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हाथरस जैसी घटनाओं से निपटने के लिए डीजीपी ने जारी की SOP, ऐसा हुआ तो नहीं मिलेगी अनुमति - Hathras stampede

हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ (Hathras Stampede) जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने गाइडलाइन जारी की है. गाइनलाइन में आयोजनों को लेकर कड़े प्रावधान किये गये हैं.

डीजीपी प्रशांत कुमार
डीजीपी प्रशांत कुमार (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 3:44 PM IST

लखनऊ : बीते दिनों हुए हाथरस भगदड़ कांड के बाद अब यूपी पुलिस सतर्क हो गई है. डीजीपी प्रशांत कुमार ने बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और उसमें पुलिस बल की तैनाती को लेकर एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसेस- मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है. इसके मुताबिक अब बड़े आयोजनों में खतरे का आकलन करने के बाद ही कार्यक्रम की अनुमति मिलेगी. अनुमित देने से पहले पुलिस विभाग के वरिष्ठ अफसरों को खुद कार्यक्रम स्थल का निरक्षण करना होगा. आयोजन स्थल पर वीआईपी के अलग से रूट्स बनाए जाएंगे.

बता दें, हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद अब यूपी पुलिस बड़े आयोजन, जैसे क्रिकेट मैच, मॉल में किसी अभिनेता या फिर सिंगर के कार्यक्रम, बड़े महोत्सव में आने वाली भीड़ के प्रबंधन को लेकर गंभीर हो गई है. जिसके लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने एसओपी जारी की है. एसओपी के मुताबिक भीड़ जनित आपदा के दृष्टिगत कमिश्नरेट, जिला, रेंज, जोन स्तर पर एक एकीकृत प्रणाली (इंटीग्रेटेड सिस्टम) विकसित की जाएगी.

डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, अग्निशमन, विभिन्न स्वयंसेवी संगठन तथा स्थानीय पुलिस द्वारा इसे लगातार अपडेट किया जाता रहेगा. आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी विभाग नियमित पूर्वाभ्यास करेंगे. पुलिस लाइन में विशेष आयोजनों में सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण तथा यातायात के मद्देनजर आवश्यक संसाधनों, उपकरण और प्रशिक्षण का इंतजाम करना होगा. सभी राजकीय और निजी अस्पतालों को भी चिह्नित करना होगा.

डीजीपी द्वारा जारी SOP (मानक संचालन प्रक्रिया):

  • संभावित खतरे जैसे अग्नि दुर्घटना, विद्युत जनित दुर्घटना, मार्ग दुर्घटना, श्वास अवरोध आदि का आकलन.
  • नोडल मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसी, नगर निगम, खाद्य सुरक्षा विभाग, एयरपोर्ट सुरक्षा तथा प्रोटोकॉल एवं जिला प्रशासन से समन्वय.
  • कार्यक्रम धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, खेल आदि किस प्रकार का है, आगंतुकों की संख्या का पता.
  • पुलिस, पीएसी, सीएपीएफ बल, राजपत्रित अधिकारी तथा संसाधनों का औचित्यपूर्ण मांग पत्र तैयार किया जाना.
  • फवाह फैलाने वालों, असामाजिक तत्वों पर सतर्क दृष्टि रखना, सोशल मीडिया और मीडिया की समुचित ब्रीफिंग करना.
  • सिविल डिफेंस, एसपीओ, होमगार्ड, चौकीदार, पुलिसमित्र, जनप्रतिनिधि, रिटायर्ड कर्मियों व सी प्लान एप के सदस्यों का प्रयोग करना.
  • कार्यक्रम स्थल पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था, पेयजल, पंखे, एंबुलेंस तथा मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के अनुरूप संसाधनों की व्यवस्था करना.
  • भीड़ नियंत्रण योजना के अनुरूप व्यक्तियों व वाहनों का आवागमन तथा पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करना.
  • कार्यक्रम स्थल पर लगे सीसीटीवी की मॉनिटरिंग, ऑपरेशनल कंट्रोल एवं कमांड सेंटर को सक्रिय रखना.
  • भगदड़ होने पर पीड़ितों को अस्पताल भेजने के लिए अधिक एंबुलेंस का प्रबंध व ग्रीन कॉरिडोर बनाना.
  • शवों को घर पहुंचाने, अंतिम संस्कार कराने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाना.
  • स्थानीय फील्ड यूनिट, अग्निशमन, बीडीएस टीम, पीएसी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ को तत्काल भेजना.
  • घटना का मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को गिरफ्तार करना, ठोस साक्ष्य जुटाकर समयबद्ध विवेचना करना.

यह भी पढ़ें : हापुड़ घटना के बाद DGP के सख्त तेवर, बोले- थानों में व्यापारियों के खिलाफ किया जा रहा कानून का गलत इस्तमाल - DGP PRASHANT KUMAR

यह भी पढ़ें : सीएम योगी के बाद यूपी के DGP भी एक्शन मोड में, सभी जिलों के अफसरों को लेंगे क्लास

लखनऊ : बीते दिनों हुए हाथरस भगदड़ कांड के बाद अब यूपी पुलिस सतर्क हो गई है. डीजीपी प्रशांत कुमार ने बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और उसमें पुलिस बल की तैनाती को लेकर एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसेस- मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है. इसके मुताबिक अब बड़े आयोजनों में खतरे का आकलन करने के बाद ही कार्यक्रम की अनुमति मिलेगी. अनुमित देने से पहले पुलिस विभाग के वरिष्ठ अफसरों को खुद कार्यक्रम स्थल का निरक्षण करना होगा. आयोजन स्थल पर वीआईपी के अलग से रूट्स बनाए जाएंगे.

बता दें, हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद अब यूपी पुलिस बड़े आयोजन, जैसे क्रिकेट मैच, मॉल में किसी अभिनेता या फिर सिंगर के कार्यक्रम, बड़े महोत्सव में आने वाली भीड़ के प्रबंधन को लेकर गंभीर हो गई है. जिसके लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने एसओपी जारी की है. एसओपी के मुताबिक भीड़ जनित आपदा के दृष्टिगत कमिश्नरेट, जिला, रेंज, जोन स्तर पर एक एकीकृत प्रणाली (इंटीग्रेटेड सिस्टम) विकसित की जाएगी.

डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, अग्निशमन, विभिन्न स्वयंसेवी संगठन तथा स्थानीय पुलिस द्वारा इसे लगातार अपडेट किया जाता रहेगा. आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी विभाग नियमित पूर्वाभ्यास करेंगे. पुलिस लाइन में विशेष आयोजनों में सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण तथा यातायात के मद्देनजर आवश्यक संसाधनों, उपकरण और प्रशिक्षण का इंतजाम करना होगा. सभी राजकीय और निजी अस्पतालों को भी चिह्नित करना होगा.

डीजीपी द्वारा जारी SOP (मानक संचालन प्रक्रिया):

  • संभावित खतरे जैसे अग्नि दुर्घटना, विद्युत जनित दुर्घटना, मार्ग दुर्घटना, श्वास अवरोध आदि का आकलन.
  • नोडल मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसी, नगर निगम, खाद्य सुरक्षा विभाग, एयरपोर्ट सुरक्षा तथा प्रोटोकॉल एवं जिला प्रशासन से समन्वय.
  • कार्यक्रम धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, खेल आदि किस प्रकार का है, आगंतुकों की संख्या का पता.
  • पुलिस, पीएसी, सीएपीएफ बल, राजपत्रित अधिकारी तथा संसाधनों का औचित्यपूर्ण मांग पत्र तैयार किया जाना.
  • फवाह फैलाने वालों, असामाजिक तत्वों पर सतर्क दृष्टि रखना, सोशल मीडिया और मीडिया की समुचित ब्रीफिंग करना.
  • सिविल डिफेंस, एसपीओ, होमगार्ड, चौकीदार, पुलिसमित्र, जनप्रतिनिधि, रिटायर्ड कर्मियों व सी प्लान एप के सदस्यों का प्रयोग करना.
  • कार्यक्रम स्थल पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था, पेयजल, पंखे, एंबुलेंस तथा मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के अनुरूप संसाधनों की व्यवस्था करना.
  • भीड़ नियंत्रण योजना के अनुरूप व्यक्तियों व वाहनों का आवागमन तथा पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करना.
  • कार्यक्रम स्थल पर लगे सीसीटीवी की मॉनिटरिंग, ऑपरेशनल कंट्रोल एवं कमांड सेंटर को सक्रिय रखना.
  • भगदड़ होने पर पीड़ितों को अस्पताल भेजने के लिए अधिक एंबुलेंस का प्रबंध व ग्रीन कॉरिडोर बनाना.
  • शवों को घर पहुंचाने, अंतिम संस्कार कराने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाना.
  • स्थानीय फील्ड यूनिट, अग्निशमन, बीडीएस टीम, पीएसी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ को तत्काल भेजना.
  • घटना का मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को गिरफ्तार करना, ठोस साक्ष्य जुटाकर समयबद्ध विवेचना करना.

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