मसौढ़ी: अगस्त क्रांति के मौके पर सात शहीदों में तीसरे नंबर पर शहीद रामानंद सिंह शामिल थे. वो मसौढ़ी अनुमंडल के पुनपुन प्रखंड के सहादत नगर के रहने वाले थे, जो आज शहीदों के सम्मान में उन्हें नमन कर रहा है. शाहिद रामानंद सिंह पुनपुन हाई स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ते थे और उनका सपना था कि उनके गांव में एक लाइब्रेरी बने लेकिन आज तक लाइब्रेरी नहीं बनी.
सात छात्र हुए थे शहीद: वह वीरों का हौसला ही था जिन्होंने तिरंगे के सम्मान में अपनी जान की कुर्बानी दे दी. अगस्त क्रांति के मौके पर उन शहीदों के शहादत पर उन्हें सलामी दी जारी है. जिसमें पटना जिले के दशरथ गांव के राम गोविंद सिंह और पुनपुन के सहादत नगर के रामानंद सिंह थे, जो दसवीं कक्षा के छात्र थे. पुनपुन हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वो आजादी की राह पर चल पड़े थे, वहीं 11 अगस्त 1942 को पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान फिरंगी हुकूमत की गोलियों से सात छात्र शहीद हुए थे. शहादत दिवस पर राष्ट्र उन्हें याद कर रहा है.
तिरंगा फहराने के दौरान खायी गोली: गौरतलब हो कि अगस्त क्रांति के दिन 1942 में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए सूबे के सात लाल गोलियों से छलनी कर दिए गए थे. बापू के आह्वान पर अगस्त क्रांति में शामिल हो गए और सचिवालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए. भारत माता के नाम पर अपने प्राणों की आहूति दे दी. वो सातों युवा पटना के स्कूल-कॉलेजों के छात्र थे. साल 1942 में अगस्त क्रांति के दौरान 11 अगस्त को दो बजे दिन में पटना सचिवालय पर झंडा फहराने निकले लोगों में से सातों युवा पर जिलाधिकारी डब्ल्यूजी आर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां चलाईं.
एक-दूसरे को सौंपा तिरंगा: सात युवाओं में सबसे पहले जमालपुर गांव के 14 वर्षीय को पुलिस ने गोली मार दी गई. देवीपद के गिरते पुनपुन के दशरथा गांव के राम गोविंद सिंह ने तिरंगे को थामा और आगे बढ़ने लगे. उन्हें भी गोली का शिकार होना पड़ा, साथी को गोली लगते देख रामानंद, जिनकी कुछ दिन पूर्व शादी हुई थी, आगे बढने लगे और उन्हें भी गोली मार दी गई. गर्दनीबाग उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र राजेन्द्र सिंह तिरंगा फहराने को आगे बढ़े लेकिन वह सफल नहीं हुए, न्हें भी गोलियों से ढेर कर दिया गया.
उमाकांत ने फहराया तिरंगा: राजेन्द्र सिंह के हाथ से झंडा लेकर बीएन कॉलेज के छात्र जगतपति कुमार आगे बढ़े, जगतपति को एक गोली हाथ में लगी और दूसरी गोली छाती में तीसरी गोली जांघ में. इसके बावजूद तिरंगे को झुकने नहीं दिया, तब तक तिरंगे को फहराने को आगे बढ़े उमाकांत और पुलिस ने उन्हें भी गोली का निशाना बनाया. उन्होंने गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहरा दिया.
'यहां हो लाइब्रेरी की स्थापना': बहरहाल अगस्त क्रांति की मौके पर एक बार फिर से पूरा देश उन क्रांतिकारियों को नमन कर रहा है. वहीं पुनपुन के सहादत नगर के लोग भी उन्हें याद करते हुए सरकार से उदासीनता का भी आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहीदों के नाम पर आज तक कुछ सरकार नहीं किया है, सिर्फ सड़के बनी है. लोगों ने सरकार से मांग किया है कि उनके नाम पर गांव में एक लाइब्रेरी की स्थापना की जाए.
"हमारे गांव सहादत नगर के रहने वाले शाहिद रामानंद सिंह बहुत ही कम उम्र में पटना सचिवालय में तिरंगा फहराने के दौरान ब्रिटिश हुकूमत की गोलियां सीने पर खाकर शहीद हो गए. आज मेरा पूरा गांव ही नहीं पूरा बिहार गवर्नमेंट है लेकिन सरकार ने उनके नाम पर सिर्फ सड़के बना दी. आज तक न सरकारी अस्तर पर उनकी प्रतिमा बनी और ना ही उनका जो सपना था लाइब्रेरी बनाने का वह भी नहीं बना."-सतीश कुमार सिंह, ग्रामीण