फिरोजाबाद: पूरे देश में सुहाग नगरी के नाम से मशहूर फिरोजाबाद जिले में बनी चूड़ियां एक बार फिर खनकने लगीं है.सावन के महीने में इनकी बम्पर बिक्री होने से चूड़ी बाजार का सन्नाटा दूर हो गया है. इस माह में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की बिक्री होती है, लेकिन इस माह में खासकर हरे रंग की चूड़ियां ज्यादा बिकतीं है.आइये आपको बताते है फिरोजाबाद की चूड़ियों से जुड़ीं कुछ खास बातें.
सावन माह में चूडियों का महत्व: महिलाओं के जो सोलह श्रंगार होते है उनमें चूडियों का अपना अलग ही महत्व है.जैसे सिंदूर,महावर,बिछुआ चूड़ी के बगैर सुहाग अधूरा माना जाता वैसा ही चूडियों का भी महत्व है. त्यौहार के हिसाव से भी इन चूड़ियों की बिक्री होती है.सावन के महीने में जहां प्रकृति के हिसाव से हरे रंग की चूड़ियां खूब बिकतीं है तो करवा चौथ का मौके पर लाल रंग की चूड़ियां महिलाओं की पसंद बन जातीं है.
चूडियों का इतिहास 150 साल पुराना: आम दिनों में महिलाएं अपने साड़ी और कपड़ों के मैच के हिसाब से चूड़ियां खरीदतीं है. वैसे तो यह चूड़ियां पूरे देश में महिलाएं पहनती है. लेकिन इन्हें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर में बनाया जाता है. इन चूड़ियों की उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार,राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,झारखंड, उत्तराखंड, गुजरात,महाराष्ट्र,केरल,कर्नाटक,दिल्ली,हरियाणा के अलावा देश के बाहर भी इनकी सप्लाई होती है.जानकारों की मानें तो फिरोजाबाद में चूड़ी का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है.
फिरोजाबाद के रुस्तम उस्ताद को चूडियों का जनक कहा जाता है.फिलहाल फिरोजाबाद में लगभग 200 कारखानों में इनका उत्पादन होता है.हालांकि अब प्लास्टिक और मेटल की चूडियों के मार्केट में आने से कांच की चूडियों की खनक कम जरूर हुयी है लेकिन कांच की चूड़ियां आज भी महिलाओं की पहली पसंद बनी है.रंग और क्वॉलिटी के हिसाब से महिलाओं द्वारा इन्हें खूब पसंद किया जाता है.लगभग 20 हजार करोड़ का सालाना कारोबार होता है.इस कारोबार से शहर और आसपास के गांव में रहने वाले तीन से चार लाख लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जीविका जुड़ी है.
महिलाएं भी घर पर काम कर 300 से 400 रुपये प्रतिदिन कमा लेतीं है. चूड़ी कारोबारी बताते है, कि सावन के महीने में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की डिमांड रहती है. लेकिन, महिलाएं परंपरागत रूप से हरे रंग की चूड़ियां ही खरीदतीं है. चूड़ी कारोबारी अंशुल गुप्ता बताते है,कि इस बार बाजार में पहले की तुलना में काफी उछाल है.