कोटा: कांग्रेस के शासनकाल में सरीसृप के बारे में आम जन को जागरूक करने और उन पर शोध करने वाले स्टूडेंट को मदद करने के लिए स्नेक पार्क का निर्माण करवाया गया था. यह निर्माण साल मार्च 2023 में पूरा हो गया, लेकिन सरकार बदल जाने के चलते अभी तक भी शुरू नहीं हो पाया है. तत्कालीन नगर विकास न्यास ने इसका निर्माण करवाया था और अब इसकी पूरी जिम्मेदारी कोटा विकास प्राधिकरण की हो गई है. सेंट्रल जू अथॉरिटी से स्नेक पार्क को शुरू करने की अनुमति भी दिसंबर 2023 में ही मिल गई थी, लेकिन उसके बाद भी यह शुरू नहीं हो पाया. सबसे बड़ी चुनौती सांपो की शिफ्टिंग और ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट है.
कोटा विकास प्राधिकरण के पास ऐसी टीम नहीं है कि वह इसमें पार्क को चला सके, क्योंकि वहां पर रेस्क्यूअर से लेकर बायोलॉजिस्ट और वेटरनरी डॉक्टर का स्टाफ भी चाहिए. उसके बाद इस पूरे स्नेक पार्क को ही कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फर्म के जरिए ऑपरेशन एंड मेंटिनेस का ठेका दिए जाने की योजना बनाई गई है, ताकि आमजन को इस स्नेक पार्क का फायदा दिलाया जा सके.
आपको बता दें कि देश मे अन्य जगह स्नेक पार्क बायोलॉजिकल पार्क के साथ ही संचालित किए जा रहे हैं, जबकि कोटा में बना देश का डेडीकेटेड व इंडिपेंडेंट स्नेक पार्क है. यह राजस्थान का तो पहला ही स्नेक पार्क होगा.
केडीए के पास नहीं हैं इस तरह के स्टाफ : स्नेक पार्क में वेटरनरी डॉक्टर, स्नेक रेस्क्यूअर, बायोलॉजिस्ट से लेकर केयरटेकर की दरकार है. इसके अलावा स्नेक पार्क को संचालित करने के लिए बड़ी संख्या में स्टाफ की भी आवश्यकता है. एक दर्जन से ज्यादा स्टाफ यहां पर रखा जाना है, जिसमें से अकाउंट और आईटी के लोग भी चाहिए, क्योंकि 29 अलग-अलग प्रजातियों के करीब 300 से 400 स्नेक यहां पर रखे जाने हैं. इनमें भारतीय और विदेशी प्रजातियां शामिल हैं. यहां तक कि पाइथन व एनाकोंडा तक भी यहां पर रखे जाने की योजना है. हालांकि, केडीए के पास इनमें से आधी कैटेगरी का स्टाफ नहीं है, साथ ही फॉरेस्ट से उन्हें डेपुटेशन पर लगाने के लिए सेंशन पोस्ट भी नहीं है. इसलिए भी स्नेक पार्क को संचालन में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
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स्नेक की शिफ्टिंग भी एक प्रक्रिया, केवल पार्क से हो सकते हैं शिफ्ट : सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति के बाद सांपों को स्नेक पार्क को शिफ्ट किया जाता है. कोटा में बने स्नेक पार्क को 14 दिसंबर 2023 को शुरू करने की सैद्धांतिक अनुमति मिल गई थी. इसके बाद कुछ शर्तों को पालन किया जाना था, लेकिन सांपों को शिफ्ट करना भी एक चैलेंज जैसा ही है. यह सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमों के अनुसार होता है, जिसके तहत चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाले वन्य जीव और पक्षियों को ही नए या दूसरे चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में भेजा जा सकता है. रेस्क्यू किए गए या जंगल से आए हुए वन्य जीव या पक्षियों को चिड़ियाघर या बायोलॉजिकल पार्क में नहीं छोड़ा जाता है. ठीक इसी तरह से स्नेक पार्क में रहने वाले स्नैक को ही स्नेक पार्क में शिफ्ट किया जाता है. जबकि रेस्क्यू हुए स्नैक को जंगल में रिलीज करना होता है.
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केडीए के लिए संचालन करना चुनौती : कोटा विकास प्राधिकरण के लिए इस स्नेक पार्क को संचालित करना भी वर्तमान में चुनौती बना हुआ है, क्योंकि स्नेक पार्क का निर्माण करवाना अलग है, लेकिन संचालन फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ और डिपार्टमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग का सहयोग से किया जाना है. हालांकि, सीधे तौर पर इन विभागों से समन्वय बनाकर संचालन करना भी चुनौती बना हुआ है. इसीलिए ऐसी संस्था के जरिए इसका संचालन करवाया जाना तय किया गया है.
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स्नेक की शिफ्टिंग के अलावा सब कुछ तैयार : स्नेक पार्क की बिल्डिंग को भी सांप का स्वरूप दिया गया है. पार्क के साथ शेषनाग की प्रतिमा लगाकर फाउंटेन भी बनाया है. इसके साथ ही अंदर जहां पर सांपों को रखा जाएगा, वहां भी इस तरह की पेंटिंग या दीवारों पर पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि सांपों को जंगल जैसा ही फूल ले और पूरी तरह से ग्रीनरी जैसा माहौल लगे. जिस जगह सांप रहेंगे वहां पर नीचे मिट्टी डाली गई है. डिस्प्ले एरिया की तरफ कांच लगा है और उसे रेलिंग के जरिए कवर कर दिया है. यह सब कुछ पूरी तरह बनकर तैयार हैं, केवल सांप की शिफ्टिंग और इन्हें शुरू करने का इंतजार है. स्नेक पार्क के साथ यहां आने वाले पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया भी बनाया गया है. इसके अलावा कॉन्फ्रेंस हॉल और एक म्यूजियम भी तैयार है.
स्नेक पार्क के संचालन के लिए बिड डॉक्युमेंट तैयार कर लिया गया है. जल्दी टेंडर लगा दिए जाएंगे. इसको पूरी तरह ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का कांटेक्ट किया जाएगा. इसमें कुछ रिनोवेट या मॉडिफिकेशन करना है, वह भी कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली फर्म करेगी. इसके साथ ही कैफेटेरिया और पूरे हर्बल पार्क का संचालन फर्म ही करेगी. सांपों को लाने की अनुमति भी मिल गई है तो उसके अनुसार स्नेक को लाया जा सकेगा. यह कार्य भी फर्म को ही करना होगा. - रविंद्र प्रकाश माथुर, निदेशक अभियांत्रिकी, केडीए कोटा.