पटनाः बिहार कांग्रेस में टूट से प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का एक बयान याद आ रहा है. बयान दिए 15 दिन भी नहीं बीते थे कि कांग्रेस को बड़ा झटका लग गया. कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ और पूर्व मंत्री मुरारी गौतम एनडीए का हाथ थाम लिया. बागी विधायक मुरारी गौतम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अभी और विधायकों की लड़ी लगने वाली है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार कांग्रेस पूरी तरह से टूट जाएगी?
जिम्मेदारी निभा पाए अखिलेश? कांग्रेस नेता मदन मोहन झा के बाद कांग्रेस ने काफी विश्वास के साथ अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. जिस विश्वास के साथ कांग्रेस ने बिहार का प्रभार दिया उसे अखिलेश प्रसाद ने अच्छे से निभाया. यहां तक कि सरकार बदलने के बाद विश्वास मत के दौरान उनके विधायक टस से मस नहीं हुए. इस दौरान अखिलेश प्रसाद सिंह ने मीडिया के सामने सीना चौड़ा करते हुए कहा था कि कांग्रेस की चट्टानी एकता कायम रही.
चट्टानी एकता को लगी नजर: अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा था कि "हमें खुशी है कि कांग्रेस के सभी विधायक एक रहे. पूरी चट्टानी एकता बनाए रखा. भाजपा जैसी पार्टी टूट गई. जदयू में भी टूट हुई लेकिन कांग्रेस पार्टी राहुल जी के नेतृत्व में खड़गे जी के नेतृत्व में अपनी चट्टानी एकता कायम रखी." इस बयान के ठीक 15 दिन बाद कांग्रेस की चट्टानी एकता टूट गई. दो विधायक एनडीए का हाथ थाम लिया. चर्चा है कि कांग्रेस के 9 विधायक हैं जो कभी भी पाला बदल सकते हैं.
लाइन में हैं कई विधायकः सूत्रों की माने तो कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम, मनोहर सिंह और नीतू सिंह किसी समय भाजपा में शामिल हो सकते हैं. सिद्धार्थ सौरभ और मुरारी गौतम के पाला बदलने के बाद कांग्रेस ने इन दोनों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा. इन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया है. कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद ने कहा कि ऐसे गद्दारों पर कार्रवाई की जाएगी.
"कोई जयचंद और मीर जाफर जैसे गद्दारों के फेहरिस्त में शामिल होना चाहे तो उसके लिए क्या किया जा सकता. प्रलोभन की दुनिया को यह दोनों विधायक आबाद कर रहे हैं. भाजपा के प्रलोभन में आकर दोनों विधायक बागी हुए हैं. अब भाजपा को नैतिकता के संबंध में बोलने के लिए कुछ बच नहीं गया." -शकील अहमद, कांग्रेस नेता
क्या बोले सिद्धार्थ सौरव : पाला बदलने के बाद कांग्रेस के दोनों विधायक बागी कहलाने लगे हैं. जब मीडिया ने इसपर सवाल किया तो सिद्धार्थ सौरव भड़क गए. कहा कि हमें कोई प्रलोभन नहीं दिया गया है और नह ही हमें पद की लालच है. उन्होंने कहा कि पार्टी कोई भी हो शुरू से जनता की सेवा करते आए हैं और आगे भी करेंगे. सिद्धार्थ का कहना है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर आए हैं क्योंकि वे विकास का काम कर रहे हैं.
"जो गद्दार कह रहे हैं, वे खुद बताएं कि अखिलेश सिंह भी तो दूसरे दल से कांग्रेस में आए. उन्हें गद्दार बोलने का कोई हक नहीं. राजद में मन नहीं लगा और तरजीह नहीं मिली तो कांग्रेस में आ गए. खुद याद करें कि कहां थे और आज कहां आ गए. कांग्रेस से पाला बदलने वाले विधायकों की लड़ी लगेगी और बहुत सारे विधायक पाला बदलने वाले हैं." -सिद्धार्थ सौरव
'9 विधायक बदलेंगे पाला': विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी पटकथा 6 महीने पहले से लिखी जा रही है. कांग्रेस को कोई पूछने वाला नहीं था. विजय शंकर दुबे एक महीने से बेटे के शादी का हवाला देकर पटना में हैं. पाला बदलने के इच्छुक विधायकों की डील अभी तय नहीं हो पा रही है. कोई लोकसभा चुनाव के लिए टिकट चाहता है तो कोई अगले विधानसभा चुनाव में अपना टिकट पक्का करना चाहता है. 19 में से 11 एमएलए बीजेपी के ट्रैक पर हैं. बचे हुए 8 में पांच मुस्लिम और तीन हिंदू है जो वरिष्ठ है. ये कहीं नहीं जाएंगे. 11 में दो गए और अब 9 बचे हैं जो कभी भी एनडीए में आ सकते हैं.
"अखिलेश सिंह ने दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा है. इससे एनडीए को और फायदा हो गया है क्योंकि विधानसभा स्पीकर एनडीए के हैं. दोनों विधायक अथवा और जो बागी विधायक आएंगे सभी को अलग गुट का मान्यता दे देंगे. इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस को अंतत हाईकोर्ट के शरण में जाना पड़ेगा." -इंद्रभूषण कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
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