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किसान संगठनों के सोयाबीन कैंपेन को तगड़ा झटका, राकेश टिकैत क्यों ऐन वक्त पर पीछे हटे - Rakesh Tikait Soyabean Campaign - RAKESH TIKAIT SOYABEAN CAMPAIGN

मध्य प्रदेश में सोयाबीन का रेट 6 हजार से 8 हजार करने को लेकर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 1 अक्टूबर को हाईवे जाम में शामिल होने की बात कही थी. लेकिन अब उन्होंने जाम का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. अंतिम वक्त में राकेश टिकैत के इस फैसले से किसान संगठनों को बड़ा झटका लगा है.

Rakesh Tikait Soyabean Campaign
राकेश टिकैत का सोयाबीन कैंपेन (MP SOYABEAN PRICE)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 21, 2024, 5:40 PM IST

Updated : Sep 21, 2024, 5:55 PM IST

भोपाल: एमपी में किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए बंद के पहले किसान संगठनों के बीच ही तनातनी की स्थिति बन गई है. पहले तय हुआ था कि एक अक्टूबर को एमपी के सभी हाईवे पर संयुक्त किसान मोर्चे के अंतर्गत 36 किसान संगठन बंद करेंगे. लेकिन अब संयुक्त किसान मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत इस जाम से अलग हो गए हैं. उन्होंने वीडिया जारी कर इस जाम का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. वीडियो जारी कर टिकैत ने कहा है कि, ''संयुक्त मोर्चा और उसके घटक दल इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे.''

जाम से पहले संगठन में कोहराम, क्यों अलग हुए टिकैत
सोयाबीन की कीमतों के मुद्दे को लेकर एमपी धीरे धीरे पंजाब होता जा रहा है. सोयाबीन का रेट 6 हजार से 8 हजार किए जाने को लेकर पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन पर आमादा हैं. इन्ही संगठनों ने बाकायदा बैठक करके ये तय किया था कि एक अक्टूबर को पूरे प्रदेश में किसान संगठन हाइवे पर जाम करेंगे. अब जब इस आंदोलन को अंतिम रुप दिया जा रहा है तब अचानक एक खबर ने किसानों को मायूस कर दिया.

राकेश टिकैत सोयाबीन कैंपेन से क्यों हटे (ETV Bharat)

क्यों नहीं आ रहे राकेश टिकैत मध्य प्रदेश

संयुक्त किसान मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, ''जो एक अक्टूबर को आंदोलन की बात कुछ किसान संगठनों ने की है, उसमें संयुक्त किसान मोर्चा शामिल नहीं होगा.'' उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जो हमारे साथ के सहयोगी दल हैं वो भी इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे. राकेश टिकैत का कहना है कि, ''कुछ पॉलीटिकल लोग इस मूवमेट में हैं जो भी पॉलीटिकल लोग अपना मूमवमेंट अलग चलाएं, वे किसान संगठनों के साथ मूवमेंट ना चलाएं. उससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है. पॉलीटिकल लोग इसमें अपना फायदा देखते हैं.''

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सोयाबीन किसानों को राकेश टिकैत दिलाएंगे बंपर MSP? सोयाबीन विवाद में टिकैत की एंट्री

पंजाब के बाद अब एमपी में किसान आंदोलन की नई जमीन, ट्रैक्टर पर सवार कांग्रेसी नेता, जाम में फंसा मध्य प्रदेश

बैठक में तय हुआ था 36 संगठन होंगे आंदोलन में शामिल
इसके पहले किसान संगठनों की जो बैठक हुई थी उसमें तय हुआ था कि सोयाबीन के मुद्दे पर एमपी में संयुक्त किसान मोर्चे के साथ किसान संगठन पूरे प्रदेश में हाइवे पर चक्काजाम करेंगे. एक अक्टूबर को ये जाम निर्धारित हुआ था. मांग केवल ये कि सरकार सोयाबीन की कीमत 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बजाए आठ हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से करे. लेकिन आंदोलन जमीन पर आता उसके पहले ही संगठन में भी खींचतान हो गई.

भोपाल: एमपी में किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए बंद के पहले किसान संगठनों के बीच ही तनातनी की स्थिति बन गई है. पहले तय हुआ था कि एक अक्टूबर को एमपी के सभी हाईवे पर संयुक्त किसान मोर्चे के अंतर्गत 36 किसान संगठन बंद करेंगे. लेकिन अब संयुक्त किसान मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत इस जाम से अलग हो गए हैं. उन्होंने वीडिया जारी कर इस जाम का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. वीडियो जारी कर टिकैत ने कहा है कि, ''संयुक्त मोर्चा और उसके घटक दल इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे.''

जाम से पहले संगठन में कोहराम, क्यों अलग हुए टिकैत
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राकेश टिकैत सोयाबीन कैंपेन से क्यों हटे (ETV Bharat)

क्यों नहीं आ रहे राकेश टिकैत मध्य प्रदेश

संयुक्त किसान मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, ''जो एक अक्टूबर को आंदोलन की बात कुछ किसान संगठनों ने की है, उसमें संयुक्त किसान मोर्चा शामिल नहीं होगा.'' उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जो हमारे साथ के सहयोगी दल हैं वो भी इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे. राकेश टिकैत का कहना है कि, ''कुछ पॉलीटिकल लोग इस मूवमेट में हैं जो भी पॉलीटिकल लोग अपना मूमवमेंट अलग चलाएं, वे किसान संगठनों के साथ मूवमेंट ना चलाएं. उससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है. पॉलीटिकल लोग इसमें अपना फायदा देखते हैं.''

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इसके पहले किसान संगठनों की जो बैठक हुई थी उसमें तय हुआ था कि सोयाबीन के मुद्दे पर एमपी में संयुक्त किसान मोर्चे के साथ किसान संगठन पूरे प्रदेश में हाइवे पर चक्काजाम करेंगे. एक अक्टूबर को ये जाम निर्धारित हुआ था. मांग केवल ये कि सरकार सोयाबीन की कीमत 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बजाए आठ हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से करे. लेकिन आंदोलन जमीन पर आता उसके पहले ही संगठन में भी खींचतान हो गई.

Last Updated : Sep 21, 2024, 5:55 PM IST
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