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सुनिए मनेंद्रगढ़ के राष्ट्रपति की कहानी, जानिए क्यों काट रहा है बैंक के चक्कर

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 12, 2024, 9:28 PM IST

Updated : Mar 12, 2024, 11:04 PM IST

Story of President Manendragarh मनेंद्रगढ़ के राष्ट्रपति इन दिनों अपना ही पैसा बैंक से निकालने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं तो कभी अफसरों मिन्नतें कर रहे हैं.

President Of Manendragarh
मनेंद्रगढ़ के राष्ट्रपति की कहानी
मनेंद्रगढ़ के राष्ट्रपति की कहानी

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: क्या किसी का नाम राष्ट्रपति भी हो सकता है. अगर आपका जवाब नहीं है तो फिर आप गलत हैं. मनेंद्रगढ़ के रहने वाले बुजुर्ग ग्रामीण का नाम बचपन में ही उसके गुरुजी ने राष्ट्रपति रख दिया. परिवार के पढ़ा लिखा नहीं होने के चलते कागजों में भी उनका राष्ट्रपति के तौर पर छप गया. मनेंद्रगढ़ के रहने वाले राष्ट्रपति को वैसे तो जीवन में कोई बड़ी समस्या का सामना नाम को लेकर नहीं करना पड़ा. लेकिन अब राष्ट्रपति बीते कई महीनों से अपना ही पैसा बैंक से निकालने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है.

बैंक से पैसा निकालने के लिए दौड़ रहा 'राष्ट्रपति': राष्ट्रपति का कहना है कि उसकी मां की मौत सड़क हादसे में हो गई थी. मौत के बाद उसके बैंक खाते में मुआवजे की राशि सरकार ने भेजी. मुआवजे की जो राशि थी वो कुल 62 हजार 475 रुपए थे. राष्ट्रपति ने जरुरत के वक्त 25 हजार रुपए उसमें से निकाल लिए. बाकी का पैसा कभी और जरुरत पड़ने पर निकाला जाएगा ऐसा सोचकर छोड़ दिया. अब जब उसे पैसे की दरकार पड़ी तो वो बैंक पहुंचा. बैंक ने बताया कि लेट होने के चलते वो अब बाकी का पैसा नहीं निकाल सकता है. जानकारी नहीं होने और लेतलतीफी के चलते राष्ट्रपति को पैसा नहीं मिल पा रहा है.

लोगों को जब मैं अपना नाम बताता हूं तो लोग हंसने लगते हैं. जब लोग नहीं मानते तो मैं अपना आधार कार्ड उनको दिखाता हूं. आधार कार्ड देखने के बाद लोगों को भरोसा होता है कि वास्तव में मेरा नाम राष्ट्रपति ही है. घर वालों ने मेरा नाम राजपति रखा था स्कूल में गुरुजी ने नाम बदलकर रजिस्टर में राष्ट्रपति कर दिया. - राष्ट्रपति, ग्रामीण, घुटरा पंचायत

घर वालों ने रखा था राष्ट्रपति नाम: घुटरा ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर 12 में रहने वाले राष्ट्रपति ने बताया कि माता पिता ने उसका नाम बड़े ही प्यार से राजपति रखा था. स्कूल में जब वो पढ़ने पहुंचा तो उसके शिक्षकों ने उसका नाम बदलकर राष्ट्रपति कर दिया. बस वहीं से उसका नाम बदल गया और अब वो नाम सरकार के हर दस्तावेज में छप गया. चाहकर भी वो अपना नाम अब बदल नहीं सकता.

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मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: क्या किसी का नाम राष्ट्रपति भी हो सकता है. अगर आपका जवाब नहीं है तो फिर आप गलत हैं. मनेंद्रगढ़ के रहने वाले बुजुर्ग ग्रामीण का नाम बचपन में ही उसके गुरुजी ने राष्ट्रपति रख दिया. परिवार के पढ़ा लिखा नहीं होने के चलते कागजों में भी उनका राष्ट्रपति के तौर पर छप गया. मनेंद्रगढ़ के रहने वाले राष्ट्रपति को वैसे तो जीवन में कोई बड़ी समस्या का सामना नाम को लेकर नहीं करना पड़ा. लेकिन अब राष्ट्रपति बीते कई महीनों से अपना ही पैसा बैंक से निकालने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है.

बैंक से पैसा निकालने के लिए दौड़ रहा 'राष्ट्रपति': राष्ट्रपति का कहना है कि उसकी मां की मौत सड़क हादसे में हो गई थी. मौत के बाद उसके बैंक खाते में मुआवजे की राशि सरकार ने भेजी. मुआवजे की जो राशि थी वो कुल 62 हजार 475 रुपए थे. राष्ट्रपति ने जरुरत के वक्त 25 हजार रुपए उसमें से निकाल लिए. बाकी का पैसा कभी और जरुरत पड़ने पर निकाला जाएगा ऐसा सोचकर छोड़ दिया. अब जब उसे पैसे की दरकार पड़ी तो वो बैंक पहुंचा. बैंक ने बताया कि लेट होने के चलते वो अब बाकी का पैसा नहीं निकाल सकता है. जानकारी नहीं होने और लेतलतीफी के चलते राष्ट्रपति को पैसा नहीं मिल पा रहा है.

लोगों को जब मैं अपना नाम बताता हूं तो लोग हंसने लगते हैं. जब लोग नहीं मानते तो मैं अपना आधार कार्ड उनको दिखाता हूं. आधार कार्ड देखने के बाद लोगों को भरोसा होता है कि वास्तव में मेरा नाम राष्ट्रपति ही है. घर वालों ने मेरा नाम राजपति रखा था स्कूल में गुरुजी ने नाम बदलकर रजिस्टर में राष्ट्रपति कर दिया. - राष्ट्रपति, ग्रामीण, घुटरा पंचायत

घर वालों ने रखा था राष्ट्रपति नाम: घुटरा ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर 12 में रहने वाले राष्ट्रपति ने बताया कि माता पिता ने उसका नाम बड़े ही प्यार से राजपति रखा था. स्कूल में जब वो पढ़ने पहुंचा तो उसके शिक्षकों ने उसका नाम बदलकर राष्ट्रपति कर दिया. बस वहीं से उसका नाम बदल गया और अब वो नाम सरकार के हर दस्तावेज में छप गया. चाहकर भी वो अपना नाम अब बदल नहीं सकता.

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Last Updated : Mar 12, 2024, 11:04 PM IST
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