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भाजपा और राजद के पूर्व मंत्री-विधायक सिकरहना नदी पर बांध बनाने का कर रहे हैं विरोध, आखिर क्यों? - SIKARHANA RIVER DAM PROTEST

सिकरहना नदी पर बांध बनना है. उसका ग्रामीण विरोध कर रहे थे. अब इलाके के पूर्व मंत्री-विधायक भी उनके आंदोलन में साथ हो लिये हैं.

sikarhana river dam protest
मोतिहारी में सर्वदलीय बैठक. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 11 hours ago

Updated : 9 hours ago

मोतिहारीः सरकार की योजनाएं लोगों की सुविधा के लिए होती है, लेकिन जब सरकार की योजनाएं संबंधित लोगों को अभिशाप लगने लगे तो उसका विरोध शुरु होता है. सिकरहना नदी पर 56 किलोमीटर बनने वाले तटबंध का पूर्वी चंपारण के सुगौली, बंजरिया और मोतिहारी सदर प्रखंड के ग्रामीण विरोध कर रहे थे. अब ग्रामीणों को लगभग सभी दलों के नेताओं समर्थन किया है. इनमें पूर्व मंत्री, वर्तमान और पूर्व विधायक शामिल हैं.

मोतिहारी में सर्वदलीय बैठकः मोतिहारी स्थित प्रेस क्लब में शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक हुई. नरकटिया के राजद विधायक व पूर्व मंत्री डॉ.शमीम अहमद, कल्याणपुर के विधायक व राजद जिलाध्यक्ष मनोज यादव, निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह, पूर्व मंत्री व भाजपा नेता राम चंद्र सहनी, कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद, जदयू नेता गोविंद सिंह समेत कई नेता मौजूद रहे. विधायकों व अन्य नेताओं के अलावा आंदोलित ग्रामीणों ने तटबंध के निर्माण को लेकर किसी भी हद तक जाने की बात कही है.

मोतिहारी में सर्वदलीय बैठक. (ETV Bharat)

जनता को कोई फायदा नहीं: बैठक के बाद राजद विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. शमीम अहमद ने कहा कि सरकार की यह योजना जनता को डूबाने के लिए आई है. जब हमलोग सरकार में थे, उस समय इस योजना पर चर्चा चली थी. लेकिन उसको लेकर सीएम से मिला था तो यह रुका हुआ था. लेकिन इसी जून में कैबिनेट से यह योजना पास हो गयी, जिस तरह पास हुई है, उसी तरह इसे वापस ले लिया जाए. क्योंकि इससे जनता को कोई फायदा नहीं है.

Former Minister Dr. Shamim Ahmed.
पूर्व मंत्री डॉ. शमीम अहमद. (ETV Bharat)

डीएम ने अनावश्यक बतायाः कल्याणपुर विधायक और राजद जिलाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि हमलोग इसका पूरा विरोध कर रहे हैं. यहां के प्रभारी मंत्री सुनील कुमार से भी हमलोगों का शिष्टमंडल मिला था. बीस सूत्री के बैठक में सर्वसम्मति से बांध के निर्माण का विरोध हुआ था. डीएम भी मानते हैं कि यह आवश्यक काम नहीं है. जबरदस्ती अगर सरकार इस पर काम करायेगी और लोग नहीं मानेगा. ठेकेदारी के लिए किसी के जीवन की हानि नहीं होने दी जाएगी.

Kalyanpur MLA Manoj Kumar.
कल्याणपुर विधायक मनोज कुमार. (ETV Bharat)

"पश्चिम बंगाल में नैनो का जिस तरह से विरोध हुआ था उसी तरह यहां भी हमलोग विरोध करेंगे. जेल भी जाना पड़े, तो जेल जायेंगे. तंबू लगाकर हमलोग वहां बैठेंगे, बांध को नहीं बनने देंगे."- मनोज कुमार, कल्याणपुर विधायक

sikarhana river dam protest
सिकरहना नदी पर बांध बनाने की योजना. (ETV Bharat)

दो सौ से ज्यादा गांव के लोग प्रभावित होंगेः बैठक में मौजूद निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने कहा कि नेपाल की तरफ सिकरहना की जो भी सहायक नदियों का पानी आता है, वह कहां जाएगा. अगर बांध बन जाएगा तो सालोभर बाढ़ की स्थिति बनी रहेगी. सिकरहना में जब नेपाली नदियों का पानी जाएगा तो बाऔध के बाहर के लोगों को बाढ़ से कभी निजात नहीं मिलेगा. सरकार इस पर डैम की व्यवस्था करे. पूर्वी चंपारण के दो सौ से ज्यादा गांव जो इस बांध प्रभावित होने वाले हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें.

Legislative Councilor Maheshwar Singh.
विधान पार्षद महेश्वर सिंह. (ETV Bharat)

भाजपा नेता बताया क्यों नहीं बने बांधः पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामचंद्र सहनी ने कहा कि इस बांध के बनने से नदी के किनारे पर नदी के पानी का जलस्तर ऊंचा हो जाएगा. पानी का जलस्तर बढ़ने से उस क्षेत्र के जो भी बसावट है, वह बर्बाद हो जाएगा. घरों में पानी प्रवेश करेगा. केवल बालूआही जमीन रह जाएगी. फसल भी बर्बाद हो जाएगी. इससे नुकसान होगा. सैकड़ों गांव जलमग्न हो जाएगा. फायदा के बदले नुकसान होगा. इसलिए हमलोग चाहते हैं कि यह बांध नहीं बने.

Former minister Ramchandra Sahni
पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामचंद्र सहनी. (ETV Bharat)

क्या है परियोजनाः बता दें कि वर्ष 1978 में सरकार ने पश्चिमी चंपारण के चनपटिया से पूर्वी चंपारण जिला के मोतिहारी सदर प्रखंड के कटहां तक सिकरहना नदी पर तटबंध बनाने निर्णय लिया. जिसके लिए सरकार ने 565 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया. जिसमें लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने अपनी जमीन का मुआवजा भी ले लिया. लेकिन वर्ष 1980 में पूर्वी चंपारण के सुगौली और बंजरिया प्रखंड के लोगों ने प्रस्तावित तटबंध का अचानक विरोध करना शुरू कर दिया. सिकरहना नदी पर बनने वाले बांध का मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

sikarhana river dam protest
बांध का विरोध करते ग्रामीण. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

आंदोलन की चेतावनीः वर्ष 2022-23 में इस तटबंध के निर्माण को लेकर सरकार के स्तर से गतिविधियां शुरु हुई. इसी साल जून में लगभग 520 करोड़ की सिकरहना नदी पर तटबंध निर्माण की योजना कैबिनेट से पास हो गयी. एजेंसी भी तय हो गयी. कार्य एजेंसी जब काम करने के लिए पहुंची, तब ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरु किया. तटबंध निर्माण का विरोध कर रहे ग्रामीणों को अब जनप्रतिनिधियों के साथ अन्य राजनेताओं का साथ मिल गया है. बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

इसे भी पढ़ेंः मोतिहारी में सिकरहना नदी पर बना रिंग बांध टूटा, हजारों हेक्टेयर खेत में फैल गया बाढ़ का पानी

इसे भी पढ़ेंः मोतिहारी में सिकरहना नदी में तेजी से हो रहा पानी कम, कटाव के कारण सड़क नदी में समायी

मोतिहारीः सरकार की योजनाएं लोगों की सुविधा के लिए होती है, लेकिन जब सरकार की योजनाएं संबंधित लोगों को अभिशाप लगने लगे तो उसका विरोध शुरु होता है. सिकरहना नदी पर 56 किलोमीटर बनने वाले तटबंध का पूर्वी चंपारण के सुगौली, बंजरिया और मोतिहारी सदर प्रखंड के ग्रामीण विरोध कर रहे थे. अब ग्रामीणों को लगभग सभी दलों के नेताओं समर्थन किया है. इनमें पूर्व मंत्री, वर्तमान और पूर्व विधायक शामिल हैं.

मोतिहारी में सर्वदलीय बैठकः मोतिहारी स्थित प्रेस क्लब में शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक हुई. नरकटिया के राजद विधायक व पूर्व मंत्री डॉ.शमीम अहमद, कल्याणपुर के विधायक व राजद जिलाध्यक्ष मनोज यादव, निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह, पूर्व मंत्री व भाजपा नेता राम चंद्र सहनी, कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद, जदयू नेता गोविंद सिंह समेत कई नेता मौजूद रहे. विधायकों व अन्य नेताओं के अलावा आंदोलित ग्रामीणों ने तटबंध के निर्माण को लेकर किसी भी हद तक जाने की बात कही है.

मोतिहारी में सर्वदलीय बैठक. (ETV Bharat)

जनता को कोई फायदा नहीं: बैठक के बाद राजद विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. शमीम अहमद ने कहा कि सरकार की यह योजना जनता को डूबाने के लिए आई है. जब हमलोग सरकार में थे, उस समय इस योजना पर चर्चा चली थी. लेकिन उसको लेकर सीएम से मिला था तो यह रुका हुआ था. लेकिन इसी जून में कैबिनेट से यह योजना पास हो गयी, जिस तरह पास हुई है, उसी तरह इसे वापस ले लिया जाए. क्योंकि इससे जनता को कोई फायदा नहीं है.

Former Minister Dr. Shamim Ahmed.
पूर्व मंत्री डॉ. शमीम अहमद. (ETV Bharat)

डीएम ने अनावश्यक बतायाः कल्याणपुर विधायक और राजद जिलाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि हमलोग इसका पूरा विरोध कर रहे हैं. यहां के प्रभारी मंत्री सुनील कुमार से भी हमलोगों का शिष्टमंडल मिला था. बीस सूत्री के बैठक में सर्वसम्मति से बांध के निर्माण का विरोध हुआ था. डीएम भी मानते हैं कि यह आवश्यक काम नहीं है. जबरदस्ती अगर सरकार इस पर काम करायेगी और लोग नहीं मानेगा. ठेकेदारी के लिए किसी के जीवन की हानि नहीं होने दी जाएगी.

Kalyanpur MLA Manoj Kumar.
कल्याणपुर विधायक मनोज कुमार. (ETV Bharat)

"पश्चिम बंगाल में नैनो का जिस तरह से विरोध हुआ था उसी तरह यहां भी हमलोग विरोध करेंगे. जेल भी जाना पड़े, तो जेल जायेंगे. तंबू लगाकर हमलोग वहां बैठेंगे, बांध को नहीं बनने देंगे."- मनोज कुमार, कल्याणपुर विधायक

sikarhana river dam protest
सिकरहना नदी पर बांध बनाने की योजना. (ETV Bharat)

दो सौ से ज्यादा गांव के लोग प्रभावित होंगेः बैठक में मौजूद निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने कहा कि नेपाल की तरफ सिकरहना की जो भी सहायक नदियों का पानी आता है, वह कहां जाएगा. अगर बांध बन जाएगा तो सालोभर बाढ़ की स्थिति बनी रहेगी. सिकरहना में जब नेपाली नदियों का पानी जाएगा तो बाऔध के बाहर के लोगों को बाढ़ से कभी निजात नहीं मिलेगा. सरकार इस पर डैम की व्यवस्था करे. पूर्वी चंपारण के दो सौ से ज्यादा गांव जो इस बांध प्रभावित होने वाले हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें.

Legislative Councilor Maheshwar Singh.
विधान पार्षद महेश्वर सिंह. (ETV Bharat)

भाजपा नेता बताया क्यों नहीं बने बांधः पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामचंद्र सहनी ने कहा कि इस बांध के बनने से नदी के किनारे पर नदी के पानी का जलस्तर ऊंचा हो जाएगा. पानी का जलस्तर बढ़ने से उस क्षेत्र के जो भी बसावट है, वह बर्बाद हो जाएगा. घरों में पानी प्रवेश करेगा. केवल बालूआही जमीन रह जाएगी. फसल भी बर्बाद हो जाएगी. इससे नुकसान होगा. सैकड़ों गांव जलमग्न हो जाएगा. फायदा के बदले नुकसान होगा. इसलिए हमलोग चाहते हैं कि यह बांध नहीं बने.

Former minister Ramchandra Sahni
पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामचंद्र सहनी. (ETV Bharat)

क्या है परियोजनाः बता दें कि वर्ष 1978 में सरकार ने पश्चिमी चंपारण के चनपटिया से पूर्वी चंपारण जिला के मोतिहारी सदर प्रखंड के कटहां तक सिकरहना नदी पर तटबंध बनाने निर्णय लिया. जिसके लिए सरकार ने 565 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया. जिसमें लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने अपनी जमीन का मुआवजा भी ले लिया. लेकिन वर्ष 1980 में पूर्वी चंपारण के सुगौली और बंजरिया प्रखंड के लोगों ने प्रस्तावित तटबंध का अचानक विरोध करना शुरू कर दिया. सिकरहना नदी पर बनने वाले बांध का मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

sikarhana river dam protest
बांध का विरोध करते ग्रामीण. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

आंदोलन की चेतावनीः वर्ष 2022-23 में इस तटबंध के निर्माण को लेकर सरकार के स्तर से गतिविधियां शुरु हुई. इसी साल जून में लगभग 520 करोड़ की सिकरहना नदी पर तटबंध निर्माण की योजना कैबिनेट से पास हो गयी. एजेंसी भी तय हो गयी. कार्य एजेंसी जब काम करने के लिए पहुंची, तब ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरु किया. तटबंध निर्माण का विरोध कर रहे ग्रामीणों को अब जनप्रतिनिधियों के साथ अन्य राजनेताओं का साथ मिल गया है. बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

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