लखीसराय: भगवान श्री राम की बिहार से जुड़ी कई सारी पौराणिक बातें हैं. राज्य का मिथिला क्षेत्र भगवान राम का ससुराल है. वहीं बिहार के लखीसराय जिले में स्थित श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम की मान्याताएं भी श्री राम के जन्म और शिक्षा से जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि राजा दशरथ को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी, जिसके बाद उन्होंने इसी आश्रम में आकर यज्ञ किया और फिर उन्हें चार बेटों का सुख मिला.
श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम की मान्यता: लखीसराय रेलवे स्टेशन से महज 20 किलोमीटर दूर श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम है. जहां प्राचीन काल में बड़े से बड़े ऋषिृ मुनि तपस्या किया करते थे. यह आश्रम शहर से दूर घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम की मान्यता है कि राजा दशरथ अपनी चारों पत्नियों के साथ पुत्रों की प्राप्ति को लेकर यहां आये थे. जिसके बाद उन्हें श्री राम सहित चारों पुत्र लक्ष्मण, शत्रुघ्न भरत और भरत की प्राप्ति हुई थी.
आश्रम में ऋषि के आशीर्वाद से चारों पुत्रों का जन्म: राजा दशरथ ने ऋषि विभांडक के पृत्र श्रृंगी को अपनी परेशानी बताई. इसके बाद ही तपस्या से अग्निदेवता हाथ में खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए. जिसके बाद राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति का आर्शीवाद मिला. उसी खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों पत्नियों को खिलाया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई.
इसी आश्रम में हुआ है चारों पुत्रों का मुंडन: चारों का जन्म होने के बाद राजा दशरथ अन्य राजा मित्रों के साथ ढ़ोल बाजे के साथ अपने चार पुत्रों का मुंडन संस्कार श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम में कराया. उसके बाद अपने पुत्र, रानियां और मित्रों को लेकर राजा पालवंश की नगरी लखीसराय की लाल और काली पहाड़ी के एतिहासिक गुफाओं में 14 दिन रहकर ऋषिृ मुनि विद्वानों से अपने चारों पुत्रों को मंत्रोचारण और शिक्षा दिलाई.
पहले नक्लियों का था कब्जा, अब पूजा-पाठ के लिए जाते हैं लोग: इस आश्रम में जाने के लिए पहले हर कोई कतराता था. क्योंकि ऐसे जगहों पर नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था. वहीं रास्ते भी काफी भयावह थे. नक्सलियों का खात्मा करने को लेकर जब केंद्रीय पुलिस बल का आना जाना इस जंगल में शुरू हो गया. उसके बाद इस आश्रम में अन्य लोगों की आवाजाही शुरू हो गई. सड़कों के निर्माण हो जाने के बाद लोग अपने बच्चों का मुंडन कराने यहां पहुंचते हैं.
प्रकृति की गोद में श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम: श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम आकर्षण का केंद्र है. जो कि बड़े-बड़े चट्टानों से बने पहाड़ियों के बीच है. इस धाम में आपरूपी हर दिन गर्म पानी निकलता है. जहां एक झरने कुंड का भी निर्माण कराया गया है. यही नहीं राजा रोमपाद ने अपनी दत्तक पुत्री शांता, जिसे राजा दशरथ ने अपनी बेटी के रूप में गोद लिया था. उसका विवाह ऋषि विभांडक के साथ कर उसे आशीर्वाद दिया था.