नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील से रिश्वत लेने के आरोपी एक पुलिसकर्मी को जमानत दे दी है. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने हौजखास पुलिस थाने में कार्यरत एसआई युद्धवीर सिंह यादव को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया.
दरअसल साकेत कोर्ट में वकील सीके शर्मा ने एक शिकायत दायर कर वकील अमित गौतम, राहुल सिंह और साहिल शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. वकील राहुल सिंह एसीपी एके सिंह के पुत्र हैं जो एंटी करप्शन ब्रांच दिल्ली में पदस्थ हैं. वकील साहिल शर्मा एक सीबीआई अधिकारी के पुत्र हैं. सीके शर्मा ने आरोपी वकीलों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली नगर निगम में उनका हाउस टैक्स का मामला निपटाने का झांसा देकर दस लाख रुपये ठग लिए. साकेत कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एसआई युद्धवीर यादव को एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था.
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वकील अमित गौतम के खिलाफ 17 नवंबर 2023 को अंकुर गुप्ता नामक शिकायतकर्ता ने शिकायत की कि वे ओएनजीसी में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित करने के लिए टेंडर दिलवा देंगे. टेंडर दिलवाने के नाम पर उन्होंने ढाई लाख रुपये मांगे थे. वकील अमित गौतम के भाई राहुल गौतम ओएनजीसी में कार्यरत हैं. अमित गौतम और राहुल गौतम ने शिकायतकर्ता से डेढ़ लाख रुपये ले लिए. इस मामले में भी साकेत कोर्ट ने युद्धवीर सिंह यादव को एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
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इस मामले में सीबीआई ने युद्धवीर सिंह यादव के खिलाफ 18 जुलाई 2024 को एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि अमित गौतम से एसआई युद्धवीर सिंह यादव ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पक्ष में दाखिल करने के लिए तीन लाख रुपये की मांग की. सीबीआई ने जाल बिछाया और युद्धवीर सिंह यादव के टेबल से लिफाफे में रिश्वत की रकम बरामद की. उसके बाद युद्धवीर सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया गया.
गिरफ्तार होने के बाद युद्धवीर सिंह यादव ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. कोर्ट ने 13 अगस्त को युद्धवीर सिंह यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान युद्धवीर की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि वह उन वकीलों से रिश्वत की रकम भला कैसे मांग सकते हैं जिनके पिता एंटी करप्शन ब्रांच में एसीपी के पद पर तैनात हों.
उन्होंने कहा कि आरोपी एसआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आधार केवल बातचीत की आडियो रिकार्डिंग थी. आडियो रिकार्डिंग में भी आवाज स्पष्ट नहीं थी. कथित रिश्वत की रकम भले ही याचिकाकर्ता की टेबल से बरामद की गई थी लेकिन रकम की बरामदगी के समय वे अपने आफिस के कमरे से करीब सौ मीटर दूर थे.
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