वाराणसी : बनारस के वुडन क्राफ्ट पर इस बार स्पेन का दिल आ गया है. क्रिसमस पर वुडन क्राफ्ट के जरिए स्पेन, ब्राजील और सिंगापुर के चर्च और घरों को सजाने की तैयारी है. इसको लेकर बनारस में बड़ी संख्या में क्रिसमस हैंगिंग का ऑर्डर आया है. इसे लोग बना रहे हैं. खास बात यह है कि पहली बार ऐसा मौका है कि क्रिसमस से जुड़ी आकृतियां, सजावटी सामान का ऑर्डर बनारस के वुडन क्राफ्ट कारोबार को मिला है.
बनारस का वुडन क्राफ्ट जिसे लकड़ी के खिलौने का कारोबार कहते हैं. यूं तो इसकी पूरी दुनिया ही दीवानी है. खुद पीएम मोदी, सीएम योगी भी वुडन क्राफ्ट के उपहार दूसरों को देकर इसकी ब्रांडिंग करते हैं. इसी का परिणाम है कि दुनिया भर के लोग बनारस की हस्तकला को जानने लगे हैं. इस बार इस हस्तकला को एक नई पहचान मिली है.
क्रिसमस के मौके पर पहली बार सांता क्लाज, एंजेल, क्रिसमस ट्री का ऑर्डर आया है. इसके जरिए बाकायदा वॉल हैंगिंग तैयार की गई है. इस हैंगिंग में न सिर्फ बनारस की कला दिख रही है बल्कि बनारस के तोरण सभ्यता भी 7 समुंदर पार इसके जरिए जा रही है.
वुडन क्राफ्ट कारोबारी शुभी बताती हैं कि 4 पीढ़ियों से इस काम को किया जा रहा है. पहली बार हमें क्रिसमस के मौके पर हैंगिंग बनाने का ऑर्डर मिला है. उन्होंने बताया कि सिंगापुर, ब्राजील और स्पेन के कारोबारी ने क्रिसमस के मौके पर वुडन क्राफ्ट के जरिए कुछ नया बनाने की बात कही थी. इसके बाद हम लोगों ने क्रिसमस से जुड़ी हुई पांच अलग-अलग आकृतियों को जोड़कर के एक हैंगिंग बनाई.
कारोबारी ने बताया कि इसका सैंपल भेजने पर उन्हें बेहद पसंद आया. इसके बाद सितंबर माह में हमें 10,000 पीस का ऑर्डर मिला. ये स्पेन, ब्राजील और सिंगापुर भेजे जाएंगे. ऑर्डर मिलने के बाद हम लोग इसे बनाने में जुट गए. उन्होंने बताया कि यह पूरा 10000 पीस दो माह में बनकर तैयार हुआ है. इसमें 70 कारीगर लगे हुए थे.आगे वह बताती हैं कि, इस हैंगिग को चर्च, घर की सजावट के साथ-साथ एक दूसरे को भेंट करने के लिए भी बनाया है.
बनारस का वुडन क्राफ्ट एक तरीके की हस्तकला है. यह लकड़ी से तैयार की जाती है. इसमें अलग-अलग तरीके के खिलौने तैयार किए जाते हैं. ये कला लगभग 300 साल पुरानी मानी जाती है. इसमे अब तरह-तरह की आकृतियां बनती हैं. विदेश में भी इसकी डिमांड है.
लकड़ी का राम दरबार हो झूला हो या फिर अलग-अलग तरीके के बनारस से जुड़े आइटम सब की भारी डिमांड देखी जाती है. यही वजह है कि पहले जहां इस कारोबार में महज 100 से डेढ़ सौ लोग जुड़े हुए थे तो आज आंकड़ा हजार के पार हो गया है. यदि बनारस में इसके कारोबार की बात कर ले तो पूरे साल में लगभग 300 से 500 करोड़ रुपए का कारोबार होता है.
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