करौली. कैलादेवी अभयारण्य में वन्य जीव प्रेमियों के लिए खुशी की खबर है. यहां पक्षियों की एक खूबसूरत और दुर्लभ प्रजाति दिखी है. इस अभयारण्य में नजर आई है. ब्लैक स्टॉर्क नाम की पक्षियों की यह प्रजाति साइबेरिया से 6900 किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंची है. अभयारण्य के खजुरा के ताल में करीब 23 ब्लैक स्टॉर्क देखें गए हैं.
बता दें कि यह पक्षियों की एक दुर्लभ प्रजाति है, जिसे एक ही सुर में सुरीली आवाज निकालने के कारण इन्हें स्थानीय भाषा में सुरमल और काला सारस के नाम से भी जाना जाता है. दुर्लभ प्रजाति के इस पक्षियों के झुंड को उपवन संरक्षक करौली पीयूष शर्मा के साथ भरतपुर से आए वरिष्ठ पक्षी विशेषज्ञ दाऊ दयाल शर्मा ने अपने कैमरें में कैद किया है.
पक्षी विशेषज्ञ शर्मा ने बताया कि ये पक्षी यहां पहली बार देखे गए हैं. विश्व में पाए जाने वाले 19 स्टॉर्क प्रजातियों में ब्लैक स्टॉर्क का नाम आता है. कम संख्या में पाए जाने के कारण यूएन ने इन्हें दुर्लभ प्रजातियों में शामिल कर दिया हैं. लगभग 6900 किलोमीटर का सफर तय करके उज़्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, खैबर दर्रा,अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए ये भारत आते हैं.
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प्रजनन स्थली साइबेरिया : शर्मा ने बताया कि ब्लैक स्टॉर्क नाम के इस पक्षी को यहां के तालाब बहुत पसंद आए हैं. मुख्य रूप से यह साइबेरिया में पाई जाने वाली पक्षियों की प्रजाति है. साइबेरिया को ही इनकी प्रजनन स्थली कहा जाता है, लेकिन अक्टूबर में इनकी प्रजनन स्थली में तापमान माइनस 30 डिग्री तक हो जाता है और बर्फीले तूफान भी आ जाते हैं. इसके बाद ब्लैक स्टॉर्क दक्षिण की ओर उतरना शुरू कर देते हैं. उन्होंने बताया कि फरवरी मार्च में यहां का तापमान जैसे ही 25 और 30 डिग्री से ऊपर पहुंच जाता है. यह अपने वतन की ओर लौटना शुरू कर देते हैं.
5 फीट तक हो जाते हैं लंबे : पक्षी विशेषज्ञ दाऊदयाल शर्मा के मुताबिक, इनका आकार 37 से 30 इंच का होता है और पंख फैलाने पर 5 फीट लंबा हो जाता है. वजन में लगभग यह 3 किलो के होते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत ब्लैक स्टॉर्क लाल चोंच और पंखों वाला शर्मिला मिजाज होता है. खासकर मछली, मेंढ़क, सांप और जलीय जीव खाना इनको बेहद पसंद होता है. ब्लैक स्टॉर्क सुरीली कॉल भी करते हैं. इसलिए इन्हें सुरमल भी कहते हैं.