सरगुजा : छ्त्तीसगढ़ में धान खरीदी 14 नवंबर से शुरू कर दी गई है. लेकिन ज्यादातर धान खरीदी केन्द्रों में 6 दिन में भी बोहनी नहीं हो सकी है. मतलब एक भी किसान समिति में धान बेचने नहीं आया है. जिले में कुछ समितियों में किसानों ने धान बेचे हैं लेकिन खरीदी शुरू होने के छठवें दिन तक कई समितियों में किसान धान बेचने नहीं पहुंचे हैं, समितियों में सन्नाटा पसरा है. समिति के कर्मचारी तैयारी पूरी कर किसानो का इन्तजार कर रहे हैं.
क्यों किसानों को हो रही है देरी : हालांकि सरगुजा में ऐसा हर वर्ष ही देखा जाता है. क्योंकि प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में सरगुजा में फसल देर से तैयार होती है. इसके दो कारण होते हैं. कुछ किसान बोनी ही देर से करते हैं तो कुछ किसान धान की वो वेरायटी लगाते हैं. जिसे पकने में 120 से 130 दिन का समय लग जाता है. ऐसे में कुछ किसान जो 90 दिन में तैयार होने वाली वेरायटी लगाते है. उनका धान तो पककर तैयार होता है. लेकिन बाकी किसानों को धान की फसल तैयार होने उसे काटने और फिर मिसाई कराने में वक्त लगता है. यही कारण है कि सरगुजा में ज्यादातर किसान नवम्बर के अंतिम सप्ताह से धान बेचने पहुंचते हैं.
समिति में किसान धान लेकर नही आए हैं.धान अभी खेत में ही है या कटाई नहीं हुई या काट लिए है तो मिसाई नही करा सके हैं. इस कारण किसान समिति में धान बेचने नही आ रहे हैं - आनंद कुमार, किसान
जिले में धान खरीदी की समीक्षा भी हुई बैठक में कलेक्टर ने धान खरीदी की समीक्षा करते हुए सभी नोडल अधिकारियों को अपने प्रभार के उपार्जन केंद्र में पहुंचकर धान खरीदी का जायजा लेने के निर्देश दिए. जिसमें कलेक्टर ने राजस्व टीम को राइस मिलों का भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट आगामी दिवस तक प्रस्तुत करने को कहा है.इसके साथ ही उन्होंने जिले के 34 उपार्जन केंद्रों में बनाए गए. किसान कुटीर को कार्यशील रखने के निर्देश दिए.
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