भोपाल: एमपी में किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए बंद के पहले किसान संगठनों के बीच ही तनातनी की स्थिति बन गई है. पहले तय हुआ था कि एक अक्टूबर को एमपी के सभी हाईवे पर संयुक्त किसान मोर्चे के अंतर्गत 36 किसान संगठन बंद करेंगे. लेकिन अब संयुक्त किसान मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत इस जाम से अलग हो गए हैं. उन्होंने वीडिया जारी कर इस जाम का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. वीडियो जारी कर टिकैत ने कहा है कि, ''संयुक्त मोर्चा और उसके घटक दल इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे.''
जाम से पहले संगठन में कोहराम, क्यों अलग हुए टिकैत
सोयाबीन की कीमतों के मुद्दे को लेकर एमपी धीरे धीरे पंजाब होता जा रहा है. सोयाबीन का रेट 6 हजार से 8 हजार किए जाने को लेकर पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन पर आमादा हैं. इन्ही संगठनों ने बाकायदा बैठक करके ये तय किया था कि एक अक्टूबर को पूरे प्रदेश में किसान संगठन हाइवे पर जाम करेंगे. अब जब इस आंदोलन को अंतिम रुप दिया जा रहा है तब अचानक एक खबर ने किसानों को मायूस कर दिया.
क्यों नहीं आ रहे राकेश टिकैत मध्य प्रदेश
संयुक्त किसान मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, ''जो एक अक्टूबर को आंदोलन की बात कुछ किसान संगठनों ने की है, उसमें संयुक्त किसान मोर्चा शामिल नहीं होगा.'' उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जो हमारे साथ के सहयोगी दल हैं वो भी इस जाम का हिस्सा नहीं बनेंगे. राकेश टिकैत का कहना है कि, ''कुछ पॉलीटिकल लोग इस मूवमेट में हैं जो भी पॉलीटिकल लोग अपना मूमवमेंट अलग चलाएं, वे किसान संगठनों के साथ मूवमेंट ना चलाएं. उससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है. पॉलीटिकल लोग इसमें अपना फायदा देखते हैं.''
मध्य प्रदेश में सोयाबीन के भाव को लेकर चल रहे आंदोलन में 23/9/2024 को सिवनी मालवा में आयोजित ट्रैक्टर तिरंगा मार्च में हिस्सा लेंगे।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) September 21, 2024
" फसल हमारी
भाव तुम्हारे
नहीं चलेंगे
नहीं चलेंगे"@OfficialBKU @ANI pic.twitter.com/eUi8nCppkS
बैठक में तय हुआ था 36 संगठन होंगे आंदोलन में शामिल
इसके पहले किसान संगठनों की जो बैठक हुई थी उसमें तय हुआ था कि सोयाबीन के मुद्दे पर एमपी में संयुक्त किसान मोर्चे के साथ किसान संगठन पूरे प्रदेश में हाइवे पर चक्काजाम करेंगे. एक अक्टूबर को ये जाम निर्धारित हुआ था. मांग केवल ये कि सरकार सोयाबीन की कीमत 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बजाए आठ हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से करे. लेकिन आंदोलन जमीन पर आता उसके पहले ही संगठन में भी खींचतान हो गई.