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कान्हा जी को पसंद है धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में घूमना, यहां हुआ था राधा-कृष्ण का आखिरी मिलन, तमाल वृक्ष देता है गवाही - Shri Krishna Janmashtami Special

Shri Krishna Janmashtami Special 2024: आज देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. ऐसे बहुतेरे मंदिर और धार्मिक स्थान है, जहां पर प्रभु श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के दिलचस्प किस्से जुड़े हैं. आज हम आपको ऐसा ही किस्सा बता रहे हैं इस रिपोर्ट में.

Shri Krishna Janmashtami Special 2024
Shri Krishna Janmashtami Special 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 26, 2024, 12:09 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 12:16 PM IST

पानीपत: आज देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. ऐसे बहुतेरे मंदिर और धार्मिक स्थान है, जहां पर प्रभु श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के दिलचस्प किस्से जुड़े हैं. आज हम आपको ऐसा ही किस्सा बता रहे हैं इस रिपोर्ट में. मान्यता है कि महाभारत की रणभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के उत्तर तट पर भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी जी का मिलन हुआ. उत्तरी तट पर स्थित तमाल वृक्ष इस मिलन की आज भी गवाही दे रहा है.

Shri Krishna Janmashtami Special 2024
वृक्ष की बनावट और श्री राधा कृष्ण प्रेम कहानी (Etv Bharat)

तमाल वृक्ष से जुड़ी अद्भुत कहानी: श्री कृष्ण और राधा रानी के अटूट प्रेम का साक्षी ये वृक्ष धर्म नगरी के श्री व्यास गोडीया मठ में स्थित श्री राधा कृष्ण मिलन मंदिर में स्थित है. गोडिया मंदिर के पुजारी सुरेश मित्तल ने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जब बलराम सहित गोकुल छोड़कर कंस वध के लिए मथुरा जा रहे थे, तब सभी गोपियां राधा रानी, यशोदा और नंद बाबा श्री कृष्ण के विरह में बहुत ही दुखी हुए थे. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन देते हुए कहा सभी गोकुल वासियों से एक बार मिलन अवश्य होगा.

श्रीकृष्ण और राधा रानी का अंतिम मिलन: श्रीकृष्ण भगवान ने इसी वचन को निभाते हुए द्वापर युग में सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था, तो इस अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर माता देवकी, पिता वासुदेव, नंद बाबा और सभी गोपियों समेत श्री राधा रानी जी से मिले थे. निधिवन में तमाल के वृक्ष की छाया में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रासलीला किया करते थे. मान्यता है कि राधा कृष्ण की अनुपस्थिति में कृष्ण समझकर इस वृक्ष का आलिंगन किया करती थीं.

वृक्ष की बनावट और श्री राधा कृष्ण प्रेम कहानी: कहा जाता है कि इस वृक्ष की बनावट कुछ इस तरह की होती है कि इस वृक्ष की हर टहनी एक दूसरी टहनी के साथ ऊपर जाकर मिल जाता है. इस वृक्ष की टहनी जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ती है तो एक दूसरे के साथ लिपट जाती है और आलिंगन करती है. ठीक उसी तरह जैसे राधा और कृष्ण का अगाध प्रेम था. मान्यता है कि जब श्री कृष्ण आठ वर्ष के हुए तो उनकी मुलाकात श्री राधा रानी जी से हुई थी. उस समय राधा रानी जी 12 वर्ष की थीं. बताया जाता है कि दोनों ने जब एक दूसरे को पहली बार देखा था श्री राधा रानी कृष्ण को देखते ही बेसुध हो गई थीं. इस समय दोनों एक दूसरे से विवाह करना चाहते थे. जब ये बात राधा रानी के परिजनों को पता चली तो उन्होंने राधा रानी को घर में कैद कर दिया.

ये भी पढ़ें: भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, आज है कृष्ण जन्माष्टमी - 26 August Panchang

ये भी पढ़ें: जानिए 26 या 27 आखिर किस दिन है श्री कृष्ण जन्माष्टमी, संतान सुख की प्राप्ति के लिए करें ये उपाय - Shri Krishna Janmashtami 2024

पानीपत: आज देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. ऐसे बहुतेरे मंदिर और धार्मिक स्थान है, जहां पर प्रभु श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के दिलचस्प किस्से जुड़े हैं. आज हम आपको ऐसा ही किस्सा बता रहे हैं इस रिपोर्ट में. मान्यता है कि महाभारत की रणभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के उत्तर तट पर भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी जी का मिलन हुआ. उत्तरी तट पर स्थित तमाल वृक्ष इस मिलन की आज भी गवाही दे रहा है.

Shri Krishna Janmashtami Special 2024
वृक्ष की बनावट और श्री राधा कृष्ण प्रेम कहानी (Etv Bharat)

तमाल वृक्ष से जुड़ी अद्भुत कहानी: श्री कृष्ण और राधा रानी के अटूट प्रेम का साक्षी ये वृक्ष धर्म नगरी के श्री व्यास गोडीया मठ में स्थित श्री राधा कृष्ण मिलन मंदिर में स्थित है. गोडिया मंदिर के पुजारी सुरेश मित्तल ने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जब बलराम सहित गोकुल छोड़कर कंस वध के लिए मथुरा जा रहे थे, तब सभी गोपियां राधा रानी, यशोदा और नंद बाबा श्री कृष्ण के विरह में बहुत ही दुखी हुए थे. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन देते हुए कहा सभी गोकुल वासियों से एक बार मिलन अवश्य होगा.

श्रीकृष्ण और राधा रानी का अंतिम मिलन: श्रीकृष्ण भगवान ने इसी वचन को निभाते हुए द्वापर युग में सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था, तो इस अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर माता देवकी, पिता वासुदेव, नंद बाबा और सभी गोपियों समेत श्री राधा रानी जी से मिले थे. निधिवन में तमाल के वृक्ष की छाया में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रासलीला किया करते थे. मान्यता है कि राधा कृष्ण की अनुपस्थिति में कृष्ण समझकर इस वृक्ष का आलिंगन किया करती थीं.

वृक्ष की बनावट और श्री राधा कृष्ण प्रेम कहानी: कहा जाता है कि इस वृक्ष की बनावट कुछ इस तरह की होती है कि इस वृक्ष की हर टहनी एक दूसरी टहनी के साथ ऊपर जाकर मिल जाता है. इस वृक्ष की टहनी जैसे-जैसे ऊपर की ओर बढ़ती है तो एक दूसरे के साथ लिपट जाती है और आलिंगन करती है. ठीक उसी तरह जैसे राधा और कृष्ण का अगाध प्रेम था. मान्यता है कि जब श्री कृष्ण आठ वर्ष के हुए तो उनकी मुलाकात श्री राधा रानी जी से हुई थी. उस समय राधा रानी जी 12 वर्ष की थीं. बताया जाता है कि दोनों ने जब एक दूसरे को पहली बार देखा था श्री राधा रानी कृष्ण को देखते ही बेसुध हो गई थीं. इस समय दोनों एक दूसरे से विवाह करना चाहते थे. जब ये बात राधा रानी के परिजनों को पता चली तो उन्होंने राधा रानी को घर में कैद कर दिया.

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Last Updated : Aug 26, 2024, 12:16 PM IST
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