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धनिया पर टैक्स की मार, अच्छी कीमत के लिए MP और गुजरात जा रहे किसान, राजस्थान सरकार को करोड़ों का नुकसान - Spices Mandi Tax

Spices Mandi Tax In Rajasthan, राजस्थान में मसलों पर अधिक टैक्स होने के कारण आज राज्य के किसान अपने माल को बेचने के लिए पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और गुजरात जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें इन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है. वहीं, दूसरी तरफ किसानों के एमपी और गुजरात जाने से राज्य सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा है.

Spices Mandi Tax In Rajasthan
धनिया पर टैक्स की मार (ETV BHARAT KOTA)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 24, 2024, 8:05 PM IST

राजस्थान सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान (ETV BHARAT KOTA)

कोटा : प्रदेश में मसाले पर अधिक टैक्स लगने के कारण अब राज्य के किसान पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और गुजरात में धनिया और जीरा बेचने के लिए जाने लगे हैं. इसके चलते राज्य की भजनलाल सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा है. इसको लेकर राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि कोटा, रामगंजमंडी सहित हाड़ौती की मंडियों में जहां पहले 1.6 लाख मैट्रिक टन धनिया आता था, अब यहां आधा यानी करीब 80 हजार मैट्रिक टन माल रह गया है. शेष माल मध्यप्रदेश की मंडियों में जा रहा है.

इसी तरह से जोधपुर और नागौर का जीरा अब गुजरात जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में इस पर 4.35 फीसदी टैक्स लग रहा है. वहीं, गुजरात में 1.6 और मध्यप्रदेश में एक फीसदी टैक्स लग रहा है. ऐसे में राजस्थान में इन दोनों पड़ोसी राज्यों की तुलना में 2.75 से 3.35 फीसदी तक अधिक टैक्स लग रहा है. इधर, यही स्थिति सरसो और मेथी के साथ भी है.

इसे भी पढ़ें - हाड़ौती में लक्ष्य की 10 फीसदी बुवाई कम, गेहूं, सरसों व धनिया उत्पादन पर दिखेगा असर

किसानों को पड़ रहा हजारों रुपए का फर्क : कोटा व्यापार संघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी का कहना है कि गुजरात में मंडी टैक्स 1 और आढ़त 0.6 फीसदी है. कुल मिलाकर वहां 1.6 फीसदी टैक्स धनिया पर वसूला जा रहा है, जबकि मध्यप्रदेश में केवल एक फीसदी मंडी टैक्स है. इसके अलावा किसी तरह का कोई अन्य कर भी नहीं है. दूसरी तरफ राजस्थान में मंडी टैक्स 1.6, आढ़त 2.25 और कृषक कल्याण फीस 0.5 फीसदी है. यह कुल मिलाकर 4.35 फीसदी हो रहा है. इसके चलते किसान को 10 हजार के माल पर 435 रुपए देने पड़ रहे हैं. जबकि मध्यप्रदेश में 100 और गुजरात में 160 रुपए है. किसान लाखों रुपए का माल एक साथ भेजते हैं. ऐसे में उन्हें हजारों रुपए का अंतर देखने को मिलता है. हाड़ौती के अधिकांश किसान अब माल बेचने के लिए मध्यप्रदेश जा रहे हैं.

राज्य सरकार को हो रहा करोड़ों को नुकसान : महावीर गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार को करोड़ों रुपए जीएसटी का नुकसान हो रहा है. जिस राज्य में यह माल व्यापारी खरीदता है, वहां पर तुरंत इस पर जीएसटी लगाकर आगे बेचा जाता है. ऐसे में जिस राज्य में माल खरीदा जा रहा है, उसे ही जीएसटी का फायदा मिलता है. ऐसे में 5 फीसदी जीएसटी इस पर लगी हुई है. वहीं, हर साल धनिया अरबों रुपए में बिकता है. ऐसे में राज्य सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा है. इस संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मंडी टैक्स कम करवाने और कृषक कल्याण सेस हटाने की मांग की गई है.

इसे भी पढ़ें - Special: अच्छे दाम के बाद भी नहीं बढ़ा धनिए का रकबा, 20 फीसद हुई बुआई, जानें इसके पीछे की सच्चाई

संसाधन-सुविधा बढ़ने से बढ़ा नुकसान : अशोक माहेश्वरी ने बताया कि सालों से राजस्थान में अधिक टैक्स वसूला जा रहा है, लेकिन पहले सुविधा और संसाधन नहीं होने के चलते किसान नजदीकी मंडी में ही माल बेचने के लिए जाया करते थे. अब हर मंडी का भाव किसान को तुरंत पता चल जाता है. दूसरे तरफ साधन और संसाधन भी बढ़ गए हैं. ऐसे में जहां किसान को पहले नजदीकी मंडी में ही माल बेचने पड़ते थे, वो अब दूर जाने से भी नहीं हिचक रहे हैं. इसके चलते व्यापारियों की ट्रेड भी कम हो रही है.

कोरोना निकल गया पर कृषि कल्याण सेस जारी : राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि कोरोना के समय राजस्थान सरकार ने कृषि कल्याण सेस शुरू किया था, लेकिन ये अब भी जारी है. वहीं, वर्तमान में 0.5 फीसदी सेस वसूला जा रहा है. कोरोना निकल जाने के बावजूद भी इसे खत्म नहीं किया गया. जबकि मध्यप्रदेश और गुजरात में इस तरह का कोई सेस नहीं लिया जा रहा है. यह भी एक कारण है जिसके चलते धनिया राजस्थान से मध्यप्रदेश जा रहा है.

इसलिए भी स्थापित नहीं हो रही इंडस्ट्री : कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी का कहना है कि राजस्थान में टैक्स ज्यादा है. इसके चलते यहां पर दाम थोड़े कम रहते हैं. दूसरी तरफ गुजरात और मध्यप्रदेश में टैक्स कम होने के चलते वहां पर व्यापारी ज्यादा दाम पर भी किसानों का माल खरीद लेते हैं. दूसरी तरफ कोटा में उद्यमी मसाला उद्योग के कारखाने स्थापित कर सकते हैं. रामगंज मंडी में स्पाइस पार्क उद्योग नहीं होने की वजह से उजाड़ पड़ा हुआ है. सरकार यहां पर अगर टैक्स कम करें तो यहां उद्यमी रुचि दिखाकर इंडस्ट्री भी स्थापित कर सकते हैं, जिसका फायदा हाड़ौती क्षेत्र को होगा.

इसे भी पढ़ें - रामगंजमंडी में क्वालिटी व दाम के दम पर पहुंच रहा धनिया, देश में बढ़े उत्पादन से किसानों को मुनाफा कम

पहले एमपी से किसान आते थे, अब यहां के किसान वहां जा रहे : महावीर गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में हाड़ौती में धनिया का उत्पादन होता है. करीब 50 हजार हेक्टेयर में धनिया यहां उत्पादित हो रहा है. पहले से किसानों ने भी मात्रा कम की है. किसान पहले कोटा और रामगंजमंडी में माल बेचा करते थे. यहां तक कि मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पर माल बचने के लिए आया करते थे, लेकिन आज यहा के किसान मध्यप्रदेश के गुना, कुंभराज, बीनागंज, आगर, नीमच, मंदसौर, अशोक नगर और ब्यावरा की मंडी में धनिया लेकर जा रहे हैं. दूसरी तरफ जोधपुर और नागौर में उत्पादित होने वाला जीरा गुजरात के उंझा जा रहा है.

राजस्थान सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान (ETV BHARAT KOTA)

कोटा : प्रदेश में मसाले पर अधिक टैक्स लगने के कारण अब राज्य के किसान पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और गुजरात में धनिया और जीरा बेचने के लिए जाने लगे हैं. इसके चलते राज्य की भजनलाल सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा है. इसको लेकर राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि कोटा, रामगंजमंडी सहित हाड़ौती की मंडियों में जहां पहले 1.6 लाख मैट्रिक टन धनिया आता था, अब यहां आधा यानी करीब 80 हजार मैट्रिक टन माल रह गया है. शेष माल मध्यप्रदेश की मंडियों में जा रहा है.

इसी तरह से जोधपुर और नागौर का जीरा अब गुजरात जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में इस पर 4.35 फीसदी टैक्स लग रहा है. वहीं, गुजरात में 1.6 और मध्यप्रदेश में एक फीसदी टैक्स लग रहा है. ऐसे में राजस्थान में इन दोनों पड़ोसी राज्यों की तुलना में 2.75 से 3.35 फीसदी तक अधिक टैक्स लग रहा है. इधर, यही स्थिति सरसो और मेथी के साथ भी है.

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किसानों को पड़ रहा हजारों रुपए का फर्क : कोटा व्यापार संघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी का कहना है कि गुजरात में मंडी टैक्स 1 और आढ़त 0.6 फीसदी है. कुल मिलाकर वहां 1.6 फीसदी टैक्स धनिया पर वसूला जा रहा है, जबकि मध्यप्रदेश में केवल एक फीसदी मंडी टैक्स है. इसके अलावा किसी तरह का कोई अन्य कर भी नहीं है. दूसरी तरफ राजस्थान में मंडी टैक्स 1.6, आढ़त 2.25 और कृषक कल्याण फीस 0.5 फीसदी है. यह कुल मिलाकर 4.35 फीसदी हो रहा है. इसके चलते किसान को 10 हजार के माल पर 435 रुपए देने पड़ रहे हैं. जबकि मध्यप्रदेश में 100 और गुजरात में 160 रुपए है. किसान लाखों रुपए का माल एक साथ भेजते हैं. ऐसे में उन्हें हजारों रुपए का अंतर देखने को मिलता है. हाड़ौती के अधिकांश किसान अब माल बेचने के लिए मध्यप्रदेश जा रहे हैं.

राज्य सरकार को हो रहा करोड़ों को नुकसान : महावीर गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार को करोड़ों रुपए जीएसटी का नुकसान हो रहा है. जिस राज्य में यह माल व्यापारी खरीदता है, वहां पर तुरंत इस पर जीएसटी लगाकर आगे बेचा जाता है. ऐसे में जिस राज्य में माल खरीदा जा रहा है, उसे ही जीएसटी का फायदा मिलता है. ऐसे में 5 फीसदी जीएसटी इस पर लगी हुई है. वहीं, हर साल धनिया अरबों रुपए में बिकता है. ऐसे में राज्य सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा है. इस संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मंडी टैक्स कम करवाने और कृषक कल्याण सेस हटाने की मांग की गई है.

इसे भी पढ़ें - Special: अच्छे दाम के बाद भी नहीं बढ़ा धनिए का रकबा, 20 फीसद हुई बुआई, जानें इसके पीछे की सच्चाई

संसाधन-सुविधा बढ़ने से बढ़ा नुकसान : अशोक माहेश्वरी ने बताया कि सालों से राजस्थान में अधिक टैक्स वसूला जा रहा है, लेकिन पहले सुविधा और संसाधन नहीं होने के चलते किसान नजदीकी मंडी में ही माल बेचने के लिए जाया करते थे. अब हर मंडी का भाव किसान को तुरंत पता चल जाता है. दूसरे तरफ साधन और संसाधन भी बढ़ गए हैं. ऐसे में जहां किसान को पहले नजदीकी मंडी में ही माल बेचने पड़ते थे, वो अब दूर जाने से भी नहीं हिचक रहे हैं. इसके चलते व्यापारियों की ट्रेड भी कम हो रही है.

कोरोना निकल गया पर कृषि कल्याण सेस जारी : राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि कोरोना के समय राजस्थान सरकार ने कृषि कल्याण सेस शुरू किया था, लेकिन ये अब भी जारी है. वहीं, वर्तमान में 0.5 फीसदी सेस वसूला जा रहा है. कोरोना निकल जाने के बावजूद भी इसे खत्म नहीं किया गया. जबकि मध्यप्रदेश और गुजरात में इस तरह का कोई सेस नहीं लिया जा रहा है. यह भी एक कारण है जिसके चलते धनिया राजस्थान से मध्यप्रदेश जा रहा है.

इसलिए भी स्थापित नहीं हो रही इंडस्ट्री : कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी का कहना है कि राजस्थान में टैक्स ज्यादा है. इसके चलते यहां पर दाम थोड़े कम रहते हैं. दूसरी तरफ गुजरात और मध्यप्रदेश में टैक्स कम होने के चलते वहां पर व्यापारी ज्यादा दाम पर भी किसानों का माल खरीद लेते हैं. दूसरी तरफ कोटा में उद्यमी मसाला उद्योग के कारखाने स्थापित कर सकते हैं. रामगंज मंडी में स्पाइस पार्क उद्योग नहीं होने की वजह से उजाड़ पड़ा हुआ है. सरकार यहां पर अगर टैक्स कम करें तो यहां उद्यमी रुचि दिखाकर इंडस्ट्री भी स्थापित कर सकते हैं, जिसका फायदा हाड़ौती क्षेत्र को होगा.

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पहले एमपी से किसान आते थे, अब यहां के किसान वहां जा रहे : महावीर गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में हाड़ौती में धनिया का उत्पादन होता है. करीब 50 हजार हेक्टेयर में धनिया यहां उत्पादित हो रहा है. पहले से किसानों ने भी मात्रा कम की है. किसान पहले कोटा और रामगंजमंडी में माल बेचा करते थे. यहां तक कि मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पर माल बचने के लिए आया करते थे, लेकिन आज यहा के किसान मध्यप्रदेश के गुना, कुंभराज, बीनागंज, आगर, नीमच, मंदसौर, अशोक नगर और ब्यावरा की मंडी में धनिया लेकर जा रहे हैं. दूसरी तरफ जोधपुर और नागौर में उत्पादित होने वाला जीरा गुजरात के उंझा जा रहा है.

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