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अमित शाह की पत्नी सोनल शाह ने मखौड़ा मंदिर में किया दर्शन-पूजन, पौराणिक स्थल की ली जानकारी - Sonal Shah in Makhauda Dham - SONAL SHAH IN MAKHAUDA DHAM

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह बुधवार को बस्ती पहुंचीं. सोनल शाह ने भगवान राम की स्थली पौराणिक मंदिर मखौड़ा धाम पहुंचकर दर्शन और पूजा अर्चना किया.

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह बुधवार को बस्ती पहुंचीं.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह बुधवार को बस्ती पहुंचीं. (photo credit etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 12, 2024, 7:10 PM IST

बस्ती : केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह बुधवार को बस्ती पहुंचीं. सोनल शाह ने भगवान राम की स्थली पौराणिक मंदिर मखौड़ा धाम पहुंचकर दर्शन और पूजा अर्चना किया. इस दौरान सोनल शाह ने मंदिर के पुजारी सुरजदास से मंदिर की पौराणिकता के बारे जाना. केंद्रीय गृह मंत्री की पत्नी के आगमन की जानकारी पर स्थानीय विधायक भी वहां पहुंचे.

विधायक अजय सिंह ने बताया कि गृह मंत्री की धर्म पत्नी मखौड़ा मंदिर के बारे में सुनकर दर्शन करने पहुंचीं. मंदिर के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली, उससे वह प्रभावित नजर आईं. दर्शन करने के बाद सोनल शाह दिल्ली के लिए रवाना हो गईं. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था काफी चाक चौबंद रही. सोनल शाह ने भगवान राम के दर्शन के साथ ही पौराणिक नदी मनोरमा के जल से आचमन भी किया.

मखौड़ा मंदिर का पौराणिक इतिहास

बस्ती का मखक्षेत्र यानी मखौड़ा धाम गौरवशाली स्थलों में प्रमुख है. यह ऋषियों की तपोभूमि है. मान्यता है कि त्रेता युग में ऋषियों ने इस स्थान को यज्ञ और धात्मिक अनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम भूमि में चुना था. ऐसा तब हुआ जब कोशल नरेश महाराज दशरथ को संतान उत्पत्ति नहीं हुई. कुलगुरु वशिष्ठ उन्हें पुत्र कामेष्ठि यज्ञ संपन्न कराने की सलाह दी. ऋषियों ने इस विशेष यज्ञ के लिए पावन भूमि की खोज शुरू की, जो मखक्षेत्र में आकर समाप्त हुई. अब दूसरी बड़ी समस्या पवित्र जल जिसके आचमन से यज्ञ संपन्न हो, उसकी आई. जिस पर गुरु वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को सलाह दी कि इस समय यज्ञ भूमि के पास जंगल में तिर्रे तालाब पर महर्षि उद्दालक जी तपस्या रत हैं. आप उनकी शरण में जाएं तो निदान अवश्य होगा. कोशल नरेश के अनुनय- विनय पर प्रसन्न होकर ऋषि ने तालाब से अपनी तर्जनी उंगली से एक रेखा खींची, जिसे मनोरामा नदी के रूप में मान्यता मिली. यज्ञ संपन्न होने के बाद प्राप्त हव्य यानी प्रसाद को तीनों रानियों को समान भाग में बांटा गया. आज भी लोग पुत्र कामना लेकर अनुष्ठान करने यहां देश के कोने- कोने से आते हैं.

अयोध्या से 20 किमी की दूरी

ऐसी मान्यता है कि अग्र पूजन का धाम होने के साथ ही जनपद सबसे गौरवशाली पौराणिक स्थलों में सबसे प्रमुख है. यहां हरैया से परशुरामपुर होकर साठ किमी दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है. अयोध्या से दूरी बीस किमी है. परसा- परशुरामपुर रोड पर उत्तर दिशा में प्राचीन मंदिर के अवशेष स्वरूप पुराना मंदिर है. नए मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है. वर्तमान सरकार द्वारा इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए श्रीराम सर्किट योजना में शामिल किया गया है. प्रदेश सरकार द्वारा इसे पयर्टक स्थल घोषित करने के बाद तमाम सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर भी काम चल रहा है. इसके चलते बस्ती जनपद को देश ही नही विदेशों में भी पहचान मिल रही है.

यह भी पढ़ें :राम मंदिर पर आतंकी हमले का खतरा, अयोध्या में बनेगा एनएसजी कमांडो का बेस - NSG Commando Center in Ayodhya

बस्ती : केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह बुधवार को बस्ती पहुंचीं. सोनल शाह ने भगवान राम की स्थली पौराणिक मंदिर मखौड़ा धाम पहुंचकर दर्शन और पूजा अर्चना किया. इस दौरान सोनल शाह ने मंदिर के पुजारी सुरजदास से मंदिर की पौराणिकता के बारे जाना. केंद्रीय गृह मंत्री की पत्नी के आगमन की जानकारी पर स्थानीय विधायक भी वहां पहुंचे.

विधायक अजय सिंह ने बताया कि गृह मंत्री की धर्म पत्नी मखौड़ा मंदिर के बारे में सुनकर दर्शन करने पहुंचीं. मंदिर के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली, उससे वह प्रभावित नजर आईं. दर्शन करने के बाद सोनल शाह दिल्ली के लिए रवाना हो गईं. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था काफी चाक चौबंद रही. सोनल शाह ने भगवान राम के दर्शन के साथ ही पौराणिक नदी मनोरमा के जल से आचमन भी किया.

मखौड़ा मंदिर का पौराणिक इतिहास

बस्ती का मखक्षेत्र यानी मखौड़ा धाम गौरवशाली स्थलों में प्रमुख है. यह ऋषियों की तपोभूमि है. मान्यता है कि त्रेता युग में ऋषियों ने इस स्थान को यज्ञ और धात्मिक अनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम भूमि में चुना था. ऐसा तब हुआ जब कोशल नरेश महाराज दशरथ को संतान उत्पत्ति नहीं हुई. कुलगुरु वशिष्ठ उन्हें पुत्र कामेष्ठि यज्ञ संपन्न कराने की सलाह दी. ऋषियों ने इस विशेष यज्ञ के लिए पावन भूमि की खोज शुरू की, जो मखक्षेत्र में आकर समाप्त हुई. अब दूसरी बड़ी समस्या पवित्र जल जिसके आचमन से यज्ञ संपन्न हो, उसकी आई. जिस पर गुरु वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को सलाह दी कि इस समय यज्ञ भूमि के पास जंगल में तिर्रे तालाब पर महर्षि उद्दालक जी तपस्या रत हैं. आप उनकी शरण में जाएं तो निदान अवश्य होगा. कोशल नरेश के अनुनय- विनय पर प्रसन्न होकर ऋषि ने तालाब से अपनी तर्जनी उंगली से एक रेखा खींची, जिसे मनोरामा नदी के रूप में मान्यता मिली. यज्ञ संपन्न होने के बाद प्राप्त हव्य यानी प्रसाद को तीनों रानियों को समान भाग में बांटा गया. आज भी लोग पुत्र कामना लेकर अनुष्ठान करने यहां देश के कोने- कोने से आते हैं.

अयोध्या से 20 किमी की दूरी

ऐसी मान्यता है कि अग्र पूजन का धाम होने के साथ ही जनपद सबसे गौरवशाली पौराणिक स्थलों में सबसे प्रमुख है. यहां हरैया से परशुरामपुर होकर साठ किमी दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है. अयोध्या से दूरी बीस किमी है. परसा- परशुरामपुर रोड पर उत्तर दिशा में प्राचीन मंदिर के अवशेष स्वरूप पुराना मंदिर है. नए मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है. वर्तमान सरकार द्वारा इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए श्रीराम सर्किट योजना में शामिल किया गया है. प्रदेश सरकार द्वारा इसे पयर्टक स्थल घोषित करने के बाद तमाम सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर भी काम चल रहा है. इसके चलते बस्ती जनपद को देश ही नही विदेशों में भी पहचान मिल रही है.

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