सीतापुर: तीर्थ स्थली नैमिषारण्य को पर्यटन के मानचित्र पर उभारने की प्रदेश सरकार की कवायदें तेज हो चली हैं. पर्यटन स्थलों पर पर्यटक सुविधाओं के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसी क्रम में तीर्थ स्थली नैमिषारण्य में पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है. यहां पार्किंग समेत अन्य पर्यटक सुविधाओं के लिए लगभग 6.12 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है. इसकी पहली किस्त के रूप में दो करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं.
जिलाधिकारी अनुज सिंह ने बताया कि नैमिषारण तीर्थ स्थली पर दूर-दूर से पर्यटक तो आते ही हैं साथ ही ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हर माह की अमावस्या व व चैत्र मास में होने वाली 84 कोसी परिक्रमा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु ट्रैक्टर-ट्राली से भी आते हैं. इसके दृष्टिगत यहां ट्रैक्टर-ट्राली की पार्किंग बनाई जाएगी. इसके अलावा पार्किंग एरिया में रोड बनाई जाएगी. साथ ही दो गार्ड रूम, ओपन किचन, पूजन सामग्री की दुकानें, शौचालय, पीने के पानी सहित अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इन कार्यों के होने के बाद पर्यटकों को काफी सुविधा मिलेगी.
आदि गंगा गोमती के तट पर स्थित नैमिषारण्य तीर्थ को लेकर मार्कण्डेय पुराण में नैमिष को अरण्य और 88 हजार ऋषियों की तपस्थली के रूप में वर्णन मिलता है. मानव जन्म की उत्पत्ति हेतु मनु-शतरूपा ने यहां 23 हजार वर्षों तक कठोर तप किया था. नैमिषारण्य की तपो भूमि पर ही ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपनी अस्थियां देवताओं को दान में दी थीं. उनके अस्थियों से ही बने वज्र से वृतासुर का देवताओं ने वध क र विजय पाई थी.
वेद व्यास ने भी यहां पर चार वेद, छह शास्त्र और 18 पुराणों की रचना की थी. यहां पर शक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर के साथ ही हनुमानगढ़ी, कालीपीठ, व्यास गद्दी, मनु सतरूपा तपस्थली आदि के दर्शन होते हैं. नैमिष के अरण्यों में श्रद्धालुओं को जानकी कुंड, कुमनेश्वर, कुर्कुरी, मानसरोवर, कोटीश्वर, महादेव, कैलाशन, हत्या हरण, नर्मदेश्वर, दस कन्या, जगन्नाथ, गंगासागर, कपिल मुनी, नागालय, नीलगंगा, श्रृंगीऋषि, द्रोणाचार्य पर्वत, चंदन तालाब, मधुवसनक, ब्रम्हावर्त, दशाश्वमेघ, हनुमान गढ़ी, यज्ञवाराह कूप, हंस-हंसिनी, देव-देवेश्वर, रुद्रावर्त आदि तीर्थ स्थलों का दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है.