धौलपुर. जिले के बाड़ी उपखंड में सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक 166 वर्ष पुराना 8 दिवसीय ऐतिहासिक श्री बारह भाई का मेला सोमवार को बड़े धूमधाम से बाड़ी उप जिला कलेक्टर राधेश्याम मीणा के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुआ. शाम 6 बजे महाराणा प्रताप खेल मैदान से बाड़ी उप जिला कलेक्टर राधेश्याम मीणा ने मेले को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह मेला जैसे-जैसे नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरा, आमजन का सैलाब मेले में उमड़ता चला गया. ऐतिहासिक श्री बारह भाई मेला हर वर्ष चैत्र मास की सप्तमी को आयोजित होता है. ऐसे में मेला आयोजन को लेकर श्री बारह भाई मेला कमेटी की ओर से करीब एक माह से तैयारियां की जा रही थी, जिसमें मेला कमेटी के अध्यक्ष सतीश प्रजापति के साथ महामंत्री पवन चंसौरिया और अन्य पदाधिकारी दर्जनों युवा कार्यकर्ताओं के साथ जुटे थे. वहीं, शहर के आम और खास हर नागरिक के आर्थिक सहयोग से यह मेला निकाला गया, जिसको दिव्य और भव्य बनाने के लिए धौलपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से प्रसिद्ध बैंड बाजों को भी बुलाया गया. साथ ही दर्जनों की संख्या में शामिल हुए कलाकारों ने मेले प्रस्तुति दी.
![Shri Barah Bhai Fair](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/03-04-2024/historicalbarahbhaimela-rjc10044_03042024055534_0304f_1712103934_233.jpg)
श्री बारह भाई मेला कमेटी का मेले के दौरान शहर के नागरिकों और समाजसेवियों द्वारा स्वागत किया गया. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मेला देर रात महाराणा प्रताप खेल मैदान पर जाकर संपन्न हुआ, जहां भगवान राम और भ्राता भरत का मिलाप कराया गया. मंगलवार देर रात को किला गेट गांधी पार्क में भगवान श्रीराम का विधि विधान पूर्वक आचार्य पंडित हरिद्वारी पाराशर ने पूजा अर्चना की. इसके बाद भगवान का राज्याभिषेक किया गया. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए. वहीं, कार्यक्रम मंच से अतिथियों का स्वागत सत्कार कर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए गए. मेला मंच से बाड़ी उप जिला कलेक्टर राधेश्याम मीणा ने आगामी लोकसभा चुनाव में लोगों को भय मुक्त होकर मतदान करने की शपथ दिलाई.
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मेले में भगवान राम करते हैं नगर भ्रमण : 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे तो उनका अयोध्या में स्वागत सत्कार हुआ था. उसी तर्ज पर यह मेला आयोजित होता है, जिसमें पहले दिन मेला बैठक में भगवान राम का स्वागत सत्कार और आरती की जाती है. दूसरे दिन भगवान राम नगर भ्रमण पर निकलते हैं, जिसमें उनके तीनों भाई माता जानकी के साथ विभिन्न देवी देवताओं के स्वरुपों को झांकियों के रूप में निकाला जाता है, जिनको देखने और दर्शन करने के लिए शहरवासी आतुर दिखाई दिए. इस दौरान प्रेम के प्रति ढोला-मारू,लैला-मजनूं से लेकर देश भक्ति से ओतप्रोत महाराणा प्रताप,वीर शिवाजी, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और कई वीर सपूत घोड़ों और ऊंटों पर सवार होकर मेले में निकले.
दो दर्जन से अधिक झांकियों के साथ निकला मेला : श्री बारह भाई के मेले में हारे के सहारे खाटूश्यामजी, साईनाथ, मां सीता के साथ लवकुश, नर्सिंग भगवान, हनुमान की वानर सेना,राधा कृष्ण,बांके बिहारी,धनलक्ष्मी,शिवजी के गण,कबीर,गौतम बुद्ध,देवनारायण भगवान,परशुराम सहित 26 झांकियां निकाली गई.
![Shri Barah Bhai Fair](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/03-04-2024/historicalbarahbhaimela-rjc10044_03042024055535_0304f_1712103935_421.jpg)
12 भाइयों की कोशिश लाई रंग : 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध भारतवासियों ने एकजुट होकर आजादी की पहली जंग लड़ी थी. यह लड़ाई अंग्रेजों की उस सोच पर प्रहार थी, जिसमें वो भारतीय समाज के खिलाफ फूट डालो राज करो की नीति पर काम कर रहे थे. सामाजिक ताने बाने को तोड़ने की कोशिश को नाकाम करने के लिए ही धौलपुर रियासत के बाड़ी में विभिन्न जातियों के बारह युवकों ने श्री बारह भाई मेले की शुरुआत की. पहले यह मेला बैलगाड़ियों और डोलियों में कहारों के सहयोग से निकाला जाता था और बिजली के अभाव में दिन में ही निकलता था. और इस तरह पड़ा नाम बारह भाई,तो कहानी शुरू होती है अखाड़े में दांव पेंच लगाने से दरअसल बाड़ी में पहलवानी एक प्रमुख खेल की तरह था,इसका भी इतिहास काफी समृद्ध रहा है. हुआ यूं कि इलाके के बारह पहलवान लगभग 166 वर्ष पूर्व जगनेर एक कार्यक्रम में पहुंचे,जहां प्रतियोगिता में भाग लेने और भी पहलवान पधारे थे.
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सबसे ज्यादा संख्या बाड़ी के बारह युवकों की थी, जिन्हें बारह भाई कहा गया. जब लोगों ने इनसे पूछा कि क्या आप बारह भाई हो तो बाड़ी के बारह पहलवानों ने जवाब दिया हां हम बारह भाई हैं,बारह भाइयों ने प्यार और समर्पण का परिचय भी दिया. एक ही थाली और एक ही कुल्लड़ में खाना पीना ग्रहण किया. सभी अलग-2 समाज और जाति के थे,लेकिन वहां उन्होंने अपना परिचय बारह भाइयों के रूप में ही दिया. लौटने के बाद इन बारह भाइयों ने फैसला लिया कि भाईचारे की इस अलख को जगाए रखेंगे. सन् 1857 की क्रांति के बाद उन्होंने सामाजिक समरसता को ध्यान में रख श्री बारह भाई मेले का शुभारंभ किया. जिसमें राम राज की परिकल्पना थी. तभी से हर साल प्रभु राम के 14 वर्ष के वनवास से लेकर उनके राजगद्दी पर विराजमान होने तक के प्रसंगों को इस मेले के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है. जिसके चलते सभी जाति धर्म के लोग आपसी मतभेदों को भुलाकर संगठित होकर एक परिवार की तरह रहे.
मेला शुभारम्भ के मौके पर बाड़ी उप जिला कलेक्टर राधेश्याम मीणा ने कहा कि- मेले हमारे अतीत के इतिहास को बताते है. ऐसे में इस धरोहर को हमें संजोये रखना चाहिए. बाड़ी शहर का यह सबसे प्राचीन मेला है. जिसको आयोजित करते करते करीब पांच पीढ़ियां निकल गई. ऐसे में मेला कमेटी के प्रयास सराहनीय है.