भरतपुर. रक्षाबंधन के अवसर पर बहनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेते सभी ने देखा है. लेकिन कई बहनें ऐसी भी हैं जो श्री बांके बिहारी जी को राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं. जी हां, जिन बहनों के भाई नहीं हैं ऐसी बहने रक्षा बंधन के त्योहार पर भरतपुर के इष्टदेव श्री बांके बिहारी जी को मंदिर पहुंचकर राखी बांधती हैं. कई बहनें तो बांके बिहारी जी को राखी बांधने के लिए दिल्ली से भरतपुर पहुंची हैं. रक्षा बंधन के अवसर पर इस अनूठी मान्यता के बारे में जानते हैं.
दिल्ली से राखी बांधने पहुंची मंदिर : दिल्ली निवासी 10 वर्षीय आरोही अग्रवाल के कोई भाई नहीं है. ऐसे में आरोही अपनी मां के साथ रक्षाबंधन के अवसर पर दिल्ली से भरतपुर पहुंची है. आरोही ने बताया कि वो लड्डू गोपाल जी को अपना भाई मानती हैं. इसलिए भरतपुर के श्री बांके बिहारी को राखी बांधने के लिए मंदिर आई हैं. वो चाहती हैं कि जिस तरह से एक भाई अपनी बहन की रक्षा करता है, उसी तरह से श्री बांके बिहारी उसकी रक्षा करें.
![दिल्ली तक से भरतपुर आती हैं बहनें](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/19-08-2024/rjbrt01bharatpurshreebankebiharirakshabandhanvis567890_19082024103232_1908f_1724043752_1047.jpg)
मंदिर के पुजारी मनोज भारद्वाज ने बताया कि हर बार रक्षाबंधन के अवसर पर ऐसी कई बहनें मंदिर पहुंचकर श्री बांके बिहारी जी को राखी बांधती हैं. ये वो बहनें होती हैं जिनके कोई भी भाई नहीं होता. मान्यता है कि ऐसी बहनों की श्री बांके बिहारी जी भाई बनकर रक्षा करते हैं. जिस तरह से द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने भाई बनकर द्रौपदी की रक्षा की थी.
![बांके बिहारी जी को राखी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/19-08-2024/rjbrt01bharatpurshreebankebiharirakshabandhanvis567890_19082024103232_1908f_1724043752_568.jpg)
अनूठी है मंदिर की मान्यता : मंदिर के पुजारी मनोज भारद्वाज ने बताया कि भरतपुर के श्री बांके बिहारी को लेकर एक किवदंती है. बताया जाता है कि नागा बाबा कल्याणगिरी चिंतामणि नियमित रूप से चौरासी कोस की परिक्रमा लगाते थे. परिक्रमा के दौरान एक बार नागा बाबा की जटा झाड़ियों में उलझ गई. उसी समय भगवान श्रीकृष्ण एक बालक के रूप में प्रकट होकर बाबा की जटाएं सुलझाने लगे. घटना के बाद एक दिन नागा बाबा कल्याणगिरी वृंदावन में यमुना जी में स्नान कर रहे थे और उसी दौरान श्री बांके बिहारी की प्रतिमा उनकी गोद में आकर विराज गई. नागा बाबा प्रतिमा को बैलगाड़ी में लेकर वहां से रवाना हो गए. बैलगाड़ी का पहिया किला स्थित वर्तमान मंदिर वाले स्थान पर आकर रुक गया. नागा बाबा ने उसी स्थान पर श्री बांके बिहारी जी को विराजमान करा दिया और यहीं पर मंदिर बना दिया गया. श्री बांके बिहारी जी पूरे भरतपुर वासियों के इष्ट देव हैं.