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गिरिडीह के सुरेश ने हौसले से दी दिव्यांगता को मात, अब तक 1 हजार से अधिक सांपों का कर चुके हैं रेस्क्यू - Snake Rescue In Giridih - SNAKE RESCUE IN GIRIDIH

Snake rescuer Suresh in Giridih. कहते हैं हौसले अगर मजबूत हो तो कोई भी कठिनाई आपके रास्ते में बाधक नहीं बन सकती है. ऐसा ही कुछ कमाल गिरिडीह का एक दिव्यांग शख्स कर रहा है. खुद दिव्यांग होते हुए ही वह दूसरे जीव-जंतुओं के लिए सहारा बना हुआ है.

Snake Rescue In Giridih
गिरिडीह का स्नेक रेस्क्यूअर सुरेश. (फाइल फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 7, 2024, 1:57 PM IST

गिरिडीह: दिव्यांग शब्द सुनते ही लोगों के जेहन में जो तस्वीर उभरती है वह है लाचार, बेबस और बेसहारा की, लेकिन गिरिडीह के दिव्यांग सुरेश राम ने अपने हौसले से इस बात को गलत साबित कर दिया है. दिव्यांग होने के बावजूद सुरेश को दूसरों से सहारा लेने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे खुद दूसरों के लिए सहारा बने हुए हैं. दिव्यांग वैसे प्राणियों का सहारा बने हैं जिनका नाम सुनकर ही लोगों को डर लगता है. जी, हां सुरेश विषैले सांपों सहित जीव-जंतुओं का रेस्क्यू करते हैं.

जानकारी देता गिरिडीह का स्नेक रेस्क्यूअर सुरेश. (वीडियो-ईटीवी भारत)

सुरेश ने अब तक एक हजार से भी अधिक सांपों का रेस्क्यू किया है. इसके अलावा हिरण, लोमड़ी, नीलगाय आदि का भी उन्होंने रेस्क्यू किया है. घरेलू जुगाड़ के माध्यम से सुरेश इस जोखिम भरे कार्य को अंजाम देते हैं.

बिना सरकारी मदद के जहरीले जीव-जंतुओं के लिए कर रहे काम

सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर रेस्क्यू के लिए उन्हें अबतक किसी तरह का संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस बात का उन्हें मलाल भी है. हां, इतना जरूर है प्रशस्ति पत्र देकर वन विभाग के द्वारा उनकी हौसला आफजाई का काम समय-समय पर किया जाता है. सुरेश बिष्णुगढ़ प्रखंड की बनासो पंचायत के रहने वाले हैं.

सुरेश का एक पैर नहीं मुड़ता है, फिर भी करते हैं जोखिम भरे काम

ईटीवी भारत से एक मुलाकात में उन्होंने अपने कार्य को साझा किया है. सुरेश बताते हैं कि उनका एक पैर मुड़ता नहीं है. इसके बावजूद उनके द्वारा इस जोखिम भरे कार्य को किया जाता है.

एक हजार से अधिक जहरीले सांपों का कर चुके हैं रेस्क्यू

बताते हैं बिष्णुगढ़, बगोदर, गोमिया, टाटीझरिया आदि प्रखंड के इलाके में उनके द्वारा जीव- जंतुओं का रेस्क्यू किया जाता है. उन्होंने बताया कि 2009 से अबतक 15 सालों में उनके द्वारा एक हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया जा चुका है. इसमें कई विषैले सांप भी शामिल हैं. सांपों के कुएं में गिरने या घर में घुसने की सूचना पर वे रेस्क्यू के लिए तुरंत पहुंच जाते हैं और रेस्क्यू कर सांपों को जंगलों में सुरक्षित छोड़ देते हैं.

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जानकारी देता गिरिडीह का स्नेक रेस्क्यूअर सुरेश. (वीडियो-ईटीवी भारत)

सुरेश ने अब तक एक हजार से भी अधिक सांपों का रेस्क्यू किया है. इसके अलावा हिरण, लोमड़ी, नीलगाय आदि का भी उन्होंने रेस्क्यू किया है. घरेलू जुगाड़ के माध्यम से सुरेश इस जोखिम भरे कार्य को अंजाम देते हैं.

बिना सरकारी मदद के जहरीले जीव-जंतुओं के लिए कर रहे काम

सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर रेस्क्यू के लिए उन्हें अबतक किसी तरह का संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस बात का उन्हें मलाल भी है. हां, इतना जरूर है प्रशस्ति पत्र देकर वन विभाग के द्वारा उनकी हौसला आफजाई का काम समय-समय पर किया जाता है. सुरेश बिष्णुगढ़ प्रखंड की बनासो पंचायत के रहने वाले हैं.

सुरेश का एक पैर नहीं मुड़ता है, फिर भी करते हैं जोखिम भरे काम

ईटीवी भारत से एक मुलाकात में उन्होंने अपने कार्य को साझा किया है. सुरेश बताते हैं कि उनका एक पैर मुड़ता नहीं है. इसके बावजूद उनके द्वारा इस जोखिम भरे कार्य को किया जाता है.

एक हजार से अधिक जहरीले सांपों का कर चुके हैं रेस्क्यू

बताते हैं बिष्णुगढ़, बगोदर, गोमिया, टाटीझरिया आदि प्रखंड के इलाके में उनके द्वारा जीव- जंतुओं का रेस्क्यू किया जाता है. उन्होंने बताया कि 2009 से अबतक 15 सालों में उनके द्वारा एक हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया जा चुका है. इसमें कई विषैले सांप भी शामिल हैं. सांपों के कुएं में गिरने या घर में घुसने की सूचना पर वे रेस्क्यू के लिए तुरंत पहुंच जाते हैं और रेस्क्यू कर सांपों को जंगलों में सुरक्षित छोड़ देते हैं.

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