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एकलपीठ के अंतरिम आदेश पर राज्य सरकार की आपत्ति, खंडपीठ ने 6 सप्ताह बाद रखी सुनवाई - Rajasthan High Court

Rajasthan High Court, राज्य सरकार ने पर्यावरण को लेकर एकलपीठ की ओर से लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के दौरान दिए गए आदेशों पर आपत्ति जताई है. वहीं, खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए छह सप्ताह का समय देते हुए प्रकरण की सुनवाई टाल दी.

Rajasthan High Court
अंतरिम आदेश पर राज्य सरकार की आपत्ति (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 15, 2024, 9:04 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार ने पर्यावरण को लेकर एकलपीठ की ओर से लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के दौरान दिए गए आदेशों पर आपत्ति जताई है. वहीं, खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए छह सप्ताह का समय देते हुए प्रकरण की सुनवाई टाल दी. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रकरण में एकलपीठ ने गत 30 मई को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. इस दौरान एकलपीठ ने कई निर्देश पारित कर दिए. जबकि इससे पूर्व प्रकरण में राज्य सरकार के पक्ष को नहीं सुना गया. एकलपीठ को आदेश जारी करने से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाना चाहिए था. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह टालते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.

इसे भी पढ़ें - सफाई कर्मचारी भर्ती पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सिर्फ नगरीय निकाय के अनुभव प्रमाण पत्र की शर्त को किया रद्द - Rajasthan High Court

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 30 मई को प्रकरण में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया था. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कई निर्देश भी दिए थे. एकलपीठ के निर्देश पर प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज कर सुनवाई के लिए खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

जयपुर. राज्य सरकार ने पर्यावरण को लेकर एकलपीठ की ओर से लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के दौरान दिए गए आदेशों पर आपत्ति जताई है. वहीं, खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए छह सप्ताह का समय देते हुए प्रकरण की सुनवाई टाल दी. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रकरण में एकलपीठ ने गत 30 मई को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. इस दौरान एकलपीठ ने कई निर्देश पारित कर दिए. जबकि इससे पूर्व प्रकरण में राज्य सरकार के पक्ष को नहीं सुना गया. एकलपीठ को आदेश जारी करने से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाना चाहिए था. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह टालते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.

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गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 30 मई को प्रकरण में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया था. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कई निर्देश भी दिए थे. एकलपीठ के निर्देश पर प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज कर सुनवाई के लिए खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

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