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Special : घर में विराजे हैं लड्डू गोपाल तो इस तरह करें सेवा-पूजा, जन्माष्टमी पर करें ये विशेष कार्य - krishna Janmashtami 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 23, 2024, 6:33 AM IST

Updated : Aug 23, 2024, 8:50 AM IST

सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं के पूजा-पाठ से संबंधित अलग-अलग नियम बताए गए हैं. अगर नियमों के साथ लड्डू गोपाल की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है. इस रिपोर्ट में जानिए जन्माष्टमी पर घर में लड्डू गोपाल की पूजा कैसे करें.

How to worship Laddu Gopal
लड्डू गोपाल की पूजा के नियम (Etv bharat gfx Team)
लड्डू गोपाल की पूजा के नियम (Video : Etv Bharat)

जयपुर. छोटी काशी में इन दिनों 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' गूंज सुनाई दे रही है. हो भी क्यों न जन्माष्टमी का महापर्व जो है. ऐसे में तमाम श्रद्धालु अपने घर और मंदिरों में पर्व की तैयारी में जुटे हुए हैं. वहीं, आज हमको बताएंगे कि यदि आपके घर पर लड्डू गोपाल जी विराजमान है, तो उनकी सेवा पूजा किस तरह की जाए.

सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं के पूजा-पाठ से संबंधित अलग-अलग नियम बताए गए हैं. प्रत्येक व्यक्ति अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने-अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करता है. लड्डू गोपाल जी की पूजा से जुड़े कई नियम हैं, जिनका भक्तों का ध्यान नहीं रहता. अगर नियमों के साथ लड्डू गोपाल की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है. सबसे पहले तो इस बात को मन में बैठाना जरूरी है कि जिस भी घर में लड्डू गोपाल जी विराजित है, वो घर लड्डू गोपाल जी का हो जाता है. लड्डू गोपालजी भी आपके परिवार के सदस्य हैं, या यूं कहें कि अब आपका परिवार लड्डू गोपालजी का परिवार है. ऐसे में परिवार के सदस्यों की आवश्यक्‍ताओं के अनुसार ही लड्डू गोपालजी की भी सभी चीजों का भी ख्‍याल रखना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि लड्डू गोपालजी किसी विशेष तामझाम के नहीं बल्कि प्रेम और भाव के भूखे हैं. ऐसे में उनको जितना प्रेम-भाव अर्पित किया जाता है वो उतने ही आपके अपने हो जाते हैं. लड्डू गोपाल जी की पूजन का भी कोई बड़ा विधान नहीं है. पूजा श्रद्धा और भाव से की जाती है. देव होकर ही देव को पूजा जाता है. ऐसे में सबसे पहले अपने अंदर भाव को स्थापित कीजिए कि जिनकी सेवा कर रहे हैं, वो खुद मुझ में ही विराजमान है. उसके बाद जो भी भाव से अर्पण करेंगे, ठाकुर जी ग्रहण करेंगे. कहते हैं लड्डू गोपाल जी की सेवा को जितना सुंदर बनाया जाए अच्छी मानी जाती है. लड्डू गोपाल को जितने सुंदर करेंगे उस भक्त पर राधा रानी की कृपा उतनी ज्यादा रहेगी, इसलिए लड्डू गोपाल जी को अपने भाव के अनुसार अनेक तरीके से सजाने का प्रयत्न किया जाता हैं.

How to worship Laddu Gopal
लड्डू गोपाल की पूजा करने से संबंधित तथ्य (Etv bharat gfx Team)

इसे भी पढ़ें : कृष्ण जन्माष्टमी पर जयपुर में आधे दिन का रहेगा अवकाश, भजनलाल सरकार ने दिए आदेश - Krishna Janmashtami

लड्डू गोपाल जी के पूजन की है तीन विधि :

1) पंचोपचार पूजन विधि : इसमें पांच चरण से पूजा की जाती है, जिसमें गंध, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य शामिल होता है. सबसे पहले भगवान को गंध यानी चंदन, हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाएं. ताजे पुष्प अर्पित करें. फिर धूप या अगरबत्ती लगाएं. इसके बाद दीपक प्रज्ज्वलित करें और आखिर में नैवेद्य निवेदित करें.

2) षोडशोपचार पूजन विधि : षोडशोपचार विधि से पूजा करने पर 16 चरणों में पूजा की जाती है, जिसमें पाद्य, अर्घ्य, आमचन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र (यज्ञोपवीत या जनेऊ) आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, स्तवन पाठ, तर्पण और नमस्कार शामिल है.

3) राजोपचार पूजन विधि : राजोपचार में षोडशोपचार पूजन के अलावा छत्र, चमर, पादुका, रत्न और आभूषण जैसी सामग्रियों और सज्जा से पूजा की जाती है. राजोपचार का अर्थ ही राजसी ठाठ-बाठ के साथ पूजन होता है. पूजन कराने वाले के सामर्थ्य के अनुसार जितना दिव्य और राजसी सामग्रियों से सजावट और चढ़ावा होता है उसे ही राजोपचार पूजन कहते हैं. हालांकि अब इस विधि से पूजन न के बराबर ही होता है.

इसे भी पढ़ें : बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी, साइकिल पर सवार लड्डू गोपाल और राधा रानी, नाथद्वारा के इन खास झूलों ने लोगों का मन मोहा - Krishna Janmashtami

इस तरह कराएं स्नान और धारण कराएं वस्त्र : लड्डू गोपाल जी को स्नान कराने के लिए पंचामृत सबसे उत्तम माना गया है. पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी से लड्डू गोपाल को स्नान कराएं. स्नान कराते समय ठाकुर जी के कोई अंग वस्त्र जरूर होना चाहिए क्योंकि भगवान ने अपनी लीला में कहा है कि नग्न अवस्था में स्नान निषेध माना गया है. स्नान कराने के बाद लड्डू गोपाल जी को साफ-सुथरे वस्त्र पहनाएं और एक बार आचमन जरूर कराएं. लड्डू गोपाल जी के वस्त्र रोज बदले जाएं. वस्त्र पहनाने के बाद उनके गले में माला, हाथ में बांसुरी और सिर पर मुकुट जरूर धारण कराएं, क्योंकि इन चीजों के बिना भगवान कृष्ण का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. साथ ही आप उन्हें बाजूबंद और कुंडल भी पहना सकते हैं.

इस तरह लगाएं भोग : लड्डू गोपाल जी को श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार एक से चार बार यानी सुबह, दोपहर, शाम और रात को भोग लगाएं. ये भोग हमेशा सात्विक होना चाहिए. हालांकि लड्डू गोपाल जी को माखन मिश्री का भोग सबसे प्रिय होता है. ऐसे में संभव हो तो उन्हें माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं.

जन्माष्टमी पर खीरे से कराएं भगवान का प्राकट्य : भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था. जन्माष्टमी के दिन खीरे को भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी के गर्भाशय का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में रात के 12 बजे से कुछ समय पहले लड्डू गोपाल जी को खीरे को बीच से काटकर उसमें रखें और फिर कान्हा का जन्म कराने के लिए खीरे के बीच से और जन्म के बाद शंख बजाकर बाल गोपाल के आने की धूम-धाम से खुशी मनाएं. इसके बाद विधिवत लड्डू गोपाल जी का पंचामृत अभिषेक कर उनकी उपासना कर पूजा को संपन्न करें और अगले दिन नंदोत्सव जरूर मनाएं.

लड्डू गोपाल की पूजा के नियम (Video : Etv Bharat)

जयपुर. छोटी काशी में इन दिनों 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' गूंज सुनाई दे रही है. हो भी क्यों न जन्माष्टमी का महापर्व जो है. ऐसे में तमाम श्रद्धालु अपने घर और मंदिरों में पर्व की तैयारी में जुटे हुए हैं. वहीं, आज हमको बताएंगे कि यदि आपके घर पर लड्डू गोपाल जी विराजमान है, तो उनकी सेवा पूजा किस तरह की जाए.

सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं के पूजा-पाठ से संबंधित अलग-अलग नियम बताए गए हैं. प्रत्येक व्यक्ति अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने-अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करता है. लड्डू गोपाल जी की पूजा से जुड़े कई नियम हैं, जिनका भक्तों का ध्यान नहीं रहता. अगर नियमों के साथ लड्डू गोपाल की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है. सबसे पहले तो इस बात को मन में बैठाना जरूरी है कि जिस भी घर में लड्डू गोपाल जी विराजित है, वो घर लड्डू गोपाल जी का हो जाता है. लड्डू गोपालजी भी आपके परिवार के सदस्य हैं, या यूं कहें कि अब आपका परिवार लड्डू गोपालजी का परिवार है. ऐसे में परिवार के सदस्यों की आवश्यक्‍ताओं के अनुसार ही लड्डू गोपालजी की भी सभी चीजों का भी ख्‍याल रखना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि लड्डू गोपालजी किसी विशेष तामझाम के नहीं बल्कि प्रेम और भाव के भूखे हैं. ऐसे में उनको जितना प्रेम-भाव अर्पित किया जाता है वो उतने ही आपके अपने हो जाते हैं. लड्डू गोपाल जी की पूजन का भी कोई बड़ा विधान नहीं है. पूजा श्रद्धा और भाव से की जाती है. देव होकर ही देव को पूजा जाता है. ऐसे में सबसे पहले अपने अंदर भाव को स्थापित कीजिए कि जिनकी सेवा कर रहे हैं, वो खुद मुझ में ही विराजमान है. उसके बाद जो भी भाव से अर्पण करेंगे, ठाकुर जी ग्रहण करेंगे. कहते हैं लड्डू गोपाल जी की सेवा को जितना सुंदर बनाया जाए अच्छी मानी जाती है. लड्डू गोपाल को जितने सुंदर करेंगे उस भक्त पर राधा रानी की कृपा उतनी ज्यादा रहेगी, इसलिए लड्डू गोपाल जी को अपने भाव के अनुसार अनेक तरीके से सजाने का प्रयत्न किया जाता हैं.

How to worship Laddu Gopal
लड्डू गोपाल की पूजा करने से संबंधित तथ्य (Etv bharat gfx Team)

इसे भी पढ़ें : कृष्ण जन्माष्टमी पर जयपुर में आधे दिन का रहेगा अवकाश, भजनलाल सरकार ने दिए आदेश - Krishna Janmashtami

लड्डू गोपाल जी के पूजन की है तीन विधि :

1) पंचोपचार पूजन विधि : इसमें पांच चरण से पूजा की जाती है, जिसमें गंध, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य शामिल होता है. सबसे पहले भगवान को गंध यानी चंदन, हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाएं. ताजे पुष्प अर्पित करें. फिर धूप या अगरबत्ती लगाएं. इसके बाद दीपक प्रज्ज्वलित करें और आखिर में नैवेद्य निवेदित करें.

2) षोडशोपचार पूजन विधि : षोडशोपचार विधि से पूजा करने पर 16 चरणों में पूजा की जाती है, जिसमें पाद्य, अर्घ्य, आमचन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र (यज्ञोपवीत या जनेऊ) आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, स्तवन पाठ, तर्पण और नमस्कार शामिल है.

3) राजोपचार पूजन विधि : राजोपचार में षोडशोपचार पूजन के अलावा छत्र, चमर, पादुका, रत्न और आभूषण जैसी सामग्रियों और सज्जा से पूजा की जाती है. राजोपचार का अर्थ ही राजसी ठाठ-बाठ के साथ पूजन होता है. पूजन कराने वाले के सामर्थ्य के अनुसार जितना दिव्य और राजसी सामग्रियों से सजावट और चढ़ावा होता है उसे ही राजोपचार पूजन कहते हैं. हालांकि अब इस विधि से पूजन न के बराबर ही होता है.

इसे भी पढ़ें : बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी, साइकिल पर सवार लड्डू गोपाल और राधा रानी, नाथद्वारा के इन खास झूलों ने लोगों का मन मोहा - Krishna Janmashtami

इस तरह कराएं स्नान और धारण कराएं वस्त्र : लड्डू गोपाल जी को स्नान कराने के लिए पंचामृत सबसे उत्तम माना गया है. पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी से लड्डू गोपाल को स्नान कराएं. स्नान कराते समय ठाकुर जी के कोई अंग वस्त्र जरूर होना चाहिए क्योंकि भगवान ने अपनी लीला में कहा है कि नग्न अवस्था में स्नान निषेध माना गया है. स्नान कराने के बाद लड्डू गोपाल जी को साफ-सुथरे वस्त्र पहनाएं और एक बार आचमन जरूर कराएं. लड्डू गोपाल जी के वस्त्र रोज बदले जाएं. वस्त्र पहनाने के बाद उनके गले में माला, हाथ में बांसुरी और सिर पर मुकुट जरूर धारण कराएं, क्योंकि इन चीजों के बिना भगवान कृष्ण का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. साथ ही आप उन्हें बाजूबंद और कुंडल भी पहना सकते हैं.

इस तरह लगाएं भोग : लड्डू गोपाल जी को श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार एक से चार बार यानी सुबह, दोपहर, शाम और रात को भोग लगाएं. ये भोग हमेशा सात्विक होना चाहिए. हालांकि लड्डू गोपाल जी को माखन मिश्री का भोग सबसे प्रिय होता है. ऐसे में संभव हो तो उन्हें माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं.

जन्माष्टमी पर खीरे से कराएं भगवान का प्राकट्य : भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था. जन्माष्टमी के दिन खीरे को भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी के गर्भाशय का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में रात के 12 बजे से कुछ समय पहले लड्डू गोपाल जी को खीरे को बीच से काटकर उसमें रखें और फिर कान्हा का जन्म कराने के लिए खीरे के बीच से और जन्म के बाद शंख बजाकर बाल गोपाल के आने की धूम-धाम से खुशी मनाएं. इसके बाद विधिवत लड्डू गोपाल जी का पंचामृत अभिषेक कर उनकी उपासना कर पूजा को संपन्न करें और अगले दिन नंदोत्सव जरूर मनाएं.

Last Updated : Aug 23, 2024, 8:50 AM IST
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