस दर्शनीय पर्वत पर 15 से भी ज्यादा पर्यटकों ने एक हजार फीट की ऊंचाई से गिरकर अपनी जान गंवाई है. इसलिए शिशुपाल पर्वत पर जाने वाले अगर नियम तोड़ते हैं तो उन पर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 (1) के तहत राज्य सरकार के किसी भी नियम के उल्लंघन पर एक वर्ष तक का कारावास और 15 हजार जुर्माना लगाया जाएगा.पहली बार वनविभाग ने ऐसे कड़े नियम बनाए हैं.'' अनिल भास्करण, SDO

क्या है शिशुपाल पर्वत का इतिहास : आपको बता दें कि इस पर्वत का इतिहास भैना राजाओं के शौर्य को दर्शाता है. ये पर्वत राजाओं और सैनिकों के लिए एक अभेद्य किला था. किले में राजा और सैनिक गुप्त सुरंगों में रहा करते थे.अंग्रेजी काल में जब राजा और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ तो राजा वीरगति को प्राप्त हुए.इसके बाद राजा की सात रानियों ने अपनी लाज बचाने के लिए 1 हजार फीट ऊंचाई से घोड़े पर पट्टी बांधकर छलांग लगा दिया.इसी वजह से इस जगह का नाम घोड़ाधार झरना पड़ा.

हनुमान सिक्का का मंदिर से नाता : पर्वत पर एक प्राचीन शिव मंदिर हैं. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के बाहर आज भी मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल मेला लगता है.हजारों की संख्या में श्रृद्धालु यहां आते हैं.कहते हैं इस सूर्यमुखी मंदिर में पहले हनुमान सिक्का जड़ा हुआ था.जिसे बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता था.लेकिन अब यह सिक्का यहां से गायब है.

सुरंग में पड़े हैं राजा के अस्त्र शस्त्र : यहां एक बहुत लंबी सुरंग है.नदी की रेत ने अब इस सुरंग का मार्ग अवरुद्ध कर दिया है. लेकिन स्थानीय निवासी बताते हैं कि सुरंग के भीतर अब भी राजा के अस्त्र-शस्त्र पड़े हुए हैं. इस पर्वत के इर्द-गिर्द बहुत सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती हैं. शतावर और अश्वगंधा यहां ज्यादा संख्या में हैंं. शिशुपाल पर्वत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने की तैयारियां शुरू हो ही चुकी हैं. हालांकि भी यहां पर्यटक आते रहे हैं .लेकिन आगे सुविधाएं और बेहतर होगी तो भीड़ ज्यादा होगी.

कैसे पहुंचे शिशुपाल पर्वत : यदि आप भी शिशुपाल पर्वत की ट्रिप प्लान करते हैं तो आप छत्तीसगढ़ के महासमुंद रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं. या फिर स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर तक आने के बाद कैब या फिर बस से भी महासमुंद आ सकते हैं.

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