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जानिए 26 या 27 आखिर किस दिन है श्री कृष्ण जन्माष्टमी, संतान सुख की प्राप्ति के लिए करें ये उपाय - Shri Krishna Janmashtami 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 24, 2024, 1:34 PM IST

Shri Krishna Janmashtami 2024 :शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात के समय हुआ था. पूरे संसार में इसको अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. कहीं गोकुल अष्टमी के नाम से मनाया जाता है, तो कहीं अष्टमी रोहिणी के नाम से भी इस दिन को माना जाता है. तो आईए जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी कब है और इसके व्रत व पूजा का विधि विधान क्या है.

Shri Krishna Janmashtami 2024
Shri Krishna Janmashtami 2024 (Etv Bharat)

करनाल: हिंदू पंचांग के मुताबिक, हिंदू वर्ष का भाद्रपद महिना चल रहा है. भाद्रपद महीने में हिंदुओं का प्रमुख पर्व भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की आने वाली अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि भादो महीने में हिंदुओं के लिए आने वाला एक प्रमुख दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव होता है. इस दिन कुछ जातक भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं. जिसके चलते भगवान श्री कृष्ण की कृपा उन पर बनी रहती है और उनके घर में सुख समृद्धि आती है. पंडित ने बताया कि इस बार श्री कृष्ण भगवान का 5251 वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी की शुरुआत 26 अगस्त को सुबह 3:39 से हो रही है. जबकि इसका समापन 27 अगस्त को सुबह 2:19 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त के दिन मनाई जाएगी.

रोहिणी नक्षत्र का समय: भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के समय हुआ था. उस समय रोहिणी नक्षत्र था. इसके चलते भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के लिए रोहिणी नक्षत्र सबसे अच्छा माना जाता है. रोहिणी नक्षत्र का समय 26 अगस्त को दोपहर 3:55 से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3:38 पर समापन होगा. वहीं, पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 12:00 बजे से लेकर रात के 12:44 तक होगा.

व्रत के पारण का समय: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जो लोग भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं, उसका पारण व्रत वाली रात को की किया जाता है. इसलिए व्रत के पारण का समय 26 और 27 अगस्त की रात को सुबह के 12:44 के बाद किया जाएगा.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि-विधान: उन्होंने कहा कि सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर अपने घर में बने मंदिर की साफ सफाई करें. उसके बाद अपने मंदिर में देसी घी का दीपक सभी देवी-देवताओं के आगे जलाएं. इसके साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की विशेष तौर पर पूजा करें. क्योंकि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है.

लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं. जो भी इंसान इस दिन व्रत करना चाहता है, वह पूजा करने उपरांत आरती करके अपने व्रत का प्रण लें. दोपहर में लड्डू गोपाल के आगे मिश्री, माखन और मेवे का भोग लगाएं और उनका फल भी अर्पित करें. फिर फल इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं. उसके बाद रात के समय भगवान लड्डू गोपाल के दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण कर लें. व्रत का पारण करने से पहले भगवान लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव आप मनाएं.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंत्रों का करें उच्चारण: इस दिन व्रत करने वाले सभी श्रद्धालु कृष्ण-राधा नाम का जाप करें और इस दिन मंत्र उच्चारण का भी विशेष महत्व माना गया है. माना जाता है कि मंत्र उच्चारण करने से कान्हा जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय और ॐ कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः मंत्र का जाप करें.

व्रत व पूजा का महत्व: पंडित ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत करने और उनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. जन्माष्टमी का व्रत करने से इंसान को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. छात्रों में बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन घर में कामधेनु गाय चंदन और बांसुरी खरीद कर घर में लाने से सुख समृद्धि बनी रहती है. आर्थिक संकट दूर होता है. जीवन में सभी सफलता प्राप्त होती है. वहीं, यह भी माना जाता है कि जो भी दंपति नि:संतान है, उनके लिए भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी काफी महत्वपूर्ण होती है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए वह जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा करें. माना जाता है कि ऐसा करने से उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें: आज है वैशाख कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि, किसी भी तरह के शुभ कार्यों से बचें - 1st May

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करनाल: हिंदू पंचांग के मुताबिक, हिंदू वर्ष का भाद्रपद महिना चल रहा है. भाद्रपद महीने में हिंदुओं का प्रमुख पर्व भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की आने वाली अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि भादो महीने में हिंदुओं के लिए आने वाला एक प्रमुख दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव होता है. इस दिन कुछ जातक भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं. जिसके चलते भगवान श्री कृष्ण की कृपा उन पर बनी रहती है और उनके घर में सुख समृद्धि आती है. पंडित ने बताया कि इस बार श्री कृष्ण भगवान का 5251 वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी की शुरुआत 26 अगस्त को सुबह 3:39 से हो रही है. जबकि इसका समापन 27 अगस्त को सुबह 2:19 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त के दिन मनाई जाएगी.

रोहिणी नक्षत्र का समय: भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के समय हुआ था. उस समय रोहिणी नक्षत्र था. इसके चलते भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के लिए रोहिणी नक्षत्र सबसे अच्छा माना जाता है. रोहिणी नक्षत्र का समय 26 अगस्त को दोपहर 3:55 से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3:38 पर समापन होगा. वहीं, पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय दोपहर 12:00 बजे से लेकर रात के 12:44 तक होगा.

व्रत के पारण का समय: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जो लोग भगवान श्री कृष्ण के लिए व्रत रखते हैं, उसका पारण व्रत वाली रात को की किया जाता है. इसलिए व्रत के पारण का समय 26 और 27 अगस्त की रात को सुबह के 12:44 के बाद किया जाएगा.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि-विधान: उन्होंने कहा कि सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर अपने घर में बने मंदिर की साफ सफाई करें. उसके बाद अपने मंदिर में देसी घी का दीपक सभी देवी-देवताओं के आगे जलाएं. इसके साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की विशेष तौर पर पूजा करें. क्योंकि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है.

लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं. जो भी इंसान इस दिन व्रत करना चाहता है, वह पूजा करने उपरांत आरती करके अपने व्रत का प्रण लें. दोपहर में लड्डू गोपाल के आगे मिश्री, माखन और मेवे का भोग लगाएं और उनका फल भी अर्पित करें. फिर फल इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं. उसके बाद रात के समय भगवान लड्डू गोपाल के दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण कर लें. व्रत का पारण करने से पहले भगवान लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव आप मनाएं.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंत्रों का करें उच्चारण: इस दिन व्रत करने वाले सभी श्रद्धालु कृष्ण-राधा नाम का जाप करें और इस दिन मंत्र उच्चारण का भी विशेष महत्व माना गया है. माना जाता है कि मंत्र उच्चारण करने से कान्हा जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय और ॐ कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः मंत्र का जाप करें.

व्रत व पूजा का महत्व: पंडित ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत करने और उनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. जन्माष्टमी का व्रत करने से इंसान को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. छात्रों में बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन घर में कामधेनु गाय चंदन और बांसुरी खरीद कर घर में लाने से सुख समृद्धि बनी रहती है. आर्थिक संकट दूर होता है. जीवन में सभी सफलता प्राप्त होती है. वहीं, यह भी माना जाता है कि जो भी दंपति नि:संतान है, उनके लिए भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी काफी महत्वपूर्ण होती है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए वह जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा करें. माना जाता है कि ऐसा करने से उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है.

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