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धूमधाम से शुरू हुआ समेश्वर देवता का सावन मेला, ग्रामीणों ने किया रासौं-तांदी - Someshwar dewta Sawan mela

Someshwar dewta Sawan mela लिवाड़ी गांव में पंचगाई पट्टी के आराध्य सोमेश्वर देवता का सावन मेला शुरू हो गया है. ये मेला तीन दिनों तक चलता है. इस मेले में देव पूजा का आयोजन किया जाता है. साथ ही रासों-तांदी नृत्य भी किया जाता है.

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शुरू हुआ समेश्वर देवता का सावन मेला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 29, 2024, 6:54 PM IST

Updated : Jul 29, 2024, 7:42 PM IST

शुरू हुआ समेश्वर देवता का सावन मेला (Etv Bharat)

उत्तरकाशी: मोरी विकासखंड के लिवाड़ी गांव में पंचगाई पट्टी के आराध्य देवता सोमेश्वर देवता के सावन मेले का आगाज हो गया है. इस तीन दिवसीय मेले में सोमेश्वर देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद उनके पश्वा डांगरियों (छोटी कुल्हाड़ियां) पर नंगे पांव चलकर कफुवा नृत्य कर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं.

पंचगाई पट्टी के दूरस्थ लिवाड़ी गांव में सोमेश्वर देवता के तीन दिवसीय सावन मेले का धूमधाम से मनाया गया. इस मेले के पहले दिन सोमेश्वर देवता की देवडोली को मंदिर से बाहर निकालकर विधि-विधान और पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन देव पूजा का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही रात्रि में रासों-तांदी नृत्य का सामूहिक आयोजन किया जाता है. मेले के दूसरे दिन गांव आने वाले सभी मेहमानों का परंपरिक तरीके से स्वागत किया जाता है. इसके साथ ही स्थानीय पकवानों के साथ ही उन्हें बुग्यालों से लाए फूल, जो कि पहले देवता को चढ़ाए जाते हैं, वह मेहमानों को भेंट किए जाते हैं.

मेले के अंतिम दिन सोमेश्वर देवता के मेले के मुख्य आकर्षण केंद्र उनके पश्वा और बाजगी समुदाय की ओर से किया जाने वाला फुतड़ी और कफुवा नृत्य होता है. इसमें पहले देवता डांगरियों को हाथ में लेकर रणसींगे सहित ढोल दमांऊ और सीटियों की आवाज पर नाचते हैं. उसके बाद पश्वा की ओर से नुकीली डांगरियों पर चलकर कफुवा नृत्य किया करते हैं. इस दौरान सोमेश्वर देवता के पश्वा ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान भी करते हैं. गांव आई ध्याणियों को अपना आशीर्वाद देते हैं. स्थानीय निवासी चैन सिंह रावत का कहना है कि मेले के अगले दिन गांव आई ध्याणियां वनदेवी-देवताओं को पूजने के लिए बुग्याल में जाती हैं. इस मेले को मात्री मेला भी कहा जाता है.

पढे़ं- उत्तरकाशी में बौखनाग देवता का भव्य मंदिर तैयार, राज कारीगरों को दी गई भव्य विदाई - Baukhnag Devta Temple

शुरू हुआ समेश्वर देवता का सावन मेला (Etv Bharat)

उत्तरकाशी: मोरी विकासखंड के लिवाड़ी गांव में पंचगाई पट्टी के आराध्य देवता सोमेश्वर देवता के सावन मेले का आगाज हो गया है. इस तीन दिवसीय मेले में सोमेश्वर देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद उनके पश्वा डांगरियों (छोटी कुल्हाड़ियां) पर नंगे पांव चलकर कफुवा नृत्य कर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं.

पंचगाई पट्टी के दूरस्थ लिवाड़ी गांव में सोमेश्वर देवता के तीन दिवसीय सावन मेले का धूमधाम से मनाया गया. इस मेले के पहले दिन सोमेश्वर देवता की देवडोली को मंदिर से बाहर निकालकर विधि-विधान और पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन देव पूजा का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही रात्रि में रासों-तांदी नृत्य का सामूहिक आयोजन किया जाता है. मेले के दूसरे दिन गांव आने वाले सभी मेहमानों का परंपरिक तरीके से स्वागत किया जाता है. इसके साथ ही स्थानीय पकवानों के साथ ही उन्हें बुग्यालों से लाए फूल, जो कि पहले देवता को चढ़ाए जाते हैं, वह मेहमानों को भेंट किए जाते हैं.

मेले के अंतिम दिन सोमेश्वर देवता के मेले के मुख्य आकर्षण केंद्र उनके पश्वा और बाजगी समुदाय की ओर से किया जाने वाला फुतड़ी और कफुवा नृत्य होता है. इसमें पहले देवता डांगरियों को हाथ में लेकर रणसींगे सहित ढोल दमांऊ और सीटियों की आवाज पर नाचते हैं. उसके बाद पश्वा की ओर से नुकीली डांगरियों पर चलकर कफुवा नृत्य किया करते हैं. इस दौरान सोमेश्वर देवता के पश्वा ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान भी करते हैं. गांव आई ध्याणियों को अपना आशीर्वाद देते हैं. स्थानीय निवासी चैन सिंह रावत का कहना है कि मेले के अगले दिन गांव आई ध्याणियां वनदेवी-देवताओं को पूजने के लिए बुग्याल में जाती हैं. इस मेले को मात्री मेला भी कहा जाता है.

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Last Updated : Jul 29, 2024, 7:42 PM IST
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