ETV Bharat / state

कर्नाटक में झारखंड के मजदूर की मौत, शव को गांव लाने की सरकार से गुहार - Jharkhand worker died

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 12, 2024, 5:15 PM IST

Simdega worker died in Karnataka. बेबसी और लाचारी का आलम ऐसा है कि पैसे के अभाव में परिजन कर्नाटक के सरकारी अस्पताल में पड़े अपने बेटे के शव को सिमडेगा नहीं ला पा रहे. इसके लिए उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है. क्या है पूरा मामला, जानें ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

Simdega worker died in Karnataka
कर्नाटक में मारे गये मजदूर के परिजन और सीएम का ट्वीट (Etv Bharat)

सिमडेगा: एक बार फिर पेट की आग बुझाने परदेस गये युवक की मौत से एक घर का बुझ चिराग गया. अपने घर की दहलीज को छोड़ परदेस गए मजदूर ने बीमारी के कारण अपने परिजनों का साथ छोड़ गया. बेरोजगारी और परिवार की जरूरत को पूरा करने के लिए कर्नाटक गये जलडेगा प्रखंड के टिनगिना गांव निवासी मांगनू साय (पिता- कृष्णा साय, उम्र 25 वर्ष) की कर्नाटक में मौत हो गयी. लेकिन बेबसी ऐसी है कि परिजनों के पास अपने बच्चे के शव को लाने तक के पैसे नहीं है. बीते 5 दिनों से उसका शव अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में रखा हुआ है. शव को गांव पहुंचाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये अस्पताल की ओर से मांगे गये हैं.

मामले में सीएम ने लिया संज्ञान

मांगनू साय के परिवार की माली हालत इतनी खराब है कि अपनी सारी जमीनों को बेचकर परिजन बस 30 हजार की रकम ही जमा कर सके हैं. जबकि अजरगढ़ सरकारी अस्पताल से शव को गांव पहुंचने के लिए एक लाख 20 रुपए की मांग की जा रही है. इस मामले पर समाजसेवी कुणाल झारखंडी द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है. इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने मामले पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त सिमडेगा को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. साथ ही परिवार को सभी जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.

डीसी ने दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर सिमडेगा डीसी ने संज्ञान लिया है. जिसपर उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सीएम द्वारा किए गये पोस्ट के जवाब में लिखा है कि 'महोदय, दिवंगत मांगनू जी के पार्थिव शरीर को लाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हुए श्रम विभागीय योजनान्तर्गत आश्रित को तत्काल पचास हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है. उनके परिवार को अन्य देय योजनाओं का लाभ यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा'.

परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार मांगनू साय करीब दो माह पूर्व रोजगार की तलाश में परदेस गया हुआ था. कर्नाटक के मालपे नामक जगह पहुंचकर वह उडुपी समुद्र में मछली मारने का काम करता था. लेकिन समुद्र में पानी अत्यधिक होने के कारण काम बंद हो गया तो उसने अपनी जीविका चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम शुरू किया. इसी दौरान मांगनू साय की तबीयत अत्यधिक खराब हुई और उनकी मौत हो गई. वर्तमान में मांगनू साय का शव कर्नाटक के अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में पड़ा हुआ है. जब इसकी जानकारी युवक के परिजनों को मिली तो सभी का रो-रोकर बुरा हाल है.

बता दें कि मांगनू साय की शादी हुए महज 1 वर्ष ही हुए हैं और उनकी पत्नी 6 माह की गर्भवती भी है. परिवार की माली हालत को समझ मांगनू अपना और परिवार का पेट भरने के लिए कर्नाटक के मालपे नामक जगह चला गया. जहां किसी तरह मजदूरी करके वह अपने परिवार के भरण पोषण में हाथ बंटाता था. मृतक के पिता कृष्णा साय ने अपने बेटे बेटी के शव को किसी प्रकार भी लाने की गुहार लगाई है. परिजनों का कहना है कि वे लोग अपने बच्चे को अंतिम बार देखना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- तमिलनाडु में बंधक बनाए गए दुमका के 11 मजदूर हुए मुक्त, सभी वापस लौट रहे अपने घर - Eleven laborers of Dumka freed

इसे भी पढ़ें- हिमाचल में झारखंड के चार प्रवासी मजदूर लापता, बादल फटने से भारी तबाही के बाद नहीं मिला कोई सुराग - Cloudburst in Himachal

इसे भी पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका में फंसे बोकारो के मजदूरों के परिजनों की व्यथा, कहा- न बच्चों की स्कूल फी भर पा रहे हैं, न घर में बचा है राशन - Laborers Trapped In South Africa

सिमडेगा: एक बार फिर पेट की आग बुझाने परदेस गये युवक की मौत से एक घर का बुझ चिराग गया. अपने घर की दहलीज को छोड़ परदेस गए मजदूर ने बीमारी के कारण अपने परिजनों का साथ छोड़ गया. बेरोजगारी और परिवार की जरूरत को पूरा करने के लिए कर्नाटक गये जलडेगा प्रखंड के टिनगिना गांव निवासी मांगनू साय (पिता- कृष्णा साय, उम्र 25 वर्ष) की कर्नाटक में मौत हो गयी. लेकिन बेबसी ऐसी है कि परिजनों के पास अपने बच्चे के शव को लाने तक के पैसे नहीं है. बीते 5 दिनों से उसका शव अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में रखा हुआ है. शव को गांव पहुंचाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये अस्पताल की ओर से मांगे गये हैं.

मामले में सीएम ने लिया संज्ञान

मांगनू साय के परिवार की माली हालत इतनी खराब है कि अपनी सारी जमीनों को बेचकर परिजन बस 30 हजार की रकम ही जमा कर सके हैं. जबकि अजरगढ़ सरकारी अस्पताल से शव को गांव पहुंचने के लिए एक लाख 20 रुपए की मांग की जा रही है. इस मामले पर समाजसेवी कुणाल झारखंडी द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है. इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने मामले पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त सिमडेगा को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. साथ ही परिवार को सभी जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.

डीसी ने दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर सिमडेगा डीसी ने संज्ञान लिया है. जिसपर उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सीएम द्वारा किए गये पोस्ट के जवाब में लिखा है कि 'महोदय, दिवंगत मांगनू जी के पार्थिव शरीर को लाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हुए श्रम विभागीय योजनान्तर्गत आश्रित को तत्काल पचास हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है. उनके परिवार को अन्य देय योजनाओं का लाभ यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा'.

परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार मांगनू साय करीब दो माह पूर्व रोजगार की तलाश में परदेस गया हुआ था. कर्नाटक के मालपे नामक जगह पहुंचकर वह उडुपी समुद्र में मछली मारने का काम करता था. लेकिन समुद्र में पानी अत्यधिक होने के कारण काम बंद हो गया तो उसने अपनी जीविका चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम शुरू किया. इसी दौरान मांगनू साय की तबीयत अत्यधिक खराब हुई और उनकी मौत हो गई. वर्तमान में मांगनू साय का शव कर्नाटक के अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में पड़ा हुआ है. जब इसकी जानकारी युवक के परिजनों को मिली तो सभी का रो-रोकर बुरा हाल है.

बता दें कि मांगनू साय की शादी हुए महज 1 वर्ष ही हुए हैं और उनकी पत्नी 6 माह की गर्भवती भी है. परिवार की माली हालत को समझ मांगनू अपना और परिवार का पेट भरने के लिए कर्नाटक के मालपे नामक जगह चला गया. जहां किसी तरह मजदूरी करके वह अपने परिवार के भरण पोषण में हाथ बंटाता था. मृतक के पिता कृष्णा साय ने अपने बेटे बेटी के शव को किसी प्रकार भी लाने की गुहार लगाई है. परिजनों का कहना है कि वे लोग अपने बच्चे को अंतिम बार देखना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- तमिलनाडु में बंधक बनाए गए दुमका के 11 मजदूर हुए मुक्त, सभी वापस लौट रहे अपने घर - Eleven laborers of Dumka freed

इसे भी पढ़ें- हिमाचल में झारखंड के चार प्रवासी मजदूर लापता, बादल फटने से भारी तबाही के बाद नहीं मिला कोई सुराग - Cloudburst in Himachal

इसे भी पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका में फंसे बोकारो के मजदूरों के परिजनों की व्यथा, कहा- न बच्चों की स्कूल फी भर पा रहे हैं, न घर में बचा है राशन - Laborers Trapped In South Africa

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.