लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था. गठबंधन में बहुजन समाज पार्टी ने 10 सीटें जीती थीं तो समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थीं. चुनाव खत्म होने के बाद बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट गया. तब से लेकर अब तक गठबंधन किस वजह से टूटा इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के अपने-अपने तर्क सामने आते रहे हैं.
1. लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 व SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात।
— Mayawati (@Mayawati) September 13, 2024
बीएसपी मुखिया मायावती काफी पहले ही यह कह चुकी हैं कि उनका फोन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उठाना बंद कर दिया था. इसलिए गठबंधन टूट गया. वहीं, सपा मुखिया अखिलेश यादव बसपा मुखिया मायावती के इस आरोप को निराधार बताते हैं. उनका कहना है, कि मैंने खुद बसपा प्रमुख को फोन किया था. सपा और बसपा मुखिया के बीच गठबंधन तोड़ने को लेकर अभी भी आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. अब एक बार फिर बीएसपी मुखिया मायावती ने साफ किया है, कि अखिलेश ही उनका फोन नहीं उठाते थे. गठबंधन इसी वजह से टूटा. यही कारण है, कि मैंने फैसला लिया कि अब किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करना है. समाज हित में काम करना है.
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा है, कि लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 और SP के पांच सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा, कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था. इसे लेकर अखिलेश यादव का अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित और विश्वसनीय है, ये सोचने वाली बात है.
बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है. अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है. सपा के साथ वर्ष 1993 और 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, लेकिन ’बहुजन समाज’ का हित और आत्म-सम्मान सर्वोपरि है. मायावती ने कहा, कि बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है. इसलिए चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है, जिससे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके.
गौरतलब है, कि बहुजन समाज पार्टी की तरफ से अपने कार्यकर्ताओं को एक पुस्तक की प्रति बांटी जा रही है. जिसमें, 2019 का समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का आपसी गठबंधन किस वजह से टूटा इसका साफ तौर पर जिक्र किया गया है. मायावती ने कहा है, कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने फोन उठाना बंद कर दिया था. इसलिए, गठबंधन तोड़ना मजबूरी थी. अब जब यह सामने आया तो अखिलेश यादव ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उस समय मैं आजमगढ़ के एक कार्यक्रम में था. मंच पर सपा-बसपा दोनों के नेता थे. किसी को पता नहीं था, गठबंधन टूट गया है. मैंने खुद बहुजन समाज पार्टी प्रमुख को यह पूछने के लिए फोन किया था कि गठबंधन तोड़ने का कारण क्या है? यहां मीडिया खड़ी है उसे क्या जवाब दूंगा?कभी-कभी अपनी बातें छुपाने के लिए ऐसी बातें की जाती हैं. अखिलेश ने यह कहा तो फिर मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर जवाब दिया है.
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