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Jharkhand Election 2024: जहां पहले था खौफ का साम्राज्य, अब वहां बैखौफ होकर प्रत्याशी करते हैं चुनाव प्रचार

एक समय जहां माओवादियों ने 15 लोगों की हत्या कर दी थी, अब वहां बिना डर के प्रत्याशी चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

Kaudiya village
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

पलामू: जिस इलाके में लोग किसी भी चुनाव के दौरान गांव में जाना तो दूर, प्रचार करने से भी डरते थे. वहां अब उन इलाकों में तस्वीर बदल रही है और डर का राज खत्म हो रहा है. हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से करीब 350 किलोमीटर दूर पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव की.

डर के कारण प्रत्याशी नहीं करते थे प्रचार

2019 के चुनाव तक प्रत्याशी कौड़िया और उसके आसपास के इलाकों में प्रचार के लिए नहीं जाते थे. 2014 का लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, गांव में किसी प्रत्याशी का बैनर पोस्टर तक नहीं लगा था. लेकिन अब बेखौफ प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए उस इलाके में पहुंच रहे हैं और लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं. प्रत्याशियों का काफिला गांव में पहुंच रहा है और स्थानीय लोगों से बात कर रहा है.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (Etv Bharat)

टीएसपीसी के 15 नक्सलियों को मारी गई थी गोली

अगस्त 2013 में पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया में माओवादियों ने एक साथ टीएसपीसी के 15 नक्सलियों को मार गिराया था. टीएसपीसी के नक्सली एक घर में शरण लिए हुए थे, इसी दौरान माओवादियों ने हमला कर टीएसपीसी के 15 कमांडरों को गोली मार दी थी.

पहले होती थी वर्चस्व की लड़ाई

यह वर्चस्व की लड़ाई थी जिसमें माओवादियों ने टीएसपीसी के नक्सलियों को मार गिराया था. इस घटना के बाद कौड़िया में भय का साम्राज्य स्थापित हो गया था. इस घटना के बाद पुलिस ने महीनों तक गांव में डेरा डाला था. जिस घर में माओवादियों ने 15 नक्सलियों को मारा था, वहां के युवक अमन ने बताया कि अब गांव का माहौल बदल गया है.

गांव का बदल गया माहौल

अमन ने बताया कि अब गांव में डर नहीं है. उस समय घटना उसके घर में हुई थी, लेकिन अब डर का कोई असर नहीं है. कौड़िया निवासी वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि अब गांव का माहौल बदल गया है और ऐसी कोई गतिविधि नहीं है जिससे लोगों को डरने की जरूरत हो. अब बड़ी संख्या में गांव के प्रतिनिधि गांव में आते हैं और लोगों से बात करते हैं.

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डर के कारण प्रत्याशी नहीं करते थे प्रचार

2019 के चुनाव तक प्रत्याशी कौड़िया और उसके आसपास के इलाकों में प्रचार के लिए नहीं जाते थे. 2014 का लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, गांव में किसी प्रत्याशी का बैनर पोस्टर तक नहीं लगा था. लेकिन अब बेखौफ प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए उस इलाके में पहुंच रहे हैं और लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं. प्रत्याशियों का काफिला गांव में पहुंच रहा है और स्थानीय लोगों से बात कर रहा है.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (Etv Bharat)

टीएसपीसी के 15 नक्सलियों को मारी गई थी गोली

अगस्त 2013 में पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया में माओवादियों ने एक साथ टीएसपीसी के 15 नक्सलियों को मार गिराया था. टीएसपीसी के नक्सली एक घर में शरण लिए हुए थे, इसी दौरान माओवादियों ने हमला कर टीएसपीसी के 15 कमांडरों को गोली मार दी थी.

पहले होती थी वर्चस्व की लड़ाई

यह वर्चस्व की लड़ाई थी जिसमें माओवादियों ने टीएसपीसी के नक्सलियों को मार गिराया था. इस घटना के बाद कौड़िया में भय का साम्राज्य स्थापित हो गया था. इस घटना के बाद पुलिस ने महीनों तक गांव में डेरा डाला था. जिस घर में माओवादियों ने 15 नक्सलियों को मारा था, वहां के युवक अमन ने बताया कि अब गांव का माहौल बदल गया है.

गांव का बदल गया माहौल

अमन ने बताया कि अब गांव में डर नहीं है. उस समय घटना उसके घर में हुई थी, लेकिन अब डर का कोई असर नहीं है. कौड़िया निवासी वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि अब गांव का माहौल बदल गया है और ऐसी कोई गतिविधि नहीं है जिससे लोगों को डरने की जरूरत हो. अब बड़ी संख्या में गांव के प्रतिनिधि गांव में आते हैं और लोगों से बात करते हैं.

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