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ये है यूपी की सुहाग नगरी, सावन में इस खास रंग की चूड़ियों की रहती डिमांड, 200 साल पुराना है इतिहास - green bangles demand sawan month

फिरोजाबाद को चूडियों का जनक कहा जाता है. महिलाओं के श्रृंगार में चूड़ियां शामिल होती है. सावन के महीने में भी इसका अलग महत्व है. खासकर हरे रंग की चूड़ियों की. इन चूड़ियों की खास डिमांड होती है. जानिए चूडियों से जुड़े कुछ तथ्य.

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सावन में हरे रंग की चूड़ियों की खास डिमांड (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 6, 2024, 1:25 PM IST

Updated : Aug 6, 2024, 1:36 PM IST

फिरोजाबाद: पूरे देश में सुहाग नगरी के नाम से मशहूर फिरोजाबाद जिले में बनी चूड़ियां एक बार फिर खनकने लगीं है.सावन के महीने में इनकी बम्पर बिक्री होने से चूड़ी बाजार का सन्नाटा दूर हो गया है. इस माह में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की बिक्री होती है, लेकिन इस माह में खासकर हरे रंग की चूड़ियां ज्यादा बिकतीं है.आइये आपको बताते है फिरोजाबाद की चूड़ियों से जुड़ीं कुछ खास बातें.

सावन माह में चूडियों का महत्व: महिलाओं के जो सोलह श्रंगार होते है उनमें चूडियों का अपना अलग ही महत्व है.जैसे सिंदूर,महावर,बिछुआ चूड़ी के बगैर सुहाग अधूरा माना जाता वैसा ही चूडियों का भी महत्व है. त्यौहार के हिसाव से भी इन चूड़ियों की बिक्री होती है.सावन के महीने में जहां प्रकृति के हिसाव से हरे रंग की चूड़ियां खूब बिकतीं है तो करवा चौथ का मौके पर लाल रंग की चूड़ियां महिलाओं की पसंद बन जातीं है.

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महिलाओं के श्रृंगार में चूड़ियों का अलग महत्व (photo credit- Etv Bharat)

चूडियों का इतिहास 150 साल पुराना: आम दिनों में महिलाएं अपने साड़ी और कपड़ों के मैच के हिसाब से चूड़ियां खरीदतीं है. वैसे तो यह चूड़ियां पूरे देश में महिलाएं पहनती है. लेकिन इन्हें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर में बनाया जाता है. इन चूड़ियों की उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार,राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,झारखंड, उत्तराखंड, गुजरात,महाराष्ट्र,केरल,कर्नाटक,दिल्ली,हरियाणा के अलावा देश के बाहर भी इनकी सप्लाई होती है.जानकारों की मानें तो फिरोजाबाद में चूड़ी का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है.

इसे भी पढ़े-हर सुहागन की सबसे बड़ी जरूरत ये छोटी सी एक चीज; बनारस की 300 साल पुरानी कला, बिहार-बंगाल, गुजरात, मुंबई तक भारी डिमांड - Sindoordani oldest art wood trade

फिरोजाबाद के रुस्तम उस्ताद को चूडियों का जनक कहा जाता है.फिलहाल फिरोजाबाद में लगभग 200 कारखानों में इनका उत्पादन होता है.हालांकि अब प्लास्टिक और मेटल की चूडियों के मार्केट में आने से कांच की चूडियों की खनक कम जरूर हुयी है लेकिन कांच की चूड़ियां आज भी महिलाओं की पहली पसंद बनी है.रंग और क्वॉलिटी के हिसाब से महिलाओं द्वारा इन्हें खूब पसंद किया जाता है.लगभग 20 हजार करोड़ का सालाना कारोबार होता है.इस कारोबार से शहर और आसपास के गांव में रहने वाले तीन से चार लाख लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जीविका जुड़ी है.

महिलाएं भी घर पर काम कर 300 से 400 रुपये प्रतिदिन कमा लेतीं है. चूड़ी कारोबारी बताते है, कि सावन के महीने में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की डिमांड रहती है. लेकिन, महिलाएं परंपरागत रूप से हरे रंग की चूड़ियां ही खरीदतीं है. चूड़ी कारोबारी अंशुल गुप्ता बताते है,कि इस बार बाजार में पहले की तुलना में काफी उछाल है.

यह भी पढ़े-लखनऊ में पोस्टर वॉर जारी: योगी सरकार से पूछे गए तीन सवाल, लिखा- वाराणसी, गोरखपुर में कब चलेगा बाबा का बुलडोजर? - Poster war on yogi goverment

फिरोजाबाद: पूरे देश में सुहाग नगरी के नाम से मशहूर फिरोजाबाद जिले में बनी चूड़ियां एक बार फिर खनकने लगीं है.सावन के महीने में इनकी बम्पर बिक्री होने से चूड़ी बाजार का सन्नाटा दूर हो गया है. इस माह में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की बिक्री होती है, लेकिन इस माह में खासकर हरे रंग की चूड़ियां ज्यादा बिकतीं है.आइये आपको बताते है फिरोजाबाद की चूड़ियों से जुड़ीं कुछ खास बातें.

सावन माह में चूडियों का महत्व: महिलाओं के जो सोलह श्रंगार होते है उनमें चूडियों का अपना अलग ही महत्व है.जैसे सिंदूर,महावर,बिछुआ चूड़ी के बगैर सुहाग अधूरा माना जाता वैसा ही चूडियों का भी महत्व है. त्यौहार के हिसाव से भी इन चूड़ियों की बिक्री होती है.सावन के महीने में जहां प्रकृति के हिसाव से हरे रंग की चूड़ियां खूब बिकतीं है तो करवा चौथ का मौके पर लाल रंग की चूड़ियां महिलाओं की पसंद बन जातीं है.

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महिलाओं के श्रृंगार में चूड़ियों का अलग महत्व (photo credit- Etv Bharat)

चूडियों का इतिहास 150 साल पुराना: आम दिनों में महिलाएं अपने साड़ी और कपड़ों के मैच के हिसाब से चूड़ियां खरीदतीं है. वैसे तो यह चूड़ियां पूरे देश में महिलाएं पहनती है. लेकिन इन्हें उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर में बनाया जाता है. इन चूड़ियों की उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार,राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,झारखंड, उत्तराखंड, गुजरात,महाराष्ट्र,केरल,कर्नाटक,दिल्ली,हरियाणा के अलावा देश के बाहर भी इनकी सप्लाई होती है.जानकारों की मानें तो फिरोजाबाद में चूड़ी का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है.

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फिरोजाबाद के रुस्तम उस्ताद को चूडियों का जनक कहा जाता है.फिलहाल फिरोजाबाद में लगभग 200 कारखानों में इनका उत्पादन होता है.हालांकि अब प्लास्टिक और मेटल की चूडियों के मार्केट में आने से कांच की चूडियों की खनक कम जरूर हुयी है लेकिन कांच की चूड़ियां आज भी महिलाओं की पहली पसंद बनी है.रंग और क्वॉलिटी के हिसाब से महिलाओं द्वारा इन्हें खूब पसंद किया जाता है.लगभग 20 हजार करोड़ का सालाना कारोबार होता है.इस कारोबार से शहर और आसपास के गांव में रहने वाले तीन से चार लाख लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जीविका जुड़ी है.

महिलाएं भी घर पर काम कर 300 से 400 रुपये प्रतिदिन कमा लेतीं है. चूड़ी कारोबारी बताते है, कि सावन के महीने में वैसे तो सभी रंग की चूडियों की डिमांड रहती है. लेकिन, महिलाएं परंपरागत रूप से हरे रंग की चूड़ियां ही खरीदतीं है. चूड़ी कारोबारी अंशुल गुप्ता बताते है,कि इस बार बाजार में पहले की तुलना में काफी उछाल है.

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Last Updated : Aug 6, 2024, 1:36 PM IST
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