जयपुरः राज्य मानवाधिकार आयोग ने खाद्य विभाग की ओर से बीते दिनों हाईकोर्ट परिसर की कैंटीन में कार्रवाई कर दूषित खाद्य पदार्थो की बिक्री करने और फूड लाइसेंस नहीं होने के मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है. इसके साथ ही आयोग ने स्वास्थ्य सचिव, उपभोक्ता निदेशालय, खाद्य सुरक्षा आयुक्त, सभी जिलों के कलेक्टर व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कार्रवाई करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश इस संबंध में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रसंज्ञान लेते हुए दिए.
आयोग ने इन अधिकारियों को कहा है कि वे खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए समय-समय पर कार्रवाई करें. इस दौरान दुकानदारों के पास फूड लाइसेंस नहीं मिलने पर नगर पालिका व निगमों के प्रभावी त्वरित कार्रवाई करें, ताकि मिलावटी सामग्री से जनता का बचाव हो सके. आयोग ने राज्य सरकार से यह भी अपेक्षा की है कि वह इस संबंध में बने कानून के विषय में प्रभावी विधायी नियमों को जल्दी लागू करें.
रिपोर्ट्स में बताया गया कि खाद्य विभाग ने हाईकोर्ट परिसर स्थित कैंटीनों का निरीक्षण किया था. इस दौरान टीम को अवधि पार फूड, फफूंद लगी सामग्री मिली. वहीं, किसी भी दुकानदार के पास फूड लाइसेंस भी नहीं था. यहां घरेलू गैस सिलेंडर भी काम में लिए जा रहे थे. निरीक्षण के दौरान एक कैंटीन में सड़ी सब्जियां, कृत्रिम रंग, गंदे बर्तन, कोरोना काल से पड़ी नमकीन, सहित अन्य गंदा सामान मिला. आयोग ने कहा कि अधिवक्ता न्यायालयों में काम करके कुछ देर सुस्ताने के लिए चाय या अन्य खाद्य पदार्थ का सेवन करता है, लेकिन यहां वे भी सुरक्षित नहीं मिलते. खाद्य विभाग त्योहारों के दौरान प्रभावी कार्रवाई करता है, लेकिन आम दिनों में कार्रवाई में शिथिलता के चलते मिलावटी खाद्य सामग्री जनस्वास्थ्य को कष्ट पहुंचाते हैं.