भीलवाड़ा. महाशिवरात्रि के मौके पर देश भर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है. हम आपको आज ऐसे शिवलिंग के बारे में बता रहे हैं, जो स्वयंभू शिवलिंग हैं. भीलवाड़ा शहर से महज तीन किलोमीटर दूर प्रसिद्ध हरणी महादेव शिव मंदिर स्थित है, जहां महाशिवरात्रि के मौके पर भीलवाड़ा नगर परिषद की ओर से तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में देश के नामचीन भजन गायक भगवान भोलेनाथ की भजनों की प्रस्तुति देते हैं. वहीं, अंतिम दिन महाकवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जाता है. इस तीन दिवसीय मेले में देश व प्रदेश से काफी संख्या में भोलेनाथ के भक्त भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और परिवार में सुख, शांति व समृद्धि की कामना करते हैं.
हरणी महादेव की पहाड़ी के नीचे स्थित यह विशाल शिव मंदिर करीब 800 साल पुराना है, जिसमें पहाड़ी के नीचे स्वयंभू शिवलिंग है. इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. यहां पर महाशिवरात्रि के मौके पर दिन में चार बार विशेष अभिषेक किया जाता है, उसके बाद शिवलिंग का विशेष श्रृंगार किया जाता है.
इसे भी पढ़ें-महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को, बन रहा खास संयोग, पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
शिवरात्रि पर चार बार विशेष पूजा अर्चना : हरणी महादेव मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि हरणी महादेव का मंदिर लगभग 800 से 900 साल पुराना है. यहां एक चट्टान के नीचे स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं और पहाड़ी के नीचे पूरा शिव परिवार स्थापित है. शिवरात्रि के पावन मौके पर दिन में चार बार विशेष पूजा अर्चना होगी है. पहला अभिषेक सूर्य की पहली किरण के साथ शुरू होता है, जो दूध से होगा. दूसरा अभिषेक गन्ने के रस से, तीसरा अभिषेक गंगाजल और चौथा अभिषेक पंचामृत से होगा. इसके बाद शिव परिवार का विशेष श्रंगार कर पूजा-अर्चना की जाएगी. उन्होंने बताया कि यह स्वयंभू शिवलिंग होने के कारण इसका विशेष महत्व है.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पर बेल पत्र, कुमकुम, कच्चा दूध, आंकड़े का पुष्प, गुलाब व हजारे के पुष्प, दूब, धतूरा, फल और चावल चढ़ाए जाते हैं. मंदिर में दर्शन करने आए भक्त ने कहा कि हरणी महादेव भीलवाड़ा जिले का पौराणिक शिव मंदिर है. यहां भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख, शांति समृद्धि रहती है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि को पावन पर्व माना है.