जबलपुर। सिमी मामले की सुनवाई कर रहे ट्रिब्यूनल में दिल्ली हाई कोर्ट के जज भी शामिल हैं. सुनवाई में यह तय किया जाना है कि सिमी पर प्रतिबंध जारी रखा जाए या नहीं. इस मामले में सिमी और सरकार दोनों ही अपना पक्ष रख रहे हैं. सिमी पर आरोप है कि इसके सदस्यों ने देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया. इनमें से दो बड़ी घटनाएं सामने आई थीं. अहमदाबाद में बम धमाके में जो लोग पकड़े थे, उनका संबंध सिमी से था. इसके बाद खंडवा जेल से आरोपियों के फरार होने की घटना सामने आई थी. इसमें भी सिमी का नाम सामने आया था.
दिल्ली हाईकोर्ट के जज कर रहे हैं सुनवाई
इसके बाद सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय सिमी की गतिविधियों पर लगातार निगाह रखे हुए है. मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों से सिमी से जुड़े कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया. यह प्रतिबंध अभी भी जारी है. जबलपुर हाई कोर्ट परिसर में दिल्ली हाई कोर्ट के जज सरकार और सिमी से जुड़े हुए वकीलों के तथ्य सुन रहे हैं. गुरुवार को सरकार की ओर से एसके पांडे ने अपना पक्ष रखा. जिसमें सरकार का कहना है "अभी भी सिमी के सदस्यों पर निगाहें बनाए हुए हैं और इस संगठन की गतिविधियां अभी भी देशविरोधी हैं. इसलिए संगठन पर प्रतिबंध जारी रहना चाहिए."
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सिमी के वकील कल रखेंगे अपना पक्ष
सिमी की ओर से पैरवी करने के लिए नईम खान अदालत पहुंचे. हालांकि वह आज भी अपना पक्ष नहीं रख पाए लेकिन उन्होंने बताया "बीते कुछ सालों से सिमी पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया है. अब उसके कोई सदस्य कोई गतिविधि नहीं कर रहे हैं. इसलिए संगठन पर प्रतिबंध रखना सही नहीं है. प्रतिबंध को खत्म किया जाना चाहिए." नईम खान अपना पक्ष कल ट्रिब्यूनल के सामने रखेंगे. बता दें कि सिमी का नेटवर्क मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के कई राज्यों में था और इन लोगों के पास कुछ ऐसे दस्तावेज भी थे, जिनमें देश विरोधी गतिविधियों के बारे में लिखा हुआ था.