जयपुर. नाबार्ड की ओर से आज स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण समृद्धि को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3.62 लाख करोड़ के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण संभाव्यता का अनुमान लगाया है. यह राशि पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 32 फीसदी ज्यादा है. स्टेट क्रेडिट सेमिनार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोड़ा ने नाबार्ड द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर (एसएफपी) का भी विमोचन किया. इस मौके पर बजट एवं व्यय विभाग के सचिव नरेश कुमार ठकराल, आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक नवीन नाम्बियार, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सीवच, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक हर्षद कुमार टी सोलंकी भी मौजूद रहे.
नाबार्ड और बैंकिंग विकास के इकोसिस्टम का हिस्सा : इस मौके पर अखिल अरोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि नाबार्ड और बैंकिंग क्षेत्र न केवल विकास के भागीदार हैं, बल्कि विकास के इकोसिस्टम का एक अभिन्न हिस्सा हैं. उन्होंने कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को मजबूत बनाने के साथ साथ युवाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करके उनकी क्षमताओं का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने विकसित भारत 2047 मिशन की तर्ज पर विकसित राजस्थान 2047 की दिशा में काम करने के लिए सरकार और बैंकिंग क्षेत्र के समन्वय का आग्रह किया.
सबसे ज्यादा ऋण कृषि के लिए संभावित: नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने स्टेट फोकस पेपर के बारे में बताते हुए कहा कि कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में से 1.89 लाख करोड़ रुपए (52%) कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए आंकलन किया गया है. एमएसएमई क्षेत्र के लिए 1.41 लाख करोड़ (39%) और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि आवास, शिक्षा आदि के लिए 0.32 लाख करोड़ रुपए का ऋण (9%) का आंकलन किया गया है. एसएफपी में आंकलित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज के रूप में किया जाएगा.
ऋण की मांग और उपलब्धता पर भी विमर्श: डॉ. सिवाच ने आगे बताया कि आज के सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों में नाबार्ड, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं और कार्यक्रमों के मद्देनजर ऋण की मांग एवं उपलब्धता पर विचार-विमर्श किया गया. उन्होंने कहा कि कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के सामूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके कृषि की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है.
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उत्कृष्ट काम करने वालों का सम्मान : उन्होंने किसानों को बेहतर ऋण प्रवाह के लिए प्राथमिक सहकारी कृषि समितियों के कंप्यूटरीकरण के माध्यम से सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संयुक्त प्रयासों के बारे में भी बताया. सेमीनार के दौरान, राज्य में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले किसान उत्पादक संगठनों और भंडारण सहयोगों और कंप्यूटरीकरण में अग्रणी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को भी सम्मानित किया गया.