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रायपुर में सामाजिक समूह ने मियावाकी मेथड से तैयार किया 'मिनी फॉरेस्ट' - Miyawaki mini forest in Raipur

छत्तीसगढ़ में स्वच्छ हवा और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक समूह ने रायपुर में मियावाकी मेथड से मिनी वन तैयार किया है. इस तरीके की शुरुआत जापान में की गई थी. आज के दौर में कई शहरी क्षेत्रों में इस विधि को लोग अपनाकर अपने घर के पास मिनी फॉरेस्ट बना रहे हैं.

MIYAWAKI MINI FOREST IN RAIPUR
रायपुर में मियावाकी गार्डन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 15, 2024, 10:39 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक सामाजिक समूह ने मियावाकी पद्धति से 'मिनी फॉरेस्ट' तैयार किया है. ये एक प्रकार का जंगल है, जो 30 फीसद से अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है. साथ ही वायु शोधक के रूप में भी काम करता है. इस परिपाटी की शुरुआत जापान में की गई थी. आज के दौर में कई शहरी क्षेत्रों में इस मेथड को अपनाकर लोग मिनी फॉरेस्ट तैयार कर रहे हैं.

जानिए क्या है मियावाकी पद्धति: दरअसल, मियावाकी पद्धति विविध, स्वदेशी वृक्ष प्रजातियों को एक साथ लगाकर मूल वनों को पुनर्स्थापित करती है. इससे तेजी से पेड़ का विकास होता है. साथ ही बढ़ी हुई जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है. यह सघन रोपण परागणकों, पक्षियों और कीटों के लिए बेहतर आवास प्रदान करता है. साथ ही मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है. ये एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को उभरता है, जो प्रजातियों के बीच बातचीत को संतुलित करता है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन को बढ़ाता है.

जापान के विशेषज्ञ ने की थी शुरुआत: 'मिनी फ़ॉरेस्ट' तैयार करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि, "मियावाकी विधि एक जापानी विशेषज्ञ अकीरा मियावाकी की ओर से विकसित की गई थी. शहरों में, हम कोई जंगल नहीं देख सकते. इसलिए लोग कुछ वर्ग फुट जमीन लेते हैं और ऐसे पेड़ लगाते हैं, जिनकी हमें बहुत अधिक देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है. वे स्वाभाविक रूप से बढ़ते हैं. हमने यहां 2500 अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए हैं."

बता दें कि मियावाकी पद्धति के जरिए लोग छोटा सा जंगलनुमा पार्क अपने घर के पास तैयार करते हैं. इससे 30 फीसद से अधिक ऑक्सीजन मिलता है. साथ ही वायु शोधक का भी ये काम करता है. ये पद्धति जापान की देन है. हालांकि आज के दौर में कई लोगों ने इस पद्धति को अपनाया है. कुल मिलाकर ये पद्धति देशी पौधों से घने जंगल तैयार करना है. इसका इस्तेमाल दुनिया भर में शहरी वनीकरण के लिए किया जाता है.

सोर्स: एएनआई

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जानिए क्या है मियावाकी पद्धति: दरअसल, मियावाकी पद्धति विविध, स्वदेशी वृक्ष प्रजातियों को एक साथ लगाकर मूल वनों को पुनर्स्थापित करती है. इससे तेजी से पेड़ का विकास होता है. साथ ही बढ़ी हुई जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है. यह सघन रोपण परागणकों, पक्षियों और कीटों के लिए बेहतर आवास प्रदान करता है. साथ ही मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है. ये एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को उभरता है, जो प्रजातियों के बीच बातचीत को संतुलित करता है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन को बढ़ाता है.

जापान के विशेषज्ञ ने की थी शुरुआत: 'मिनी फ़ॉरेस्ट' तैयार करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि, "मियावाकी विधि एक जापानी विशेषज्ञ अकीरा मियावाकी की ओर से विकसित की गई थी. शहरों में, हम कोई जंगल नहीं देख सकते. इसलिए लोग कुछ वर्ग फुट जमीन लेते हैं और ऐसे पेड़ लगाते हैं, जिनकी हमें बहुत अधिक देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है. वे स्वाभाविक रूप से बढ़ते हैं. हमने यहां 2500 अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए हैं."

बता दें कि मियावाकी पद्धति के जरिए लोग छोटा सा जंगलनुमा पार्क अपने घर के पास तैयार करते हैं. इससे 30 फीसद से अधिक ऑक्सीजन मिलता है. साथ ही वायु शोधक का भी ये काम करता है. ये पद्धति जापान की देन है. हालांकि आज के दौर में कई लोगों ने इस पद्धति को अपनाया है. कुल मिलाकर ये पद्धति देशी पौधों से घने जंगल तैयार करना है. इसका इस्तेमाल दुनिया भर में शहरी वनीकरण के लिए किया जाता है.

सोर्स: एएनआई

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