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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ; मूसा डाकरी संग्रहालय में संरक्षित है भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा, करीब दो हजार साल है पुरानी - statue of Lord Gautam Buddha - STATUE OF LORD GAUTAM BUDDHA

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दो हजार साल पुरानी भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा (Musa Dakari Museum in AMU) मौजूद है. यह प्रतिमा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

लीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
लीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 9, 2024, 5:30 PM IST

एएमयू ऐतिहासिक विभाग के प्रोफेसर सैयद अली नदीम रेजावी ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)

अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के मूसा डाकरी संग्रहालय में यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने ऐतिहासिक चीजों का अद्वितीय संग्रह किया था. संग्रहालय में भगवान गौतम बुद्ध की करीब दो हजार साल पुरानी बैठने की मुद्रा की दुर्लभ प्रतिमा रखी है.

मूसा डाकरी संग्रहालय, एएमयू : एएमयू के मूसा डाकरी संग्रहालय में भगवान गौतम बुद्ध की करीब दो हजार साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. संग्रहालय की दुर्लभ चीजें देखकर हर किसी की नजर नहीं हटती. संग्रहालय में शिलालेख, स्तूप, खुदाई में मिले सदियों पुराने बर्तन भी अपना महत्व बयां कर रहे हैं. संग्रहालय में 1-2वीं सदी की गौतम बुद्ध की बैठने की मुद्रा की दुर्लभ प्रतिमा रखी है, जो खंडित है. 11-12वीं सदी का सूर्य, आदमकद बुद्ध प्रतिमा, हाथी और लक्ष्मी की 9-10वीं सदी की खंडित प्रतिमा, 9-10वीं सदी की खंडित प्रतिमा आदि है. इसके अलावा अन्य जीवों के रहन-सहन को भी दिखाया गया है. जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ी हर चीज जो सर सैयद ने अलीगढ़ और अन्य स्थानों पर थी, उसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मूसा डाकरी संग्रहालय की सर सैयद गैलरी में रखा है.

सर सैयद अहमद खान : एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान 19वीं सदी के भारतीय मुस्लिम व्यवहारवादी, सुधारक और दार्शनिक थे. सैयद अहमद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के सैयद परिवार में हुआ था. 28 मार्च 1898 को अलीगढ़ में उनकी मृत्यु हो गई. सर सैयद की शैक्षणिक सेवाओं को तो दुनिया जानती है, लेकिन उनकी शिक्षा से पहले पुरातत्व के क्षेत्र में उनकी सेवाओं पर काम नहीं किया गया, यही कारण है कि आज उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने शिक्षा से पहले पुरातत्व के क्षेत्र की सेवाओं पर काम किया था. 1847 में सर सैयद ने दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतो पर एक किताब लिखी थी, जिसका नाम आसार-उस-सनादीद था जो एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक किताब है.

एएमयू ऐतिहासिक विभाग के प्रोफेसर सैयद अली नदीम रेजावी ने बताया कि एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने भारतीय इतिहास की महान पूंजी को बचाया था. मूसा डाकरी संग्रहालय में, जैन धर्म का बड़ा स्तंभ, बुद्ध की एक दुर्लभ मूर्ति, उपदेश, जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ी हर चीज जो सर सैयद ने अलीगढ़ और अन्य स्थानों पर पाई थी, वह मूसा डाकरी संग्रहालय की सर सैयद गैलरी में रखा हुआ है.



उन्होंने कहा कि एएमयू कैनेडी हॉल में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय संग्रहालय स्थापित करना चाहता था. इस संग्रहालय में बड़ी संख्या में बहुमूल्य प्राचीन वस्तुएं संरक्षित की जाएंगी. एएमयू के एक यूएस निवासी शुभचिंतक मूसा डाकरी ने विश्वविद्यालय को 50 हजार यूएस डॉलर की धनराशि दान की थी. श्री मूसा डाकरी भारत के गुजरात से हैं और अब वे यूएस में रहते हैं. उन्होंने जनवरी 2014 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया था, उस समय एएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीर उद्दीन शाह ने उनके इस परोपकारी दान के लिए उनका आभार व्यक्त किया था.

यह भी पढ़ें : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

यह भी पढ़ें : AMU में फंड की कमी के चलते बंद हो रहा M.Voc कोर्स, छात्र परेशान

एएमयू ऐतिहासिक विभाग के प्रोफेसर सैयद अली नदीम रेजावी ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)

अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के मूसा डाकरी संग्रहालय में यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने ऐतिहासिक चीजों का अद्वितीय संग्रह किया था. संग्रहालय में भगवान गौतम बुद्ध की करीब दो हजार साल पुरानी बैठने की मुद्रा की दुर्लभ प्रतिमा रखी है.

मूसा डाकरी संग्रहालय, एएमयू : एएमयू के मूसा डाकरी संग्रहालय में भगवान गौतम बुद्ध की करीब दो हजार साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. संग्रहालय की दुर्लभ चीजें देखकर हर किसी की नजर नहीं हटती. संग्रहालय में शिलालेख, स्तूप, खुदाई में मिले सदियों पुराने बर्तन भी अपना महत्व बयां कर रहे हैं. संग्रहालय में 1-2वीं सदी की गौतम बुद्ध की बैठने की मुद्रा की दुर्लभ प्रतिमा रखी है, जो खंडित है. 11-12वीं सदी का सूर्य, आदमकद बुद्ध प्रतिमा, हाथी और लक्ष्मी की 9-10वीं सदी की खंडित प्रतिमा, 9-10वीं सदी की खंडित प्रतिमा आदि है. इसके अलावा अन्य जीवों के रहन-सहन को भी दिखाया गया है. जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ी हर चीज जो सर सैयद ने अलीगढ़ और अन्य स्थानों पर थी, उसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मूसा डाकरी संग्रहालय की सर सैयद गैलरी में रखा है.

सर सैयद अहमद खान : एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान 19वीं सदी के भारतीय मुस्लिम व्यवहारवादी, सुधारक और दार्शनिक थे. सैयद अहमद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के सैयद परिवार में हुआ था. 28 मार्च 1898 को अलीगढ़ में उनकी मृत्यु हो गई. सर सैयद की शैक्षणिक सेवाओं को तो दुनिया जानती है, लेकिन उनकी शिक्षा से पहले पुरातत्व के क्षेत्र में उनकी सेवाओं पर काम नहीं किया गया, यही कारण है कि आज उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने शिक्षा से पहले पुरातत्व के क्षेत्र की सेवाओं पर काम किया था. 1847 में सर सैयद ने दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतो पर एक किताब लिखी थी, जिसका नाम आसार-उस-सनादीद था जो एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक किताब है.

एएमयू ऐतिहासिक विभाग के प्रोफेसर सैयद अली नदीम रेजावी ने बताया कि एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने भारतीय इतिहास की महान पूंजी को बचाया था. मूसा डाकरी संग्रहालय में, जैन धर्म का बड़ा स्तंभ, बुद्ध की एक दुर्लभ मूर्ति, उपदेश, जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ी हर चीज जो सर सैयद ने अलीगढ़ और अन्य स्थानों पर पाई थी, वह मूसा डाकरी संग्रहालय की सर सैयद गैलरी में रखा हुआ है.



उन्होंने कहा कि एएमयू कैनेडी हॉल में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय संग्रहालय स्थापित करना चाहता था. इस संग्रहालय में बड़ी संख्या में बहुमूल्य प्राचीन वस्तुएं संरक्षित की जाएंगी. एएमयू के एक यूएस निवासी शुभचिंतक मूसा डाकरी ने विश्वविद्यालय को 50 हजार यूएस डॉलर की धनराशि दान की थी. श्री मूसा डाकरी भारत के गुजरात से हैं और अब वे यूएस में रहते हैं. उन्होंने जनवरी 2014 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया था, उस समय एएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीर उद्दीन शाह ने उनके इस परोपकारी दान के लिए उनका आभार व्यक्त किया था.

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