बरेली: यूपी के बरेली के मीरगंज अस्पताल में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का असर देखने को मिला, कलेक्टर रविन्द्र कुमार के आदेश पर जांच के बाद दोषी पाई गईं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मीरगंज की आशा कार्यकर्ता रीतू और स्टाफ नर्स निहारिका यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की गई. जिसके बाद जिले के स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मचा हुआ है.
दरअसल, 15 सितंबर को नथपुरा निवासी उमेश ने अपनी पत्नी अनीता को डिलीवरी के लिए मीरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां सिजेरियन से नीता ने बेटी को जन्म दिया. उमेश ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के बदले मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की. मजबूरन उमेश से 5,000 रुपये ले लिए गए.
इसी रिश्वत कांड का खुलासा 16 सितंबर को उस वक्त हुआ, जब जिला पंचायत सदस्य निरंजन यदुवंशी ने सोशल मीडिया के एक्स पर एक वीडियो और शिकायत पत्र जारी किया. जिसमें उन्होंने पूरे मामले को विस्तार में बताया. साथ ही अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया. शिकायत सामने आते ही उपजिलाधिकारी मीरगंज तृप्ति गुप्ता ने मौके पर पहुंचकर चिकित्सा अधीक्षक से उमेश को 5,000 रुपये वापस दिलवाए.
मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर रविन्द्र कुमार के आदेश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी बरेली ने एक संयुक्त जांच समिति का गठन किया. समिति की जांच रिपोर्ट 20 सितंबर को सौंपी गई. जिसमें आशा कार्यकर्ता रीतू और स्टाफ नर्स निहारिका यादव को दोषी पाया गया.
जांच के दौरान यह साबित हुआ कि, आशा कार्यकर्ता रीतू ने अपने पद का दुरुपयोग कर 5,000 रुपये की रिश्वत ली और स्टाफ नर्स निहारिका यादव की इसमें मिलीभगत थी. जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है.
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