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महिला दिवस 2024 : सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका, बाधाओं को पार कर लगाई लंबी छलांग, नेशनल मैराथन में आई अव्वल

Story of Surajpur Udanpari छत्तीसगढ़ में खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं हैं.बस कमी है तो सही अवसर की. प्रदेश के खिलाड़ी अपने मेहनत और लगन के बूते कई मुकाम हासिल कर चुके हैं.लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें मेहनत के बाद भी वो उपलब्धि हासिल नहीं हो पाती जिनके वो हकदार है.फिर भी ये खिलाड़ी अपना सब कुछ खेल में लगा देते हैं. ऐसी ही एक खिलाड़ी सूरजपुर में हैं.जिन्होंने ऐसा कारनामा किया है,जिसकी वजह से आज हर कोई इन्हें पहचानता हैं. इन्हें लोग सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका के नाम से जानते हैं. आईए मिलते हैं इस होनहार खिलाड़ी से.National Marathon Runner Sonika

Story of Surajpur Udanpari
सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 8, 2024, 1:36 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 5:20 PM IST

सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका

सूरजपुर : छत्तीसगढ़ का एक छोटा जिला सूरजपुर है.लेकिन यहां की प्रतिभावान बेटी ने बड़ा कारनामा किया है. इस बेटी का नाम सोनिका राजवाड़े है. सोनिका ने हाल ही में नेशनल मैराथन प्रतियोगिता में पहला स्थान लाकर इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले दूसरे धावकों को चौंका दिया. सोनिका की इस उपलब्धि के कारण अब लोग इन्हें उड़नपरी के नाम से बुलाने लगे हैं. इस कामयाबी के बाद अब सोनिका ओलंपिक में अपना जौहर दिखाना चाहती है.लेकिन सुविधाओं का अभाव उनके रास्ते में पहाड़ जैसा खड़ा है.फिर भी सोनिका सबकुछ भुलाकर ओलंपिक की तैयारियों में जुट चुकी हैं.

कहां से मिली सोनिका को प्रेरणा ? : सोनिका को धावक बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.लेकिन पड़ोस में रहने वाली धावक चंद्रावती को देखकर उसके भी मन में दौड़ में हिस्सा लेने का ख्याल आया. चंद्रावती भी एक मैराथन धावक हैं.उसे देखने के बाद सोनिका भी चंद्रावती के साथ मिलकर दौड़ने लगी. दौड़ने तक बात तो ठीक थी.लेकिन परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था. परिवार चाहता था कि सोनिका को अच्छी एकेडमी में भेजकर ट्रेनिंग दिलाई जा सके.लेकिन ऐसा हो ना सका.इसलिए सोनिका ने मैदान से नाता तोड़कर घर में ही अपना समय देना शुरु किया.

'अपने बुआ को देखकर मुझे लगा कि इनकी दौड़ में पोजीशन आती है.इसलिए मुझे लगा कि यदि मैं भी दौड़ूंगी दो मुझे भी मेडल मिलेंगे.तब से तैयारी शुरु की'- सोनिका राजवाड़े, मैराथन रनर

फिर बदली सोनिका की किस्मत : कहते हैं जहां चाह होती है वहीं राह बनती है. इसलिए सोनिका का मन मारकर घर पर बैठा रहने का फैसला ज्यादा दिन तक ना रह सका. एक दिन सोनिका की मुलाकात नरेश कुश्वाहा से हुई. नरेश कुश्वाहा ऐसे धावकों के गुरु हैं जिनके पास ना तो अच्छा ग्राउंड होता है और ना ही कोच. लिहाजा सोनिका के हुनर को पहचानकर नरेश ने उसे ट्रेनिंग देनी शुरु की.नरेश की ट्रेनिंग के बाद सोनिका के प्रदर्शन में निखार आया.जिसके बूते आज सोनिका ने नेशनल मैराथन प्रतियोगिता में अपने साथ प्रदेश का नाम रौशन किया है. सोनिका की इस उपलब्धि से जहां पूरा जिला गौरवान्वित है,वहीं जिला प्रशासन ने भी उसकी तैयारियों में मदद का भरोसा दिया है.

''हम सोनिका जैसे आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं. सोनिका में काफी प्रतिभा है.यदि उसे सही तरीके से ट्रेनिंग और सुविधा मिले तो राष्ट्रीय नहीं अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म में जीतकर आ सकती है.''- नरेश कुश्वाहा, सोनिका के कोच

सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका का सपना : सूरजपुर जिले के प्रेमनगर में रहने वाली सोनिका के प्रदर्शन ने दूसरों को भी प्रेरणा दी है. घर पर टंगे मेडल और सर्टिफिकेट्स इस बात का प्रमाण है कि सोनिका ने किस लेवल की तैयारी की है.सोनिका ने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे धावकों को छकाते हुए पहला स्थान हासिल किया.अब सोनिका का मिशन ओलंपिक में जाने का है.जहां वो देश के लिए मेडल लाना चाहती है.

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सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका

सूरजपुर : छत्तीसगढ़ का एक छोटा जिला सूरजपुर है.लेकिन यहां की प्रतिभावान बेटी ने बड़ा कारनामा किया है. इस बेटी का नाम सोनिका राजवाड़े है. सोनिका ने हाल ही में नेशनल मैराथन प्रतियोगिता में पहला स्थान लाकर इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले दूसरे धावकों को चौंका दिया. सोनिका की इस उपलब्धि के कारण अब लोग इन्हें उड़नपरी के नाम से बुलाने लगे हैं. इस कामयाबी के बाद अब सोनिका ओलंपिक में अपना जौहर दिखाना चाहती है.लेकिन सुविधाओं का अभाव उनके रास्ते में पहाड़ जैसा खड़ा है.फिर भी सोनिका सबकुछ भुलाकर ओलंपिक की तैयारियों में जुट चुकी हैं.

कहां से मिली सोनिका को प्रेरणा ? : सोनिका को धावक बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.लेकिन पड़ोस में रहने वाली धावक चंद्रावती को देखकर उसके भी मन में दौड़ में हिस्सा लेने का ख्याल आया. चंद्रावती भी एक मैराथन धावक हैं.उसे देखने के बाद सोनिका भी चंद्रावती के साथ मिलकर दौड़ने लगी. दौड़ने तक बात तो ठीक थी.लेकिन परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था. परिवार चाहता था कि सोनिका को अच्छी एकेडमी में भेजकर ट्रेनिंग दिलाई जा सके.लेकिन ऐसा हो ना सका.इसलिए सोनिका ने मैदान से नाता तोड़कर घर में ही अपना समय देना शुरु किया.

'अपने बुआ को देखकर मुझे लगा कि इनकी दौड़ में पोजीशन आती है.इसलिए मुझे लगा कि यदि मैं भी दौड़ूंगी दो मुझे भी मेडल मिलेंगे.तब से तैयारी शुरु की'- सोनिका राजवाड़े, मैराथन रनर

फिर बदली सोनिका की किस्मत : कहते हैं जहां चाह होती है वहीं राह बनती है. इसलिए सोनिका का मन मारकर घर पर बैठा रहने का फैसला ज्यादा दिन तक ना रह सका. एक दिन सोनिका की मुलाकात नरेश कुश्वाहा से हुई. नरेश कुश्वाहा ऐसे धावकों के गुरु हैं जिनके पास ना तो अच्छा ग्राउंड होता है और ना ही कोच. लिहाजा सोनिका के हुनर को पहचानकर नरेश ने उसे ट्रेनिंग देनी शुरु की.नरेश की ट्रेनिंग के बाद सोनिका के प्रदर्शन में निखार आया.जिसके बूते आज सोनिका ने नेशनल मैराथन प्रतियोगिता में अपने साथ प्रदेश का नाम रौशन किया है. सोनिका की इस उपलब्धि से जहां पूरा जिला गौरवान्वित है,वहीं जिला प्रशासन ने भी उसकी तैयारियों में मदद का भरोसा दिया है.

''हम सोनिका जैसे आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं. सोनिका में काफी प्रतिभा है.यदि उसे सही तरीके से ट्रेनिंग और सुविधा मिले तो राष्ट्रीय नहीं अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म में जीतकर आ सकती है.''- नरेश कुश्वाहा, सोनिका के कोच

सूरजपुर की उड़नपरी सोनिका का सपना : सूरजपुर जिले के प्रेमनगर में रहने वाली सोनिका के प्रदर्शन ने दूसरों को भी प्रेरणा दी है. घर पर टंगे मेडल और सर्टिफिकेट्स इस बात का प्रमाण है कि सोनिका ने किस लेवल की तैयारी की है.सोनिका ने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे धावकों को छकाते हुए पहला स्थान हासिल किया.अब सोनिका का मिशन ओलंपिक में जाने का है.जहां वो देश के लिए मेडल लाना चाहती है.

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Last Updated : Mar 8, 2024, 5:20 PM IST
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