ETV Bharat / state

विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर विशेष : जानिए क्या है रोग के कारण और क्या है निवारण

World Leprosy Day : हर साल 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेप्रसी को हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है. यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रै बैक्टीरिया से फैलती है. इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय लग जाता है.

30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस
30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 30, 2024, 11:02 AM IST

Updated : Jan 30, 2024, 12:03 PM IST

30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस

नई दिल्ली: 30 जनवरी का दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है. रुई कंट्रोल कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है. माइकोबैक्टीरियम लेप्रोस्कोपी के कारण होने वाला एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है. भारत में कुष्ठ रोग बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, यूपी, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और एमपी राज्यों में स्थानिक है.

दिल्ली के मैक्स अस्पताल वैशाली में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौम्या सचदेवा का कहना है कि यह रोग त्वचा, परिधीय तंत्रिकाओं और आंखों को सबसे अधिक प्रभावित करता है. कुष्ठ रोग बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सभी उम्र के लोगों में होता है. कुष्ठ रोग का इलाज संभव है और प्रारंभिक अवस्था में उपचार से विकलांगता को रोका जा सकता है. कुष्ठ रोग अनुपचारित मामलों के साथ निकट और लगातार संपर्क के दौरान नाक और मुंह से बूंदों के माध्यम से फैलता है.

कुष्ठ रोग के लक्ष्ण एक वर्ष के भीतर में दिख सकते हैं, लेकिन उत्पन्न होने में 20 साल या उससे भी अधिक का समय लग सकता है. यह रोग आमतौर पर त्वचा पर घाव और परिधीय तंत्रिका भागीदारी के माध्यम से प्रकट होता है. विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1954 में की गई थी. इस बार की कुष्ठ रोग दिवस की थीम बीट लेप्रोसी रखी गई है.

कुष्ठ रोग का निदान निम्नलिखित प्रमुख संकेतों में से कम से कम एक का पता लगाकर किया जाता है:

(1) पीली (हाइपोपिगमेंटेड) या लाल त्वचा के पैच में संवेदना का निश्चित नुकसान

(2) परिधीय तंत्रिका का मोटा या बड़ा होना, संवेदना की हानि औरा उस तंत्रिका द्वारा आपूर्ति की गई मांसपेशियों की कमजोरी के साथ

(3) स्लिट-स्किन स्मीयर में एसिड-फास्ट बेसिली की उपस्थिति त्वचा के घाव में आम तौर पर आसपास की सामान्य त्वचा की तुलना में एक अलग रंग का दिखता है

ये भी पढ़ें : जानें क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ रोग दिवस, कब तक इस बीमारी के खात्मे का है लक्ष्य

इसके विभिन्न पहलू (सपाट, उभरे हुए या गांठदार) हो सकते हैं. संवेदना की निश्चित हानि के साथ त्वचा पर घाव एकल या एकाधिक हो सकता है. कुष्ठ रोग एक अत्यधिक परिवर्तनशील बीमारी है, जो अलग-अलग लोगों को उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के अनुसार अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती है. स्पेक्ट्रम के एक छोर पर, उच्च स्तर की प्रतिरक्षा के साथ, बेसिली की कम संख्या होती है और उन्हें पीबी कुष्ठ रोग के रोगियों के रूप में जाना जाता है. जिनके शरीर में बहुत सारे बेसिली होते हैं उन्हें एमबी कुष्ठ रोगी कहा जाता है. कुष्ठ रोग के बोझ को कम करने के लिए प्रारंभिक निदान और मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) के साथ पूर्ण उपचार प्रमुख रणनीतियां हैं.

डब्ल्यूएचओ सभी कुष्ठ रोगियों के लिए इन दवाओं की सिफारिश करता है .

  • डेपसोन
  • रिफैम्पिसिन
  • क्लोफैजीमाइन
  • डब्ल्यूएचओ सभी कुष्ठ रोगियों के लिए रिफैम्पिसिन, डैपसोन और क्लोफ़ाज़िमाइन के साथ 3-दवा के आहार की सिफारिश करता है, जिसमें पीबी कुष्ठ रोग के लिए 6 महीने और एमबी कुष्ठ रोग के लिए 12 महीने की उपचार अवधि होती है.


ये भी पढ़ें : Leprosy : 'कलंक' नहीं सिर्फ एक बीमारी है, जानिए अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस से जुड़ी जरूरी बातें

30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस

नई दिल्ली: 30 जनवरी का दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है. रुई कंट्रोल कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है. माइकोबैक्टीरियम लेप्रोस्कोपी के कारण होने वाला एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है. भारत में कुष्ठ रोग बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, यूपी, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और एमपी राज्यों में स्थानिक है.

दिल्ली के मैक्स अस्पताल वैशाली में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौम्या सचदेवा का कहना है कि यह रोग त्वचा, परिधीय तंत्रिकाओं और आंखों को सबसे अधिक प्रभावित करता है. कुष्ठ रोग बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सभी उम्र के लोगों में होता है. कुष्ठ रोग का इलाज संभव है और प्रारंभिक अवस्था में उपचार से विकलांगता को रोका जा सकता है. कुष्ठ रोग अनुपचारित मामलों के साथ निकट और लगातार संपर्क के दौरान नाक और मुंह से बूंदों के माध्यम से फैलता है.

कुष्ठ रोग के लक्ष्ण एक वर्ष के भीतर में दिख सकते हैं, लेकिन उत्पन्न होने में 20 साल या उससे भी अधिक का समय लग सकता है. यह रोग आमतौर पर त्वचा पर घाव और परिधीय तंत्रिका भागीदारी के माध्यम से प्रकट होता है. विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1954 में की गई थी. इस बार की कुष्ठ रोग दिवस की थीम बीट लेप्रोसी रखी गई है.

कुष्ठ रोग का निदान निम्नलिखित प्रमुख संकेतों में से कम से कम एक का पता लगाकर किया जाता है:

(1) पीली (हाइपोपिगमेंटेड) या लाल त्वचा के पैच में संवेदना का निश्चित नुकसान

(2) परिधीय तंत्रिका का मोटा या बड़ा होना, संवेदना की हानि औरा उस तंत्रिका द्वारा आपूर्ति की गई मांसपेशियों की कमजोरी के साथ

(3) स्लिट-स्किन स्मीयर में एसिड-फास्ट बेसिली की उपस्थिति त्वचा के घाव में आम तौर पर आसपास की सामान्य त्वचा की तुलना में एक अलग रंग का दिखता है

ये भी पढ़ें : जानें क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ रोग दिवस, कब तक इस बीमारी के खात्मे का है लक्ष्य

इसके विभिन्न पहलू (सपाट, उभरे हुए या गांठदार) हो सकते हैं. संवेदना की निश्चित हानि के साथ त्वचा पर घाव एकल या एकाधिक हो सकता है. कुष्ठ रोग एक अत्यधिक परिवर्तनशील बीमारी है, जो अलग-अलग लोगों को उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के अनुसार अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती है. स्पेक्ट्रम के एक छोर पर, उच्च स्तर की प्रतिरक्षा के साथ, बेसिली की कम संख्या होती है और उन्हें पीबी कुष्ठ रोग के रोगियों के रूप में जाना जाता है. जिनके शरीर में बहुत सारे बेसिली होते हैं उन्हें एमबी कुष्ठ रोगी कहा जाता है. कुष्ठ रोग के बोझ को कम करने के लिए प्रारंभिक निदान और मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) के साथ पूर्ण उपचार प्रमुख रणनीतियां हैं.

डब्ल्यूएचओ सभी कुष्ठ रोगियों के लिए इन दवाओं की सिफारिश करता है .

  • डेपसोन
  • रिफैम्पिसिन
  • क्लोफैजीमाइन
  • डब्ल्यूएचओ सभी कुष्ठ रोगियों के लिए रिफैम्पिसिन, डैपसोन और क्लोफ़ाज़िमाइन के साथ 3-दवा के आहार की सिफारिश करता है, जिसमें पीबी कुष्ठ रोग के लिए 6 महीने और एमबी कुष्ठ रोग के लिए 12 महीने की उपचार अवधि होती है.


ये भी पढ़ें : Leprosy : 'कलंक' नहीं सिर्फ एक बीमारी है, जानिए अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस से जुड़ी जरूरी बातें

Last Updated : Jan 30, 2024, 12:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.